सामग्री पर जाएँ

अर्कवंशी जाति

बौद्ध ग्रन्थ महावस्तुु तथा सुमंगल विलासिनी के अनुसार आदित्य बन्धु या अर्कबन्धुु शाक्यवंशी लोग हैं । आदित्य और अर्क सूर्य के पर्यावाची हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार भी शाक्यवंश के लोग सूर्यवशी क्षत्रिय थे। इनकी राजधानी कपिलवस्तु थी । कपिलवस्तु को ही अर्कों के पूर्वजों की जन्मभूमि बताया गया है । कपिलवस्तु सूर्यवंशी राज्य कोशल का हिस्सा थी तथा यहाॅं पर सूर्य-शाक्यवंश का गणराज्य था । शाक्यवंश में महाराजा शाक्य तथा सिद्धार्थ हुये, जो कि बाद में दिव्य-ज्ञान प्राप्त करके गौतम बुद्ध कहलाये । गौतमबुद्ध का एक नाम अर्कबन्धु भी है इसी कारण उनके अनेक कुलज अर्क नामधारी हुए । अमरकोश के पृ.सं. 4 पर लिखा है-

सर्वज्ञः सुगतो बुद्धो धर्मराजस्तथागतः । समन्तभद्रो भगवान् मारजिल्लोकजिज्जिनः ॥ षडभिज्ञो दशबलोऽद्वयवादी विनायकः । मुनीन्द्रः श्रीधनः शास्ता मुनिः शाक्यमुनिस्तु यः ॥

“स शाक्यसिंहः सर्वार्थः सिद्धः शौद्धोदनिश्च सः । गौतमश्चार्क बन्धुुश्च मायादेवीसुतश्च सः ।।“

अमरकोश: स्वर्गवर्ग : श्लोक 13-15[1]

अनुवादः- ‘शाक्यमुनि, शाक्यसिंह, सर्वार्थसिद्ध, शौद्धोदनि, गौतम, अर्कबन्धु और मायादेवीसुत, ये सात नाम बौद्धमत के प्रचारक भगवान बुद्ध (शाक्यमुनि) के है ।’

अर्क जातक महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मो की कहानियां जातक कथाओं के नाम से जानी जाती हैं। कथा संख्या 169 कों ‘अर्क जातक’ कहा जाता है। इसके अनुसार तेजस्वी एवं ज्ञान से परिपूर्ण गौतमबुद्ध का अर्क भी कहा गया है। कालान्तर में उनके अनेक वंशजों ने अर्क नाम धारण किया । कालांतर में अर्क/अरक को अर्ख/अरख कहा जाने लगा। वर्तमान में यह जाति अरख,आरख,अर्कवंशी इत्यादि नाम से जानी जाती है। भारत के विभिन्न राज्यों में यह जाति बहुतायत से विद्यमान है। संडीला के राजा सहिल्य सिंह अर्कवंशी क्षत्रिय रहे है

सन्दर्भ

  1. Amarakosha with English Meanings. पृ॰ 2.