आज़मगढ़
आज़मगढ़ Azamgarh | |
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आज़मगढ़ रेलवे स्टेशन | |
आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश में स्थिति | |
निर्देशांक: 26°04′05″N 83°11′02″E / 26.068°N 83.184°Eनिर्देशांक: 26°04′05″N 83°11′02″E / 26.068°N 83.184°E | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | आज़मगढ़ ज़िला |
ऊँचाई | 64 मी (210 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,10,983 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, भोजपुरी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 276001 |
दूरभाष कोड | 05462 |
वाहन पंजीकरण | UP-50 |
आज़मगढ़ (Azamgarh) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आज़मगढ़ ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है और तमसा नदी (टोंस नदी) के तट पर बसा हुआ है।[1][2]
जिले में प्राचीन शिव मंदिर है जो भंवरनाथ मंदिर और माता पूर्वी देवी मंदिर [1] के नाम से प्रख्यात है,
आजमगढ में एक महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय है
आजमगढ़ मुख्यालय के उत्तर दिशा में रौनापार थाना है रौनापार थाना क्षेत्र का सबसे बड़ा मार्केट चांदपट्टी है
विवरण
आज़मगढ़ तमसा नदी (टोंस) के तट पर स्थित है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ से २६८ किमी पूर्व में स्थित है। आजमगढ़ के उत्तर में स्थित घाघरा नदी आजमगढ़ और गोरखपुर के सीमा का निर्धारण करती है आजमगढ़ से गोरखपुर जाने का एक वाहन मार्ग दोहरीघाट से होकर जाता है जो कि मऊ जिले का हिस्सा है और एक वाहन मार्ग अंबेडकरनगर के (कम्हरिया घाट) से हो कर जाता है अन्य मार्ग और भी है परन्तु नाव द्वारा ही जा सकते हैं जिनमे बारानगर घाट और गोला घाट प्रमुख है आजमगढ़ का सबसे उत्तरी पुलिस स्टेशन रौनापार थाना है जो घाघरा नदी से लगभग ९km दूर स्थित है। स्वतंत्रता आंदोलन के समय में भी इस जगह का विशेष महत्त्व रहा है। यहां एक गांव सेठारी रास्ता बंद करने के मामले में विश्व में प्रथम पे रहा है।
इतिहास
उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में से एक, आजमगढ़, अपने उत्तर-पूर्वी हिस्से को छोड़कर कभी प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था। आजमगढ़ को ऋषि दुर्वासा की भूमि के रूप में भी जाना जाता है, जिसका आश्रम फूलपुर तहसील में स्थित था, जो फूलपुर तहसील मुख्यालय से 6 किलोमीटर (3.7 मील) उत्तर में तमसा और मझुए नदियों के संगम के पास स्थित था। आज़मगढ़ 1665 ई. में फुलवारिया नामक प्राचीन ग्राम के स्थान पर आजम ख़ाँ जो कि राजा विक्रमजीत सिंह के पुत्र थे उन्होंने ही इस नगर की स्थापना की थी । यहाँ गौरीशंकर का मंदिर 1760 ई. में स्थानीय राजा के पुरोहित ने बनवाया था। आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश में स्थित है।
इसकी स्थापना शाहजहां के शासनकाल के दौरान 1665 में विक्रमजीत के बेटे आजम ने की थी। विक्रमाजीत परगना निज़ामाबाद में मेहनगर के गौतम राजपूतों के वंशज थे जिन्होंने अपने कुछ पूर्ववर्तियों की तरह इस्लाम अपनाया था। उसकी एक मुस्लिम पत्नी थी, जिससे उसके दो बेटे आज़म और अज़मत हुए। आज़म ने अपने नाम से शहर का नाम आज़मगढ़ शहर, और किला को अपना नाम दिया, जबकी अज़मत ने परगना सगरी में किले और अज़मतगढ़ बाजार का निर्माण करवाया था।