अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की स्थापना 1974 में पुना में हुई। इस संगठन का मूल उध्देश्य ग्राहक को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना एवं उसे उचित मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता, सही नाप, विक्रय उपरांत सेवा एवं अच्छा व्यवहार दिलवाना है। इस संगठन की सबसे बड़ी उपलब्धि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 लागू करवाना रही है।
अन्य क्षेत्रों जैसे पेट्रोलियम पदार्थो में कम मात्रा मिलना, मिलावट, अधिक पैसा लेना, समय पर ग्राहक को सुविधा उपलब्ध न करवाना, बैंकिंग सेवा में अवरोध और देरी, भारत सरकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मान्य छोटे सिक्को को नही लेना, टेलीफोन, मोबाईल, इंटरनेट उपभोक्ताओं से मनमाना शुल्क वसूलने एवं उचित सेवा प्रदान न करने के मामले, किसानों को घटिया बीज वितरण, बिजली उपभोक्ताओं का शोषण, ऑनलाइन खरीदी मे धोखाधड़ी, नेटबैंकिंग सेवा आर्थिक विनिमय में धोखाधड़ी और अवांछित तत्त्वों द्वारा अकाउंट हैकिंग, चस्मे की दुकानों द्वारा मनमाना दाम वसूलना, गैस सिलेंडर का वजन कम देना, वस्तुओं की एमआरपी का पालन नहीं करना,सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ना और उसमें आने वाली बाधाओं का निराकरण, भूमि संबंधी कार्यों का समय पर निष्पादन नहीं किया जाना, कोचिंग और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मनमानी फीस लेना और उचित अध्यापन की व्यवस्था नहीं करना और इन सभी उल्लिखित विषयों पर सेमिनार सम्मेलनों द्वारा जागरूकता आयोजित करना है एवं इसके सुपरिणाम ग्राहकों के हित में परिलक्षित हैं। प्राइवेट पब्लिक ट्रांसपोर्ट बस, ऑटो में यात्रियों से दुर्व्यवहार, किराना व्यापारियों द्वारा चिल्लहर अर्थात न्यून राशि के सिक्के रूपिए के स्थान पर चॉकलेट या अन्य उत्पाद देना, दवा व्यवसायियों द्वारा कम स्टैंडर्ड की दवाईयां बेचना, चिकित्सालयों में उचित इलाज ना देकर मनमाने खर्च वसूलना, इन विषयों को लेकर संगठन उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए जनजागरण अभियान भारत के विभिन्न क्षेत्रों की ग्राहक पंचायत संस्था द्वारा मध्य क्षेत्र, छत्तीसगढ़, झारखंड और भारत के अन्य स्थानों में भी किए जा रहे हैं। (उदाहरणार्थ- महाकौशल स्वर्णजयंती समिति द्वारा जबलपुर में विभिन्न वार्डो की महिला प्रतिनिधियों का सम्मेलन आयोजित कर विभिन्न बीमा स्वास्थ्य बीमा और आयुष्मान योजना पर जानकारी दी गई और क्रियान्वयन के लिए सहयोग किया गया और ग्राहक पंचायत की ग्राहक जागरूकता अभियान से जुड़ने आवाहन किया गया।)
आन्दोलन का स्वायत्त स्वरुप: ग्राहक आन्दोलन भारत की शोषणमुक्ति का संग्राम है। भारत की अर्थव्यवस्था यदि कल्याणकारी बनानी हो तो अर्थव्यवस्था का मूलाधार जो ग्राहक है वह जागृत हो जाना चाहिए, वह प्रशिक्षित हो जाना चाहिए वह संगठित होना चाहिए। इस ग्राहक शक्ति को अर्थ व्यवहार पर, बाज़ार पर अंकुश के समान काम करना चाहिए। उद्दयम, व्यापार, बाज़ार और ग्राहक शक्ति, ये शक्तियाँ यदि एकत्र आयेंगी तो शोषण मुक्ति मिलेगी।
ग्राहक्शक्ति + बाज़ारशक्ति + दंडशक्ति = शोषणमुक्ति, यह ग्राहक आन्दोलन का समीकरण है।
२४ दिसम्बर यह भारतीय ग्राहक दिन है 'यह १९९० ग्राहक पंचायत आन्दोलन ने प्रथम घोषित किया और तत्पश्चात शासन उसमे अधिकृत रूप से सहभागी हुआ। ग्राहकों का संगठन पंजीकृत करने के लिए स्वतंत्र 'ग्राहक संगठन पंजीकरण अधिनियम १९९१' का नया विधेयक ५ सितम्बर १९९२ के दिन ग्राहक पंचायत आन्दोलन ने प्रथम लोकसभा में प्रविष्ट किया। भविष्य में शासन द्वारा यह अधिनियम बना दिया जायेगा। केंद्र शासन में ग्राहक कल्याण मंत्रालय नामक स्वतंत्र मंत्रालय हो इस दृष्टि से ग्राहक पंचायत ने उसका प्रारूप भी बनाया है। शासन उसको भी भविष्य में स्वीकार करेगा।
