अनुक्रमिक लॉजिक
आंकिक परिपथों के संदर्भ में उन लॉजिक परिपथों को अनुक्रमिक लॉजिक (sequential logic) कहते हैं जिनका आउटपुट केवल वर्तमान इनपुटों पर ही निर्भर नहीं करता बल्कि इनपुट की पूर्व स्थितियों पर भी निर्भर करता है। फ्लिप-फ्लॉप इसका सबसे सरल उदाहरण है। ध्यातव्य है कि कम्बिनेशनल लॉजिकों (combinational logic) का आउटपुट केवल उनके इनपुटों की वर्तमान स्थितियों से ही निर्धारित होता है न कि उनके इनपुट की पूर्व स्थितियों से।
उपर्युक्त बात को यों भी कह सकते हैं कि अनुक्रमिक लॉजिक में स्मृति (memory) का गुण पाया जाता है (क्योंकि आउटपुट पिछली बातों से भी प्रभावित है।) इसलिये अनुक्रमिक लॉजिक का उपयोग संगणक स्मृति बनाने, अन्य प्रकार के देरी (delay) करने वाले तथा भंडारण करने वाले अवयवों के निर्माण, तथा सीमित अवस्था मशीन (finite state machines) के निर्माण के लिये किया जाता है। व्यवहार में आने वाली अधिकांश आंकिक परिपथों में कम्बिनेशनल तथा सेक्वेंशियल लॉजिक का मिश्रण होता है (केवल एक ही प्रकार के परिपथ से काम नहीं चलता)।
अनुक्रमिक लॉजिक परिपथों से दो तरह के सीमित अवस्था मशीन बनाये जा सकते हैं-
- मूर मशीन (Moore machine): आउटपुट केवल आन्तरिक अवस्थाओं (internal state) पर निर्भर करता है। (आन्तरिक अवस्था केवल क्लॉक के एज़ (clock edge) पर बदल सकती है; इसलिये आउटपुट भी केवल क्लॉक के छोर पर ही बदलती है।)
- मीली मशीन (Mealy machine): आउटपुट केवल आनतरिक अवस्थाओं पर ही निर्भर नहीं होता बल्कि इनपुट (अर्थात बाहरी घटनाओं) पर भी निर्भर करता है।
कार्य करने के अनुसार आंकिक परिपथों को सिन्क्रोनस (synchronous) और असिन्क्रोनस (asynchronous) नाम की दो श्रेणियों में बांटा गया है।
इन्हें भी देखें
- संयोजन तर्क (combinational logic)