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आर्थिक स्वतंत्रता

आर्थिक स्वतंत्रता (Economic freedom) या आर्थिक मुक्ति (Economic liberty) किसी समाज के नागरिकों और व्यापारिक ईकाईयों द्वारा आर्थिक निर्णय लेने की स्वतंत्रता को कहते हैं। इसके कई आयाम होते हैं, जैसे कि स्वयं किसी नौकरी को लेना या छोड़ देना, किसी अन्य व्यक्ति को नौकरी पर रखना या निकाल देना, कारखाना खोलना या बंद कर देना, कोई धंघा आरम्भ करना या बंद कर देना, सम्पत्ति खरीदना व बेचना, इत्यादि। मुक्त बाज़ार की अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक स्वतंत्रता का दर्जा अधिक होता है और इनमें आर्थिक संतुलन स्वतंत्र रूप से बिना अधिक सरकारी हस्तक्षेप के उभरने दिया जाता है। इसके विपरीत नियोजित अर्थव्यवस्थाओं में सरकार द्वारा नागरिकों और व्यापारियों को स्वयं आर्थिक निर्णय लेने से रोका जाता है और सरकार उनके निर्णयों की परख कर के उन्हें रोकने का अधिकार स्वयं को देती है। आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक एक विख्यात सूचकांक है जो विभिन्न देशों की आर्थिक स्वतंत्रता का स्तर मापता है।[1][2][3]

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. Bronfenbrenner, Martin (1955). "Two Concepts of Economic Freedom". Ethics. 65 (3): 157–70. JSTOR 2378928. डीओआइ:10.1086/290998.
  2. Surjit S. Bhalla. Freedom and economic growth: a virtuous cycle?. Published in Democracy's Victory and Crisis. (1997). Cambridge University Press. ISBN 0-521-57583-4 p. 205
  3. David A. Harper. Foundations of Entrepreneurship and Economic Development. (1999). Routledge. ISBN 0-415-15342-5 pp. 57, 64