अखंड ज्योति
मुख्य संपादक | प्रणव पंड्या |
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श्रेणियाँ | वैज्ञानिक आध्यात्मिकता |
आवृत्ति | मासिक |
प्रकाशक | अखंड ज्योति संस्थान मथुरा |
प्रथम संस्करण | जनवरी 1938 |
देश | भारत |
शहर | मथुरा |
भाषा | हिंदी एवं अन्य |
जालस्थल | Akhand Jyoti |
अखण्ड ज्योति, भारत की सात से अधिक भाषाओं में प्रकाशित एक मासिक पत्रिका है जो प्रेरणाप्रद, आध्यात्मिक एवम् सामाजिक विषयों पर विभिन्न समसामयिक लेखों के साथ-साथ जीवन के प्रत्येक विषय से सम्बन्धित समस्या के समाधानों की ओर प्रेरित तथा मार्गदर्शित करती है।[1] अखंड ज्योति संस्थान द्वारा इसे 1938 में शुरू किया गया था। 1950 से ये बिना रुके मथुरा से प्रकाशित हो रही अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक, महान कर्मयोगी पं श्रीराम शर्मा आचार्य इस पत्रिका के संस्थापक हैं। यह व्यापक रूप से सामाजिक मुद्दों, व्यक्तित्व विकास और वैज्ञानिक आध्यात्मिकता को कवर करता है। यह अखिल विश्व गायत्री परिवार की मुख्य पत्रिका है।
पत्रिका का उद्घाटन अंक वसंत पंचमी जनवरी 1938 को प्रकाशित किया गया था। आगरा के एक छोटे से परिसर के साथ हिंदी में पत्रिका शुरू की गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के कारण कच्चे माल की अनुपलब्धता के कारण प्रकाशन को जल्द ही रोकना पड़ा। जनवरी 1940 में 500 प्रतियों के साथ प्रकाशन फिर से शुरू हुआ। 1941 में यह मथुरा में स्थानांतरित हो गया। तब से आज तक यह बिना किसी रुकावट के जारी है। पत्रिका अब 7 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित होती है। प्रकाशकों का दावा है कि इसका प्रचलन 15 लाख से अधिक है।
पत्रिका के पहले संपादक, पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक सेनानी और सक्रिय पत्रकार थे। उन्होंने हिंदी दैनिक 'सैनिक' में श्री कृष्णदत्त पालीवाल की सहायता की थी, जहाँ वे दैनिक कॉलम 'मत्त प्रलाप' लिखते थे। उन्होंने प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के भाष्य सहित तीन हजार दो सौ से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। 1990 में, अखिल विश्व गायत्री परिवार की सह-संस्थापक श्रीमती भगवती देवी शर्मा ने संपादन का कार्य संभाला। प्रणव पंड्या, निदेशक, ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान 1994 में इस पत्रिका के मुख्य संपादक बने और अभी भी सेवारत हैं।
सन्दर्भ
- ↑ "मेरी दुनिया मेरे सपने, शीर्षक: ऑनलाइन/ऑफलाइन हिन्दी मैग्ज़ीन का वृहद संग्रह।". मूल से 1 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जुलाई 2013.