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असद्ख्यातिवाद

भ्रम सम्बन्धी विचार को ख्याति विचार कहते हैं।

असद्ख्यातिवाद

-------- माधयमिक शून्यवादियों का भ्रम विचार इस नाम से जाना जाता है।

ये ज्ञाता, ज्ञान, ज्ञेय की त्रयी को असत कहते हैं यहाँ असत अस्तित्वविहीनता न होकर इस त्रयी के निश्चित
, निरपेक्ष स्वतंत्र असित्त्व न होने का घोतक है
वे सभी स्वरूप्त तथा स्वभावत शून्य है। प्रत्येक वस्तु की स्थिति स्वभावत शून्य है
अतः वह असत है अतः इसी रूप मॅ यहाँ भ्रम सिद्धांत असद्ख्यातिवाद कहलाता है

== आलोचना == 1 नैयायिकों के अनुसार माध्यमिक असद्ख्याति नहीं मानी जा सकती, असद के दो ही अर्थ संभव है,
१ जिसका कहीं कोई अस्तित्व नहीं है,
२ ऐसी वस्तु का ज्ञान जो प्रस्तुत संदर्भ में अनुपस्थित हो, परंतु अन्यत्र कहीं विध्यमान हो
यदि पहले विकल्प को माने तो यह संभ्व नही, क्योंकि असत अनुभव नहीं बन सकता है पुनः दूसरे विकल्प को मानने पर विपरीत ख्यातिवाद की स्थिति उभरेगी
2 यदि सभी पदार्थ या विषय असत है तो फिर भ्रम की सत्ता कहाँ हुई क्यॉकि भ्रम का विषय असत है तथा यथार्थ ज्ञान विषय भी असत है इस दशा मॅ प्रमा की उत्पति की व्याख्या नहीं हो पाएगी