आदियोगी शिव प्रतिमा
आदियोगी शिव की प्रतिमा | |
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निर्देशांक | 10°58′46″N 76°44′06″E / 10.979444°N 76.735°Eनिर्देशांक: 10°58′46″N 76°44′06″E / 10.979444°N 76.735°E |
स्थिति | ईशा योग केन्द्र, कोयम्बटूर, तमिलनाडु, भारत |
अभिकल्पना | सद्गुरु |
प्रकार | प्रतिमा |
सामग्री | ईस्पात |
ऊँचाई | 112 फीट (34 मी॰) |
निर्माण पूर्ण | 24 फरवरी 2017 |
समर्पित | शिव |
आदियोगी शिव प्रतिमा, शंकर की ११२ फ़ीट की ऊँची प्रतिमा है जो कोयम्बटूर में वर्ष २०१७ में स्थापित की गयी थी। इसकी अभिकल्पना (डिजाइन) सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने की है। सद्गुरु का विचार है कि यह प्रतिमा योग के प्रति लोगों में प्रेरणा जगाने के लिये हैं, इसीलिये इसका नाम 'आदियोगी' (=प्रथम योगी) है। शिव को योग का प्रवर्तक माना जाता है।
उल्लेख
आदियोगी शिव ईशा योग परिसर में स्थित है, जो पश्चिमी घाटों की एक श्रृंखला, वेल्लियन्गिरि पर्वत की तलहटी में तमिलनाडु के कोयम्बटूर में ध्यानलिंग पर स्थित है। प्रतिमा को दो साल और आठ महीने में तैयार किया गया था। प्रतिमा की ऊंचाई, 112 फीट (34 मीटर), सद्गुरु ने यह भी कहा कि ऊंचाई मानव तंत्र में 112 चक्रों का प्रतिनिधित्व करती है।[1]
ईशा फाउंडेशन, वाराणसी, मुंबई और दिल्ली में भारत के पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में ऐसी तीन मूर्तियों को खड़ा करने की योजना बना रही है। सबसे ऊंची शिव प्रतिमा, नेपाल में कैलाशनाथ महादेव प्रतिमा है, जो कि राजधानी काटमांडु के पूर्व में 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो कि 44 मीटर (143 फीट) लंबा है।[2]
पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को महाशिवरात्रि के पावन मौके पर ईशा योग केंद्र में भगवान शिव के 112 फुट ऊंचे चेहरे का अनावरण किया। ईशा फाउंडेशन की विज्ञप्ति के मुताबिक धरती के इस सबसे विशाल चेहरे की प्रतिष्ठा मानवता को आदियोगी शिव के अनुपम योगदान के सम्मान में की गई है। भगवान शिव के इस विशाल चेहरे को सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने डिजाइन किया है।[3]
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जनवरी 2018.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जनवरी 2018.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जनवरी 2018.