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अभयाकर गुप्त

भारत और तिब्बत में प्रसिद्ध तांत्रिक बौद्ध आचार्य थे जिनका समय डॉ॰ विनयतोष भट्टाचार्य के अनुसार 1084-1130 ई. है। ये तिब्बती भाषा में निपुण थे और इन्होंने उसमें अनेक भारतीय ग्रंथों का अनुवाद भी किया। डॉ॰ भट्टाचार्य इन्हें बंगाल में उत्पन्न, मगध में शिक्षित और विक्रमशिला विहार में प्रसिद्ध मानते हैं। डॉ॰पी.एन. बोस इन्हें रामपाल का समकालीन मानते हैं। तेंजूर से इनके 18 ग्रंथों का पता चलता है जिसमें कालचक्र, चक्रसंवर, अभिषेक, स्वाधिष्ठानक्रम, ज्ञानडाकिनी, महाकाल, बुद्धकपाल, पंचक्रम, वज्ऱयान जैसे विविधि तांत्रिक बौद्ध विषयों का विवेचन किया गया है। इन्होंने अनेक बौद्ध ग्रंथों की टीकाएँ भी लिखी थीं। तेंजूर में इन्हें पंडित, महापंडित, आचार्य, सिद्ध, स्थविर आदि विशेषणों के साथ स्मरण किया गया है। इस ग्रंथ में इन्हें मगधनिवासी कहा गया है।