अपनी खबर
अपनी खबर | |
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लेखक | पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
प्रकार | आत्मकथा |
प्रकाशन तिथि | 1960 |
अपनी खबर[1] पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' द्वारा हिंदी में लिखी गई एक आत्मकथा है। यह आत्मकथा नैतिकता के धरातल पर अपने उन्मुक्त अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती है। एक तरफ़ इस आत्मकथा पर अश्लील होने का आरोप लगा तो दूसरी ओर 'उग्र' की आत्माभिव्यक्ति को तुलसी और निराला की आत्मवेदना के समकक्ष भी रखकर पढ़ा गया।[2] इस आत्मकथा में उग्र ने अपने बचपन से लेकर प्रौढ़ावस्था तक की उन तमाम गतिविधियों का अकुंठ और अनावृत्त वर्णन किया है जिसे समाज में वर्जित माना जाता है। इसमें पाठक को आत्मवेदना के साथ-साथ आत्म-व्यंग्य का भी आभास मिलता है। इस आत्मकथा में बचपन के उनके विद्रोही स्वभाव के कारण उग्र उपनाम मिलने से लेकर रामलीला में देखी गई अनैतिकता, स्कूली दिनों के संघर्ष और सहपाठियों (जो आगे चलकर बड़े राजनेता और साहित्यकार भी हुए) के सहयोग का वर्णन है। उग्र ने अपनी आत्मकथा में अपने पांच गुरु बताये हैं। पहले, उनके उद्दंड बड़े भाई त्रिदंडी, जिन्होंने तमाम बुराइयों के बावजूद उनके भीतर लिखने का शौक जगाया। दूसरे, कमलापति त्रिपाठी के भाई काशीपति त्रिपाठी, जिनसे उन्होंने सहृदयता सीखी। तीसरे, ‘लक्ष्मी’ पत्रिका के संपादक व ‘हिंदी शब्दसागर’ के संपादक मंडल के सदस्य लाला भगवानदीन, जिनसे उन्हें दृष्टि मिली। चौथे, दैनिक ‘आज’ के संपादक बाबूराव विष्णु पराडकर, जिन्होंने न सिर्फ उन्हें राह दिखायी, बल्कि उनकी अनेक रचनाओं का संस्कार, परिष्कार व प्रकाशन किया और पांचवें, ‘प्रभा’ के संपादक कृष्णदत्त पालीवाल, जिनसे उन्हें उत्साह प्राप्त होता रहा।[3]
सन्दर्भ
- ↑ Pandey Bechan Sharma 'UGRA' (1 January 2006). Apni Khabar. Rajkamal Prakashan. पपृ॰ 4–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-267-1108-6.
- ↑ Pankaj Chaturvedi (2003). Aatm-Katha Ki Sanskriti Sandarbh - Apni Khabhar. Vāṇī Prakāśana. पपृ॰ 135–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8143-055-7.
- ↑ कृष्ठ प्रताप, सिंह. "पांडेय बेचन शर्मा: वह 'युग' भले ही प्रेमचंद का था, लेकिन लोक में 'उग्र' की ही धाक थी". द वायर. मूल से 24 मार्च 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 मार्च 2020.
बाहरी कड़ियाँ
- अपनी ख़बर, hindisamay.com पर।