अनुच्छेद 321 (भारत का संविधान)
निम्न विषय पर आधारित एक शृंखला का हिस्सा |
भारत का संविधान |
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उद्देशिका |
अनुच्छेद 321 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 14 |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 120 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 122 (भारत का संविधान) |
भारत के संविधान के भाग 14 में अनुच्छेद 321 को रखा गया है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 321 का मुख्य विषय " लोक सेवा आयोगों के कार्यों का विस्तार करने की शक्ति "है। [1]यह अनुच्छेद बताता है कि संघ और राज्य सरकारें लोक सेवा आयोगों के माध्यम से सरकारी सेवाओं के क्षेत्र में अतिरिक्त कार्यों को कार्यान्वित कर सकती हैं। यह भी उनके कार्यक्षेत्र को विस्तारित करने की शक्ति देता है।[2]
पृष्ठ भूमि
यह अनुच्छेद संघ या राज्य की सेवाओं के संबंध में संघ लोक सेवा आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा अतिरिक्त कार्यों के कार्यान्वयन के लिए प्रावधान करने की शक्ति देता है।[3]
यहां उल्लिखित है कि संसद या राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी अधिनियम के तहत, लोक सेवा आयोग संघ या राज्य की सेवाओं के क्षेत्र में और इसके अलावा स्थानीय प्राधिकरण या कानून द्वारा गठित अन्य कॉर्पोरेट निकाय या सार्वजनिक संस्थान के सेवाओं के संबंध में भी कार्यान्वयन के लिए विस्तार की जा सकती है।[4]
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
भारतीय संविधान के भाग-14 में लोक सेवा आयोग (UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION) के गठन के विवरण हैं। संघ लोक सेवा आयोग भारत सरकार के लोकसेवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करता है। यह आयोग राष्ट्रीय स्तर पर काम करता है और संघ के लिए लोक सेवा परीक्षाएं आयोजित करता है।[5]
राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315-323 में राज्य लोक सेवा आयोग (STATE PUBLIC SERVICE COMMISSION) के गठन का विवरण दिया गया है। राज्य लोक सेवा आयोग राज्य सरकार के लोकसेवा के पदों की नियुक्ति के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है। यह आयोग राज्य स्तर पर काम करता है और राज्य के लिए लोक सेवा परीक्षाएं आयोजित करता है।
मूल पाठ
“ | यथास्थिति, संसद द्वारा या किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाया गया कोई अधिनियम संघ लोक सेवा आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा संघ की या राज्य की सेवाओं के संबंध में और किसी स्थानीय प्राधिकारी या विधि द्वारा गठित अन्य निगमित निकाय या किसी लोक संस्था की सेवाओं के संबंध में भी अतिरिक्त कृत्यों के प्रयोग के लिए उपबंध कर सकेगा।[7] | ” |
“ | An Act made by Parliament or, as the case may be, the Legislature of a State may provide for the exercise of additional functions by the Union Public Service Commission or the State Public Service Commission as respects the services of the Union or the State and also as respects the services of any local authority or other body corporate constituted by law or of any public institution. Website[8] | ” |
इन्हें भी पढ़े
अनुच्छेद 322 (भारत का संविधान)
संदर्भ सूची
- ↑ "भारत का संविधान" (PDF). मूल (PDF) से 30 जून 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2024-04-20.
- ↑ "Article-321. Power to extend functions of Public Service Commissions. | UPSC". upsc.gov.in. अभिगमन तिथि 2024-04-20.
- ↑ "भारत के संविधान के अनुच्छेद 321". Indian Kanoon. अभिगमन तिथि 2024-04-20.
- ↑ "Article 321: Power to extend functions of Public Service Commissions". Constitution of India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-20.
- ↑ "संघ लोक सेवा आयोग", विकिपीडिया, 2024-03-03, अभिगमन तिथि 2024-04-20
- ↑ ":: Drishti IAS Coaching in Delhi, Online IAS Test Series & Study Material". www.drishtiias.com. अभिगमन तिथि 2024-04-20.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 173 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 173 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]