अडूर गोपालकृष्णन
अडूर गोपालकृष्णन | |
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अपने चित्र के बगल में खड़े अदूर | |
पेशा | निर्देशक, पटकथा लेखक, निर्मात |
कार्यकाल | 1965 – वर्तमान |
माता-पिता | माधवन उन्नीथन, गौरी कुंजम्मा |
पुरस्कार | सर्वश्रेष्ठ निर्देशक 1973 स्वयंवरम 1985 मुखमुखम 1988 अनंतराम 1990 मतिलुकल सर्वश्रेष्ठ फिल्म 1973 स्वयंवरम 1996 कथापुरुषण सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक 1985 मुखमुखम 1988 अनंतराम |
वेबसाइट http://www.adoorgopalakrishnan.com |
मौताथु "अदूर" गोपालाकृष्णन उन्नीथन (जन्म जुलाई 3, 1941) सात बार भारतीय राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले भारत के फिल्म निर्माता, पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता हैं। उनकी अधिकांश फ़िल्में विश्वस्तर पर रिलीज़ नहीं हुई हैं, हालाँकि कई वैश्विक समारोहों में उन्हें प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर बहुत कम फ़िल्म समारोहों में शिरकत की है। उनकी ज्य़ादातर फ़िल्में केरल में ही रिलीज़ हुई हैं।
जीवनी
गोपालकृष्णन का जन्म 3 जुलाई 1941 को पलिक्कल गाँव (मेदायिल बंगलो) में अदूर के निकट वर्तमान केरल राज्य में हुआ था। वे माधवन उन्निथन और मौत्तथु गौरी कुंजम्मा के बेटे हैं। उन्होंने बतौर कलाकार अपने जीवन को नव-प्रशिक्षित अभिनेता के रूप में 8 साल की आयु में नाटकों में काम करते हुए किया। इसके पश्चात वह लिखने और निर्देशन पर केन्द्रित हुए और कुछ नाटकों का पटकथन लिखा और उनपर बतौर निदेशक काम भी किया। अर्थशास्त्र, राजनीतिविज्ञान और लोक प्रशासन में 1961 में गाँधीग्राम ग्रामीन संस्थान से स्नातक प्राप्त करने के पश्चात[1] उन्होंने डिंडिगुल, तमिलनाड के निकट एक सरकारी अधिकारी के रूप में काम किया। 1962 में उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ दिया ताकि पटकथन और निर्देशन पर पुणे फ़िल्म संस्थान से अध्ययन कर सकें। भारत सरकार से छात्रवृत्ति प्राप्त करके उन्होंने अपने पाठ्यक्र्म को पूरा किया। उनके सहपाठियों और मित्रों ने चित्रलेखा फ़िल्म सोसाइटी और चलचित्र सहकार संघम की स्थापना की; यह संस्था केरल की पहली फ़िल्म सोसाइटी थी और यह सहकारी क्षेत्र में निर्माण, वित्रण और प्रदर्शन पर केंद्रित थी।
अदूर ने ११ फ़ीचर फ़िल्मों के पटकथन और निर्देशन पर काम किया है और उसी प्रकार ३० शॉर्ट और डॉक्यूमेंट्रियों से भी जुड़े रहे। गैर-फ़ीचर फ़िल्म श्रेणी में वे भी थे जो केरल की प्रदर्शन कलाओं से सम्बंधित थे। अदूर की प्रथम फ़िल्म स्वयंवरम (1972) राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित थी और मलयालम फ़िल्म इतिहास में स्मरणीय मानी जाती है। इस फ़िल्म को कई अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शित किया गया था, जिसमें मॉस्को, मेलबर्न, लंदन और पैरिस के फ़िल्म समारोह शामिल थे। इसके बाद आने वाली फ़िल्मों में कोदियेट्टियम, एलिप्पथिम, मुखमुखम, अनंतरम, मथिलुकल, विधेयन और कथपुरुषम रही हैं और यह पहली फ़िल्म जितनी ही समीक्षकों द्वारा फ़िल्म समारोहों में पसंद की गई हैं और कई पुरस्कार अर्जित कर चुकी हैं। फिर भी मुखमुखम पर केरल में खंडन किया गया जबकि विधेयन को चर्चा का विषय बनाया गया जिसका कारण फ़िल्म सखारिया की कहानी के लेखक और अदूर के बीच के मतभेद था।
अदूर की अगली फ़िल्मों में निड़लकुथु थी, जो एक ऐसे जल्लाद के अनुभव की कहानी थी जिसे यह पता चलता है उसके द्वारा जीवन-लीला समाप्त किए जाने वाला एक व्यक्ति निर्दोष था। एक और फ़िल्म नालु पेन्नुंगल एक ऐसी फ़िल्म थी जो तकजि शिवशंकर पिल्लै की ४ लघुकहानियों पर आधारित थी।
उनकी सभी फ़िल्में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित रही हैं (सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के लिए दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ निदेशक के लिए पाँच बार, सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए दो बार। उनकी फ़िल्में अभिनेताओं और तकनीकी विशेज्ञों को कई पुरस्कार जितवा चुकी हैं।) अदूर की तीसरी फ़ीचर फ़िल्म एलिप्पथयम के कारण उन्हें 1982 में 'सबसे मौलिक और कल्पनाशील फ़िल्म' होने के कारण विख्यात ब्रिटिश फ़िल्म संस्थान पुरस्कार सम्मानित किया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय फ़िल्म समीक्षकों का पुरस्कार उन्हें छ: बार लगातार मुखमुखम, अनंतरम, मथिलुकल, विधेयन, कथपुरुषम और निड़लकुथु के लिए दिया गया। वह कई अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हुए हैं जैसे कि यूनिसेफ़ फ़िल्म पुरस्कार (वेनिस), ओ सी आई सी फ़िल्म पुरस्कार (अमिएन्स), इंटरफ़िल्म पुरस्कार (मन्नहेम) आदि। उनकी फ़िल्मों को कान, वेनिस, बर्लिन, टोरॉन्टो, लंदन, रॉटरडैम और लगभग सभी मुख्य वैश्विक समारोहों में दिखाया गया।
