अवंतिसुन्दरी
अवंतिसुंदरी संस्कृत काव्यशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ काव्यमीमांसा के प्रणेता कविराज राजशेखर की धर्मपत्नी थीं। राजशेखर 880-920 ई. में वर्तमान थे। ये महाराष्ट्र प्रांत के मूल निवासी थे तथा लाट और कान्यकुब्ज देश में इनके जीवन का अधिक भाग व्यतीत हुआ था। इनकी पत्नी अवंतिसुंदरी विदुषी नारी थीं। साहित्यशास्त्र के प्रसंगों में इनके मत उद्धरण के रूप में प्राप्य हैं। संभव है, इन्होंने कुछ स्वतंत्र ग्रंथ भी लिखे हों और वे काल के प्रवाह में नष्ट हो गए हों। राजशेखर ने स्वयं अपनी काव्यमीमांसा में आदरपूर्वक इनके काव्यशास्त्रीय मतों का उल्लेख किया है। काव्यमीमांसा में इनके मत का उल्लेख शब्दपाक, काव्यवस्तुविवेचन और शब्दार्थहरण के प्रसंग में किया गया है। इसके अतिरिक्त इनके संबंध में विशेष ज्ञात नहीं है।