आदरणीय श्री बिंदु माधव जोशी जी के शब्दों मे - "ग्राहक आन्दोलन - 'युनियन' नही एक लोक - यात्रा ग्राहक आन्दोलन में पालन की जानेवाली हिताहित की बातों में,एक बात पर विचार करना पडेगा। वह है ग्राहक न्यायमंच। ग्राहक संरक्षण आधिमियम और न्यायमंच स्थापित करने के पीछे यह विचार था की ग्राहक आन्दोलन के कार्यकर्ताओं को ग्राहक संरक्षण का काम करते समय एकाध अधिनियम का आधार और स्वतंत्र न्यायमंच जैसी समस्या-निवारक एक अधिकृत व्यवस्था हो। ग्राहक पंचायत राष्ट्रोत्थान हेतु शोषणमुक्त समाज के निर्माण के लिये आर्थिक क्षेत्र में चलायी गयी एक लोकयात्रा है। यह विविध घटकों के बीच समन्वय स्थापित करने की आन्दोलन नीति है। व्यापारी, उत्पादक, कर्मचारी, कृषक, विक्रेता, आदि के बीच संवाद स्थापित होकर समस्यओंका निराकरण होना चाहिये। ग्राहक पंचायत का किसी से शत्रुत्व नहीं है। परन्तु अनुचित व्यापार और प्रथा के विरुद्ध विरोध अवश्य है। आपसी संवाद से ग्राहक द्वारा ग्राहालो की समस्यओंका निराकरण करना यह उसका मार्ग है। इस मार्ग में आवश्यकता पड़ने पर ही ग्राहक आन्दोलन के कार्यकर्ताओंको विधिनियम और न्यायमंच का आधार लेना चाहिये।"
आंदोलन के आयाम
1. शोषण मुक्त समाज का निर्माण:
ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां उपभोक्ता का शोषण न होता हो। विश्व भर में आजमाई गई पूँजीवाद, साम्यवाद, समाजवाद जैसी सभी आर्थिक प्रणालियाँ उपभोक्ताओं को न्याय देने में विफल रही हैं। इसलिए उपभोक्ता को संगठित करने और उसे अन्याय का विरोध करने, आवाज उठाने और हिंसा में शामिल हुए बिना भ्रष्ट, धोखेबाज और शोषक का बहिष्कार करने की नैतिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करना आवश्यक है। एबीजीपी ने इस देश में यह चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाई है।
2. अर्थव्यवस्था पर सामाजिक नियंत्रण:
पश्चिमी उपभोक्तावाद केवल अर्थ और काम पर आधारित है, जबकि भारतीय दर्शन धर्म और मोक्ष नामक दो अन्य स्तंभों पर आधारित है। धर्म का मुख्य उद्देश्य दो शक्तियों के दो परस्पर विरोधी उद्देश्यों और गतिविधियों का समाधान करना है। एक का प्रतिनिधित्व बाजार संरचना द्वारा किया जाता है जिसमें निर्माता, शामिल है । वितरक, खुदरा विक्रेता, विक्रेता आदि और अन्य शक्ति का प्रतिनिधित्व उपभोक्ता द्वारा किया जाता है। वह वैचारिक सिद्धांत जो इन दो बिल्कुल विरोधी ताकतों में सामंजस्य स्थापित करता है और पारस्परिक संतुष्टि के लिए उनके व्यवहार पैटर्न को नियंत्रित करता है वह "धर्म" है, जो अंततः मोक्ष की ओर ले जाता है। एबीजीपी उपरोक्त सिद्धांतों के आधार पर अपनी कार्य रणनीति की योजना बनाती है।
3. सिस्टम सुधार आंदोलन:
उपभोक्ता आंदोलन उपभोक्ताओं के लिए निजी और सार्वजनिक उद्यमों को सही करने का एक साधन होगा, न कि इसे बदलने का। उपभोक्ता आंदोलन के लिए एक स्वतंत्र समाज में संपूर्ण आर्थिक जीवन पर कब्ज़ा करना संभव नहीं है, इसलिए उपभोक्ता आंदोलन मिश्रित अर्थव्यवस्था में एक क्षेत्र बने रहने से संतुष्ट है और उसकी महत्वाकांक्षा एक प्रति-पर्दा शक्ति बनने की है। एबीजीपी का उद्देश्य देश भर में फैले बहुआयामी उपभोक्ता संगठन का निर्माण करना और शोषण पर प्रभावी रोक लगाना है।