भारतीय फ़िल्मों में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्र ने उन्हें 1984 में पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया।
डॉक्यूमेंट्री और नए सिनेमा आन्दोलन
नौ फ़ीचर फ़िल्मों के अलावा उनके पास 30 से अधिक छोटी फ़िल्में और डॉक्यूमेंट्री भी हैं। हेलसिंकी फ़िल्मोत्सव ऐसा पहला फ़िल्म समारोह था जिसने उनकी फ़िल्मों की समीक्षा की थी। वे राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों और कई अन्तर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में प्रमुख जज की भूमिका में रहे।
अपनी फ़िल्मों के अलावा अदूर का मुख्य योगदान केरल में नए सिनेमा की संस्कृति का परिचय कराना था। इस प्रयास से "चित्रलेखा फ़िल्म सोसाइटी" की स्थापना हुई।
"चित्रलेखा फ़िल्म सोसाइटी" राज्य में फ़िल्मों के निर्माण के लिए प्रथम सहकारी सोसाइटी थी। इस आन्दोलन से फ़िल्मों को नवजीवन प्राप्त हुआ और कई "कला फ़िल्में" उभरकर आए जिनके पीछे जी अरविंदन, पी ए बेकर, के जी जॉर्ज, पवित्रन और रविंद्रन जैसे निर्देशक थे। एक समय में यह आन्दोलन इतना सशक्त था कि लोकप्रिय सिनेमा भी कला फ़िल्मों से मिश्रित होकर कई नई फ़िल्मों को जन्म दे चुका है।
Style and Trademarks
Adoor has been known as a director who completely dictates every fine detail of his films. On the performance of actors in his movies, he stated that - "It is not the artist's job to do the detailing. I do not want different interpretations of roles that may clash with each other. It has to be absolutely unified." He normally does not encourage his crew to read the script or even the stories. The actors are told at the time of shooting about the role and the scenes before conducting several rehearsals. According to Adoor "[i]n movies, the actor is not performing to the audience like the stage actor. Here they are acting for me. I am the audience and I will decide whether it is correct or not, enough or not."[2]
Awards and Milestones
Some of the awards Gopalakrishnan has won for his films include:
- Padma Vibhushan — second highest civilian award from Government of India[3]
- Padmashri(1984)[4]
- Legion of Honour (2003)
- Dadasaheb Phalke Award — Lifetime Achievement Award in Film awarded by the भारत सरकार (2004)
- National Film Awards — various categories for Swayamvaram, Kodiyettam, Elippathayam, Anantharam, Mathilukal, Vidheyan, Kathapurushan Nizhalkkuthu and Naalu Pennungal
- Kerala State Film Awards: 13 Awards won in various categories for various films (as of December 2007)[]
- International Film Critics Prize (FIPRESCI) — won consecutively for six feature films (Mukhamukham, Anantaram, Mathilukal, Vidheyan, Kathapurushan and Nizhalkkuthu)[5]
- London Film Festival — Sutherland Trophy — in 1982 for Elippathayam
- British Film Institute Award — Most Original Imaginative Film of 1982 — Elippathayam
- Commandeur of the Ordre des Arts et des Lettres by French Government (2003)[6]
A retrospective of his films was conducted in
- Kolkata, by Seagull Foundation for the Arts and Nandan, 2009[7].
- The Slovenian International Film Festival, 2009[8].
- The Munich Film museum, 2009[9].
- The French Cinematheque,Paris, 1999[10].
Posts Held
Adoor also worked in several respected posts in the film fraternity. He was a member of Sivaramakarath committee formed by the Government of India for framing a national film policy. He was a national film award committee member in 1974. He was a member of jury in Venice, Singapore, Hawaii and Delhi international film festivals. He was the chairman of International Film Festival of Kerala in 1999. He headed the National Film Development Corporation in the years 1980–1983. He was the director of Pune Film and Television Institute. In the years 1975–1977, he was a member of the advisory board for National Film Archives, Pune.
