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अवकल गणित

किसी वक्र के किसी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्शरेखा की प्रवणता (स्लोप) उस बिन्दु पर उस वक्र के अवकलज के मान के बराबर होता है।

गणित में अवकल गणित (differential calculus) कैलकुलस का उपभाग है जिसमें परिवर्तन की दर का अध्ययन किया जाता है। इसे चलन कलन भी कहते हैं। कैलकुलस का दूसरा उपभाग समाकलन गणित (इटीग्रल कैलकुलस) है।

अवकलज की परिभाषा

एक उदाहरण

अवकलज की परिभाषा का उपयोग करते हुए मूल सिद्धान्त से अवकलज निकाला जा सकता है। मान लीजिए कि हम फलन का अवकलज निकालना चाहते हैं।

जब तो इसका मान

अवकलन के नियम

अवकलज की उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार कुछ ऐसे नियम निकाले गए हैं जो सदा कार्य करते हैं, चाहे फलन कुछ भी हो। (टिप्पणी': यहाँ, , और तीनों ही के फलन हैं। तथा अचर संख्याएँ हैं।)









लैब्नीज का नियम
.


(टिप्पणी': यहाँ, और दोनों ही के फलन हैं।)

शर्त फलन अवकलज (Derivative) उदाहरण अवकलज
कोई संख्या
एक सरल रेखा
x पर किसी संख्या का घात
किसी संख्या से किसी फलन में गुणा हो
पहला फलन + दूसरा फलन
पहला फलन - दूसरा फलन
गुणनफल नियम
पहला फलन x दूसरा फलन
भाग का नियम
पहला फलन भागा दूसरा फलन
शृंखला नियम
फलन के फलन के लिए
चरघातांकी फलन

कुछ उदाहरण

उदाहरण-१
का अवकलज निकालिए।

उदाहरण-२
उदाहरण-३
उदाहरण-४


उदाहरण-५

यहाँ दोनों पक्षों का लघुगण्क (log) लेने से काम आसान हो जाता है।

अब दोनों पक्षों का अवकलन करते हैं-

अन्ततः , रख देने पर


उदाहरण-६

चूंकि , अतः

अब वाले सभी पदों को बाँयी ओर ले जाने पर,

उपयोग

इष्टतमीकरण

इष्टतमीकरण (optimization) देखें।

भौतिकी में

भौतिकी के लिए कैलकुलस बहुत महत्त्व रखता है। बहुत सी भौतिक भौतिक प्रक्रियाएँ ऐसे समीकरणों द्वारा अभिव्यक्त की जातीं हैं जिनमें अवकलज होता है। ऐसे समीकरणों को अवकल समीकरण (differential equation) कहते हैं। भौतिकी में समय के साथ भौतिक राशियों के परिवर्तन की दर का विशेष महत्त्व है। इसलिए समय अवकलज (time derivative) की अवधारणा अनेक महत्वपूर्ण अवधारणाओं की परिभाषा के लिए अति आवश्यक है। उदाहरण के लिए गतिविज्ञान में किसी वस्तु के विस्थापन का समय अवकलज उस वस्तु का तात्क्षणिक वेग है, तथा वेग का समय अवकलज उस वस्तु का तात्क्षणिक त्वरण

  • वेग (velocity) : वस्तु के विस्थापन का समय के सापेक्ष अवकलज
  • त्वरण (acceleration) : वस्तु के वेग का समय के सापेक्ष अवकलज

मान लीजिए कि किसी वस्तु की स्थिति x(t) निम्नलिखित फलन द्वारा व्यक्त की जा सकती है-

तो उस वस्तु का वेग का व्यंजक निम्नलिखित होगा-

अर इसी प्रकार, उस वस्तु के त्वरण का व्यंअक यह होगा-

यहाँ त्वरण एक अपरिवर्ती संख्या है, किन्तु यह आवश्यक नहीं कि सभी वस्तुओं का सभी स्थितियों में त्वरण नियत रहे।

अवकल समीकरण

अवकल समीकरण देखें।

इन्हें भी देखें