हर ग्राहक को सुरक्षा, चयन, सुनवाई, क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार है। इसके लिए उपभोक्ता अदालतों को गठन किया गया है। 20 लाख तक की खरीददारी पर ग्राहक जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कर सकता है। राज्य स्तरीय उपभोक्ता फोरम में 1 करोड़ तक की खरीददारी पर शिकायत की जा सकती है। इससे अधिक राशि के लिये राष्ट्रीय आयोग का गठन किया गया है।
केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में CCPA की स्थापना का प्रावधान है जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के साथ साथ उनको बढ़ावा देगा और लागू करेगा। यह प्राधिकरण अनुचित व्यापार प्रथाओं, भ्रामक विज्ञापनों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों को भी देखेगा।
अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ताओं के अधिकार-
यह अधिनियम उपभोक्ताओं को 6 अधिकार प्रदान करता है;
(क) वस्तुओं या सेवाओं की मात्रा, गुणवत्ता, शुद्धता, क्षमता, कीमत और मानक के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार
(ख) खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षित रहने का अधिकार
(ग) अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं से संरक्षित रहने का अधिकार
(घ) प्रतिस्पर्धी कीमतों पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं की उपलब्धता
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-
इस अधिनियम में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरों पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों ((Consumer Disputes Redressal Commission /CDRCs) की स्थापना का प्रावधान है।
CDRC निम्न प्रकार की शिकायतों का निपटारा करेगा-
(१) अधिक मूल्य वसूलना या अस्पष्ट कीमत वसूलना
(२) अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार
(३) जीवन के लिए खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री
(४) दोषपूर्ण वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का अधिकार क्षेत्र-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (CDRCs) ने राष्ट्रीय, राज्य और जिला विवाद निवारण आयोग के अधिकार क्षेत्र को तय कर दिया है। राष्ट्रीय विवाद निवारण आयोग, 10 करोड़ रुपये से अधिक की शिकायतों को सुनेगा जबकि राज्य विवाद निवारण आयोग, उन शिकायतों की सुनवाई करेगा जो कि 1 करोड़ रुपये से अधिक है लेकिन 10 करोड़ रुपये से कम हैं। जिला विवाद निवारण आयोग, उन शिकायतों को सुनेगा जिन मामलों में शिकायत 1 करोड़ रुपये से कम की धोखाधड़ी की है।
नया उपभोक्ता सुरक्षा कानून निम्न लिंक से देखा जा सकता _
https://consumeraffairs.nic.in/acts-and-rules/consumer-protection
Disclaimer= कंज्यूमर सुरक्षा कानून प्रावधानों की जानकारी कानूनी सलाहकार से ले, लिंक और ग्राहक पंचायत और संबंधित कार्यों की जानकारी सिर्फ प्रारंभिक मार्गदर्शन हेतु है इस पर आधिकारिक कानूनी जानकारी या किसी भी तरह के उपयोग का आधार नही बनाए, इसकी जिम्मेदारी इस पृष्ट के उपयोगकर्ता या किसी भी व्यक्ति की स्वयं की है!
बाहरी कड़ियाँ
- ग्राहकों को जागरूक बनाने के लिये उपयोगी आलेख
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019
- [1]ग्राहक पंचायत
- ↑ सिंह, डॉ बी पी; शुक्ल, आदर्श कुमार (2022-01-01). "भारतीय स्टेट बैंक, बहराइच के विशेष संदर्भ में ग्राहक सेवा और ग्राहक संतुष्टि के स्तर के बीच संबंध पर एक अध्ययन". International Journal of Research in Finance and Management. 5 (1): 58–61. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2617-5754. डीओआइ:10.33545/26175754.2022.v5.i1a.159.