[3] चैबील राम के हमले के बाद, अज़मत खान अपने सैनिकों के साथ उत्तर की ओर भाग गया। उन्होंने गोरखपुर में घाघरा पार करने का प्रयास किया, लेकिन दूसरी तरफ के लोगों ने उसके आने का विरोध किया, और उन्हें या तो मध्य धारा में गोली मार दी गई या बचने के प्रयास में डूब गया। आजमगढ़ स्वतंत्रा आंदोलन के लिए भी पहचाना जाता है, गांधीजी के आव्हान पर सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अतरौलिया खंड के रामचरित्र सिंह व उनके नाबालिक बेटे सत्यचरण सिंह ने एक साथ अंग्रेजो का डटकर मुकाबला किया और गोली खायी। पिता पुत्र का एकसाथ स्वतंत्रा के आंदोलन में कूदने का विरला ही उदाहरण देखने को मिलता है।
भूगोल
आज़मगढ़ तमसा नदी के तट पर स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में 26°04′05″N 83°11′02″E / 26.068°N 83.184°E पर स्थित है। आज़मगढ़ की औसत ऊँचाई 64 मीटर (209 फीट) है।[4]
शहर लखनऊ- बलिया राज्य राजमार्ग पर राजधानी लखनऊ से, 269 किमी दूर है। यह आजमगढ़ गढ़ मण्डल का मुख्यालय भी है, जिसमें तीन जिलों आज़मगढ़, मऊ और बलिया शामिल हैं।
सर्दियों और गर्म मौसमों को छोड़कर शहर की जलवायु नम और आरामदायक है। वर्ष को चार मौसमों में विभाजित किया जा सकता है। मार्च से जून के मध्य तक की अवधि गर्म मौसम है, इस दौरान तापमान 22 से 46°C (72 और 115°F) के बीच रहता है। दक्षिण पश्चिम मानसून का मौसम सितंबर के अंत तक जारी रहता है, जिसमें औसत वार्षिक वर्षा 1021.3 मिमी रहती है। नवंबर के अंत तक चलने वाली अवधि मानसून या संक्रमण का मौसम होता है। दिसंबर से फरवरी तक की अवधि में ठंड का मौसम रहता है। आजमगढ़ में सर्दियाँ में बहुत भिन्न्ताएं रहती हैं, जिनमें गर्म दिन और एकदम ठंडी रातें दिखाई देती हैं। हिमालयी क्षेत्र की शीत लहरें दिसंबर से फरवरी तक सर्दियों में शहर में तापमान कम करने का कारण बनती हैं और 5 डिग्री सेल्सियस (41 डिग्री फ़ारेनहाइट) से नीचे के तापमान असामान्य नहीं दिखता हैं।
जनसांख्यिकी
2011 की जनगणना के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, आजमगढ़ शहरी समूह की जनसंख्या 116,165 थी, जिनमें से पुरुष 60,678 और महिलाएं 55,487 थीं। साक्षरता दर 86 प्रतिशत थी। आजमगढ़ में 18वीं शताब्दी की शुरुआत में हिंदू कुश की तलहटी से पलायन कर आने वाले बड़ी संख्या में पठानों की मौजूदगी है।[5]
कृषि और उद्योग
यहाँ की मिट्टी उपजाऊ है, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जो की खेती सब से अधिक होती हैं और बहुत अधिक खेती की जाती है, जिससे चावल, गन्ना, और गेहूं और आम और अमरूद की अच्छी फसल होती है। चना, सरसों अन्य प्रमुख फसलें है। चीनी की मिलें एवं वस्त्र बुनाई यहाँ के प्रमुख उद्योग हैं।
परिवहन
- वायु मार्ग
यहां पर अब एक नया हवाई अड्डा बन रहा है है जो मन्दूरी में है।
- रेल मार्ग
आज़मगढ़ स्टेशन, पूर्वी उत्तर प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण है। यह रेल मार्ग द्वारा सभी प्रमुख शहरों व स्थानों से जुड़ा हुआ है। यहाँ की मुख्य ट्रेनों में मुम्बई से गोदान एक्सप्रेस, दिल्ली वाया लखनऊ से कैफ़ियत एक्सप्रेस, साप्ताहिक ट्रेन लोकमान्य तिलक जो मुंबई के लिए शामिल हैं।
- सड़क मार्ग
आजमगढ़ में पूर्वी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े बस डिपो और उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिला मुख्यालयों और दिल्ली के लिए नियमित बस सेवाएं हैं। यह सड़कमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। अब इसमें 'पूर्वांचल एक्सप्रेस वे' प्रस्तावित है जो लखनऊ को बलिया से जोड़ेगा।