Filmography
Year | Title | Duration | Category | Awards | |
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1965 | A Great Day | 20 Minutes | Short fiction | ||
1966 | A Day at Kovalam | 30 Minutes | Documentary | ||
1967 | The Myth | 50 Seconds | Short fiction | Merit Certificate, Expo-67, Montreal | |
1968 | Danger at Your Door-step | 20 Minutes | Documentary | ||
1968 | And Man created | 8 Minutes | Documentary | ||
1968 | Manntharikal (Grains of Sand) | 20 Minutes | Documentary | ||
1969 | Towards National STD | 20 Minutes | Documentary | ||
1969 | A Mission of Love | 30 Minutes | Documentary | ||
1966 | Your Food | 60 Minutes | Documentary | ||
1970 | Pratisandhi (The impasse) | 55 Minutes | Docu-drama | ||
1971 | Romance of Rubber | 30 Minutes | Documentary | ||
1972 | Swayamvaram (One’s Own Choice) | 125 Minutes | Feature film | National Awards for Best Film, Best Director, Best Actress and Best Cameraman | |
1973 | Kilimanooril Oru Dasalakshadhipati (A Millionaire is Born) | 20 Minutes | Documentary | ||
1974 | Guru Chengannur | 17 Minutes | Documentary | ||
1975 | Past in Perspective | 20 Minutes | Documentary | ||
1976 | Idukki | 60 Minutes | Documentary | ||
1977 | Kodiyettam (Ascent) | 128 Minutes | Feature film | National Awards for best regional film and best actor | |
1978 | Four Shorts on Family Planning | 16 Minutes | Documentary | ||
1979 | Yakshagana | 20 Minutes | Documentary | ||
1978 | Four Shorts on Family Planning | 16 Minutes | Documentary | ||
1980 | Chola Heritage | 20 Minutes | Documentary | ||
1981 | Elippathayam (Rat-Trap) | 121 Minutes | Feature film | Sutherland Trophy at 1982 London Film Festival National Film Awards for the Best Feature Film in Malayalam and Best Audiography | |
1982 | Krishnanattam | 20 Minutes | Documentary | ||
1984 | Mukhamukham (Face to Face) | 107 Minutes | Feature film | FIPRESCI Prize, नई दिल्ली, National Awards for Best director, best screenplay, best audiography | |
1985 | Eau/Ganga (Ganga-Water) | 140 Minutes | Grand Prize, Cinema du reel, Paris | ||
1987 | Anantaram (Monologue) | 125 Minutes | Feature film | FIPRESCI Prize, Karlovy Vary. National awards for best director, best screenplay, and best audiography | |
1990 | Mathilukal (The Walls) | 117 Minutes | Feature film | FIPRESCI prize, Venice, UNICEF Film Prize, Venice, OCIC Prize, Amiens. National Award for best director, best actor, best regional film and best audiography | |
1993 | Vidheyan (The Servile) | 112 Minutes | Feature film | Feature FIPRESCI and Special Jury Prize, Singapore. Interfilm Jury Prize, Mannheim. Netpac prize, Rotterdam. National Award for best actor and best regional film | |
1995 | Kathapurushan (The Man of the Story) | 107 Minutes | Feature film | FIPRESCI Prize, National award for the best film | |
1995 | Kalamandalam Gopi | 43 Minutes | Documentary | ||
2001 | Koodiyattam | 180 Minutes | Documentary | ||
2002 | Nizhalkkuthu (Shadow Kill) | 90 Minutes | Feature film | FIPRESCI, Mumbai. National award for best regional film | |
2005 | Kalamandalam Ramankutty Nair | 73 Minutes | Documentary | ||
2007 | Dance of the Enchantress | 72 Minutes | Documentary | ||
2007 | Naalu Pennungal (Four Women) | 105 Minutes | Feature film | National Award for best director | |
2008 | Oru Pennum Randaanum (A Climate for Crime) | 115 Minutes | Feature film | Kerala State award for best director 2009 |
Notes
- ↑ Page on Adoor Gopalakrishnan at Kerala tourism, मूल से 17 जुलाई 2011 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 2008-02-08
- ↑ "'Naalu Pennungal' not complex like my other films: Adoor". Yahoo India Movies. मूल से 3 सितंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-28.
- ↑ "Adoor honoured with Padma award". Rediff.com. 21 मार्च 2006. मूल से 25 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-28.
- ↑ "Official Website of Adoor Gopalakrishnan". मूल से 13 अक्तूबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-28.
- ↑ "Official Website of Adoor Gopalakrishnan". मूल से 3 सितंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-28.
- ↑ "Adoor receives French honour". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया . 22 अक्टूबर 2003. मूल से 21 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-07-14.
- ↑ "Adoor Gopalakrishnan's Retrospective in Kolkata". Sify. 9 मार्च 2009. अभिगमन तिथि 2009-05-29.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "Adoor retrospective at Slovenian festival". द हिन्दू. 15 नवम्बर 2008. मूल से 1 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-29.
- ↑ "Adoor retrospective". द हिन्दू. 5 सितंबर 2009. मूल से 1 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-29.
- ↑ "Interview: Adoor". Cinema of Malayalam. मूल से 19 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-05-29.