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अजमेर बलात्कार कांड

1992 अजमेर सीरियल रेप
स्थानअजमेर, राजस्थान, भारत
परिपृच्छाराजस्थान पुलिस (1992-2021)
दोषारोपण फारूक चिश्ती समेत 5 आरोपी दोषी करार

1992 के अजमेर बलात्कार कांड मामले में राजस्थान के अजमेर में एक सौ से अधिक स्कूल और कॉलेज की लड़कियों के साथ सिलसिलेवार सामूहिक बलात्कार और ब्लैकमेलिंग की घटना शामिल थी। अपराधी फ़ारूक और नफीस चिश्ती के नेतृत्व में युवकों का एक समूह 1992 के दौरान वे पीड़ितों को दूरदराज इलाके या फार्महाउस में फुसलाकर ले जाते थे और उनका वहाँ सामूहिक रूप से यौन शोषण करते थे। इसके अलावा वे उन लड़कियों की नग्न तस्वीरें खींचकर उन्हें ब्लैकमेल करते थे ताकि वे अपना मुँह बंद रख सकें।[1]

इस स्कैंडल की कहानी एक स्थानीय समाचार पत्र दैनिक नवज्योति द्वारा प्रकाशित एक लेख के साथ सबके सामने आई, जिसमें अपराधों की घटनाओं का विवरण दिया गया था और बलात्कारियों द्वारा ली गई कुछ चित्रों को दिखाया गया था। उसी समय पुलिस ने इस कांड की जांच शुरू कर दी। जिसमें यह बताया गया है कि स्थानीय अधिकारियों को एक साल पहले तक इन घटनाओं के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने कानूनी कार्रवाई करने से परहेज किया गया।[2]

सितंबर 1992 में अट्ठारह सिलसिलेवार अपराधियों पर अदालत में आरोप लगाए गए और मुक़दमे के तहत पहले आठ लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। हालाँकि, उनमें से चार को बाद में 2001 में राजस्थान उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था।[3] 2007 में अजमेर में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट] ने फ़ारूक चिश्ती को दोषी ठहराया, लेकिन 2013 में उच्च न्यायालय ने उन्हें समय पर रिहा कर दिया।

[4]अजमेर सेक्स बलात्कार ब्लैकमेल कांड जिसमें सभी मुस्लिम अभियुक्त थे और जिसमें सभी बलात्कार पीड़ित लड़कियां हिंदू थी उसकी कुछ बातें जो मीडिया में नहीं बताई गई

7 हिंदू लड़कियों ने शर्मिंदगी से जब उनके नंगे पिक्चर से ब्लैकमेल किए गए तब उन्होंने आत्महत्या कर लिया

3  हिंदू लड़कियों ने अपने माता-पिता और भाई के साथ सामूहिक आत्महत्या कर लिया क्योंकि उनकी नंगी तस्वीरें से जब ब्लैकमेल किया जा रहा था और कई लोगों तक उनकी तस्वीर पहुंच गई तब वह इतने शर्मसार हुए कि उन्होंने सामूहिक आत्महत्या कर लिया

8 हिंदू लड़कियां मानसिक  विक्षिप्त  होकर पागल हो गई थी

तीन हिंदू लड़कियों ने मरे हुए भ्रूण को जन्म दिया था और अदालत में सबूत के लिए उन भ्रूण  को फॉर्मलडिहाइड में प्रिजर्व करके रखा गया था

कुछ हिंदू लड़कियों का गर्भपात इस तरह से हुआ कि वह भविष्य में कभी मां  नहीं बन सकती थी

और एक बुजुर्ग बाप इंसाफ के लिए इस कांड की वजह से  अपनी मानसिक विक्षिप्त पागल हो चुकी बेटी को लेकर 32 साल तक अदालत में आता था और उसने कहा कि मेरी बेटी तो इस घटना से पागल हो गई है मैं बुजुर्ग हूं लेकिन फिर भी मैं अपनी बेटी को इंसाफ दिला कर रहूंगा

400 से ज्यादा कंडोम को सबूत के लिए रखा गया था जो बाद में बुरी तरह से बदबू मारने लगे थे फिर भी उन्हें सबूत के लिए संभाल कर रखा गया था

कुल 32 साल तक मुकदमा चला

जब यह घटनाक्रम हुआ तब राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में थी आठ आरोपी कांग्रेस पार्टी के बड़े पदाधिकारी थे और धीरे-धीरे उन्होंने कई अन्य मुस्लिम लोगों को अपने गैंग में जोड़ लिया और इस तरह से हिंदू लड़कियों के बलात्कार और उनके ब्लैकमेल करने का पूरा गंदा खेल रचा गया

22 से ज्यादा हिंदू लड़कियों की कभी शादी इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि वह अजमेर कांड में पीड़ित थी  और आज 50 से 55 साल की अवस्था में भी वह बगैर परिवार के एकाकी जीवन जी रही हैं

फिर भी कुछ लोग बुलडोजर न्याय का विरोध करते हैं

32 साल हो गए न्याय नहीं मिला

और उस वक्त राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने तीन पत्रकारों को जेल भेज दिया था जिन्होंने इस घटना पर एक खबर बनाई थी राजस्थान सरकार ने उनके ऊपर कई गंभीर धाराएं लगाई थी

जब तक राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में रही अजमेर के दरिंदे खुलेआम हिंदू लड़कियों का बलात्कार करते रहे और कानून उनका कुछ नहीं बिगड़ा सका क्योंकि राजस्थान की कांग्रेस सरकार उनके साथ थी

जब राजस्थान में सत्ता बदली और राजस्थान में सत्ता परिवर्तन में अजमेर बलात्कार कांड ही सबसे बड़ा मुद्दा था और भैरव सिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने तब जाकर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया मुकदमा चला बेटियों के बयान दर्ज हुए सुबह इकट्ठा किया गया और अंततः आरोपियों को सजा सुनाई गई।

सन्दर्भ

  1. यादव, ज्योति (29 जनवरी 2022). "किशोरावस्था में सामूहिक बलात्कार, visiting courts as grandmothers". द प्रिंट.
  2. क्रांति, विजय. "अजमेर दैनिक संपादक की हत्या से अपराधियों, राजनेताओं से जुड़े घिनौने सेक्स स्कैंडल का खुलासा हुआ". इंडिया टुडे.
  3. (the journalist who broke "अजमेर में दुष्कर्म और ब्लैकमेल मामले के लगभग तीन दशक बाद एक आरोपी के आत्मसमर्पण से पुराने घाव हरे हो गए". द इंडियन एक्सप्रेस (अंग्रेज़ी में). 2018-02-25. अभिगमन तिथि 2020-06-12.
  4. "1992 अजमेर भयावहता: भारत के सबसे बड़े बलात्कार और यौन शोषण कांड को याद करते हुए" (अंग्रेज़ी में). 2022-07-05. अभिगमन तिथि 2023-06-17.