अष्टक
आठ का समूह ही अष्टक कहलाता है. जैसे गंगाष्टक जिसमें गंगा की स्तुति आठ श्लोकों में की गई है।-
यथा गंगाष्टकं पठति य: प्रयत: प्रभाते ।
वाल्मीकिना विरचतिं सुखदं मनुष्य: ।।
अर्थ: जो मनुष्य प्रभात समय में वाल्मीकि मुनि द्वारा रचित गंगाष्टक प्रएम पूर्वक पढता है, वह सुखी और प्रेम पूर्वक रहता है।
इस प्रकार अनेक देवताओं की अष्टक स्तुतियाँ हैं।