अनुच्छेद 328 (भारत का संविधान)
निम्न विषय पर आधारित एक शृंखला का हिस्सा |
भारत का संविधान |
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उद्देशिका |
अनुच्छेद 328 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 15 |
विषय | निर्वाचन |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 329 (भारत का संविधान) |
अनुच्छेद 328 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 15 में शामिल है और किसी राज्य के विधान मंडल के लिए निर्वाचन संबंधी उपबंध करने हेतु उस विधान मंडल की शक्ति का वर्णन करता है। यह अनुच्छेद 327 का ही विस्तार है।
अनुच्छेद 328 के अनुसार किसी राज्य की विधान सभा अपने यहाँ विधान सभा के चुनाव से संबंधित कानून बना सकती हैं परंतु वे कानून संविधान के प्रावधानों के अनुरूप होने चाहिए और वे कानून पहले से संसद द्वारा नहीं बनाए गए होने चाहिए। अगर चुनाव से संबंधित किसी विषय पर पहले से ही संसद ने कानून बना रखा है तो विधानमंडल वह कानून नहीं बना सकता है, अर्थात् यह प्रावधान किसी राज्य के विधानमंडल को यह तय करने में स्वायत्तता प्रदान करता है कि उसकी विधान सभाओं के चुनाव कैसे आयोजित किए जाएं। हालांकि यह स्वायत्तता पूर्ण नहीं है क्योंकि राज्य के कानून संविधान के प्रावधानों से संगत होने चाहिए और संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के साथ उनका टकराव नहीं होना चाहिए।[1][2][3][4][5]
पृष्ठभूमि
संविधान सभा में मसौदा समिति के अध्यक्ष ने 16 जून 1949 को एक संशोधन पेश किया जो किसी राज्य के विधान मंडल को चुनाव से संबंधित मामलों पर प्रावधान करने की अनुमति तभी देगा जब संसद ने पहले से ऐसा नहीं किया हो। उन्होंने मतदाता सूची तैयार करने और अन्य सभी आवश्यक मामलों को शामिल करने के लिए संसद की शक्तियों को बदलने हेतु एक और संशोधन पेश किया। संविधान सभा के एक अन्य सदस्य ने इस पर चिंता व्यक्त की कि यह अनुच्छेद संसद और राज्य विधान मंडल के बीच तनाव पैदा कर सकता है। हालांकि मसौदा अध्यक्ष ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि विधान मंडल के पास केवल अवशिष्ट शक्तियां होंगी और वह केवल उन मामलों पर प्रावधान कर सकता है जो संसद द्वारा नहीं की जा सकी हो। इस चर्चा के बाद इन दोनों संशोधनों को संविधान सभा ने बिना किसी बहस के स्वीकार कर लिया और संशोधित मसौदा अनुच्छेद को उसी दिन संविधान में जोड़ दिया गया।[1]
मूल पाठ
“ | [a]इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए तथा जहाँ तक संसद इसलिये उपबंध नहीं बनाती वहाँ तक, किसी राज्य का विधान मंडल, समय समय पर, विधि द्वारा, उस राज्य के विधान मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिये निर्वाचनों से सम्बद्ध या संसक्त सब विषयों के संबंध में, जिनके अन्तर्गत निर्वाचक नामावलियों का तैयार कराना तथा ऐसे सदन या सदनों का सम्यक् गठन कराने के लिये अन्य सब आवश्यक विषय भी हैं, उपबंध कर सकेगा।[6] | ” |
“ | [b]Subject to the provisions of this Constitution and in Legislature of a State may from time to time make by law make provision with respect to all matters relating to, or in connection with, the elections to the House or either House of the legislature of the State including the preparation of electoral rolls and all other matters necessary for securing the due constitution of such House or House.[7] | ” |
सन्दर्भ
- ↑ अ आ "Article 328: Power of Legislature of a State to make provision with respect to elections to such Legislature" [अनुच्छेद 328: किसी राज्य के विधानमंडल की विधान मंडल चुनावों संबंधी प्रावधान करने की शक्ति]. भारत का संविधान. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 328 Of The Indian Constitution // Examarly" [भारतीय संविधान का अनुच्छेद 328]. blog.examarly.com. 10 जनवरी 2023. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 328" [अनुच्छेद 328]. इंडियन कानून. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 328 of the Indian Constitution: Power of Legislature of a State to make provision with respect to elections to such Legislature" [किसी राज्य के विधान मंडल के लिए निर्वाचन संबंधी उपबंध करने हेतु उस विधान मंडल की शक्ति]. संविधान सरलीकृत. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "भारतीय निर्वाचन आयोग". nextias.com. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 122 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन
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- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 122 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन
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