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अगदतंत्र

अगदतंत्र आयुर्वेद के आठ अंगों में से एक है। इसमें विभिन्न स्थावर, जंगम और कृत्रिम विषों एवं उनके लक्षणों तथा चिकित्सा का वर्णन है।

अगदतंत्रं नाम सर्पकीटलतामषिकादिदष्टविष व्यंजनार्थं विविधविषसंयोगोपशमनार्थं च॥ (सु.सू. १.६)

'गद' का शाब्दिक अर्थ 'रोग' है तथा 'अगद' का अर्थ 'अरोग'। अर्थात् कोई भी ऐसी वस्तु जो शरीर को रोगमुक्त करती है, 'अगद' कहलाती है। किन्तु आयुर्वेद में अगद का विशेष अर्थ है और यहाँ वह विषविज्ञान (toxicology) के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है जिसमें विभिन्न प्रकार के विषों तथा उनके प्रतिकारकों का वर्णन है। अगदतंत्र में खाद्यविषाक्तता, सर्पदंश, स्वानदंश (कुत्ते का काटना), कीटदंश आदि का वर्णन है।

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