शिक्षा
आजमगढ़ में कई शैक्षणिक संस्थान हैं जिनमें बुनियादी शैक्षणिक संस्थानों से लेकर उच्च संस्थान तक शामिल हैं। कई आईटीआई, पॉलिटेक्निक और मेडिकल कॉलेज भी हैं। कुछ प्रसिद्ध संस्थान हैं:
- गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और सुपर फैसिलिटी अस्पताल, आज़मगढ़ - यह एक राजकीय मेडिकल कॉलेज है, जो आज़मगढ़ के चक्रपानपुर में स्थित है। यह किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ से संबद्ध है।
- राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, आज़मगढ़ - यह एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और डॉ। ए.पी.जे का एक घटक कॉलेज है। अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (पूर्व में उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय)।
- शिब्ली नेशनल कॉलेज - यह आज़मगढ़ में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करता है। ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के एक इस्लामी विद्वान शिबली नोमानी द्वारा 1883 में इस प्रसिद्ध संस्था की स्थापना की गई थी।
ऐतिहासिक स्थल
- पूर्वी माता मंदिर आज़मगढ़
यह आज़मगढ़ के प्रमुख मंदिरों में से एक है। जो आज़मगढ़ के मनचोभा गाव के पास स्थित हैं| मान्यता है कि एक महिला के पुकार पर माता प्रकट हुई थीं और आतताई राजा से मुक्ति दिलाई थी। यह मंदिर काफी प्राचीन है। मंदिर के पास बरगद का वृक्ष है, जिसे माता की शाक्तियों का प्रतीक माना जाता है। प्रत्येक रविवार और मंगलवार को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। नारियल, हलवा-पूड़ी का भोग लगाया जाता है।
- महराजगंज
छोटी सरयू नदी के तट पर बसा महराजगंज जिला मुख्यालय से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आज़मगढ़ में राजाओं की नामावली अधिक लम्बी है यही वजह है कि इस जगह को महराजगंज के नाम से जाना जाता है। यहां एक काफी पुराना मंदिर भी है। यह मंदिर भैरों बाबा को समर्पित है। भैरों बाबा को देओतरि के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त यह वहीं स्थान है जहां भगवान शिव की पत्नी पार्वती दक्ष यजन वेदी में सती हुई थी। प्रत्येक माह पूर्णिमा के दिन यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
- मुबारकपुर
मुबारकपुर जिला मुख्यालय के उत्तर-पूर्व से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पहले इस जगह को कासिमाबाद के नाम से जाना जाता था। कुछ समय बाद इस जगह का पुर्ननिर्माण करवाया गया। इस जगह को दुबारा राजा मुबारक ने बनवाया था। यह जगह बनारसी साड़ियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। इन बनारसी साड़ियों का निर्यात पूरे विश्व में होता है। इसके अलावा यहां ठाकुरजी का एक पुराना मंदिर और राजा साहिब की मस्जिद भी स्थित है। मुबारकपुर से क़रीब2 km दूर रसूलपुर ब्यौहरा गांव है जो काफ़ी मायने रखता है।
- मेंहनगर
यह जगह जिला मुख्यालय के पूर्व-दक्षिण में 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां एक प्रसिद्ध किला है जिसका निर्माण राजा हरिबन ने करवाया था। इस किले में एक स्मारक और सरोवर है जो कि काफी प्रसिद्ध है। इस सरोवर को मदिलाह सरोवर के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष सरोवर से तीन किलोमीटर की दूरी पर धार्मिक मेले का आयोजन किया जाता है।
- दुर्वासा
यह स्थान फूलपुर तहसील मुख्यालय के उत्तर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह यहां स्थित दुर्वासा ऋषि के आश्रम के लिए काफी प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने यहां आया करते थे।
- भँवरनाथ मंदिर
यह मंदिर आज़मगढ़ जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक हैं। भँवरनाथ मंदिर शहर से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर लगभग सौ वर्ष पुराना है। माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से इस मंदिर में आता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में भक्त इस मेले में एकत्र होते हैं।
- अवन्तिकापुरी
मुहम्मदपुर स्थित अविन्कापुरी काफी प्रसिद्ध स्थान है। ऐसा माना जाता है कि राजा जन्मेजय ने एक बार पृथ्वी पर जितने भी सांप है उन्हें मारने के लिए यहां एक यज्ञ का आयोजन किया था। यहां स्थित मंदिर व सरोवर भी काफी प्रसिद्ध है। काफी संख्या में लोग इस सरोवर में डुबकी लगाते हैं।
- निज़ामाबाद
यह आज़मगढ़ मुख्यालय से 10 किमी पश्चिम में स्थित है। मिट्टी के बर्तनों के लिए प्रसिद्ध यह स्थान हरिऔध, जैसे साहित्यकारों की जन्म स्थली भी है। यहाँ से मुबारकपुर से मंदुरी वाया तहबरपुर सड़क मार्ग से जुड़ा है। तहबरपुर निज़ामाबाद के उत्तर में स्थित बाज़ार है। तहबरपुर सीधे मुख्यालय ( आजमगढ़) से भी सीधा जुड़ा हुआ है। यहाँ से विभिन्न गांवों से संपर्क मार्ग जुड़े हुए हैं जिनमें पूरा अचानक, कोेठिहार, मुस्तफ़ाबाद, चिरावल, रैसिंहपुर, बैरमपुर, ओरा, कोइनहाँ, आदि प्रमुख हैं।
- चंद्रमा ऋषि आश्रम
जनपद मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर पश्चिम तमसा एवं सिलानी नदी के संगम पर चंद्रमा ऋषि का आश्रम है। यह स्थान भँवरनाथ से तहबरपुर जाने वाले रास्ते पर पड़ता है,रामनवमी तथा कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल घूमने का स्थान है यह स्थान सती अनसूया के कहानी से संबंधित है।
- दत्तात्रेय आश्रम
यह निज़ामाबाद से 4 किलोमीटर दूर पश्चिम तमसा और कुंवर नदी के संगम पर स्थित दत्तात्रेय का आश्रम है यहां पर पहले लोग ज्ञान प्राप्ति के लिए आया करते थे यहां शिवरात्रि के दिन मेले का आयोजन किया जाता है। चंद्रमा ऋषि,दत्तात्रेय और दुर्वासा ऋषि यह तीनों लोग सती अनुसूर्या के पुत्र माने जाते हैं जो क्रमागत ब्रह्मा,विष्णु और महेश के अवतार माने जाते हैं
- पल्हमेश्वरी मन्दिर
यह लालगंज से पूर्व लगभग 13 किलोमीटर दूर पल्हना ब्लॉक में है यह मंदिर आज़मगढ़ के प्राचीन व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है यह मा पल्हमेश्वरी का धाम है जहां नवरात्र के दिनों में हजारों के संख्या में भक्त जाते हैं। यहां वर्ष में एक बार पूर्णिमा के दिन भारी मेला लगता है। यहां एक मंदिर तथा एक बड़ा सा पोखरा भी है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
- ↑ "Origin of Name of Azamgarh :". मूल से 27 June 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 August 2014.
- ↑ "Falling Rain Genomics, Inc – Azamgarh". Fallingrain.com. मूल से 24 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 May 2012.
- ↑ "Urban Agglomerations/Cities having population 1 lakh and above" (PDF). Provisional Population Totals, Census of India 2011. मूल से 2 अप्रैल 2013 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 7 July 2012.