अँखियों के झरोखे से (1978 फ़िल्म)
अँखियों के झरोखे से | |
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चित्र:अँखियों के झरोखे से.jpg अँखियों के झरोखे से का पोस्टर | |
अभिनेता | सचिन, रंजीता, मदन पुरी, इफ़्तेख़ार, उर्मिला भट्ट, राजेन्द्रनाथ, जूनियर महमूद, हरिन्द्र नाथ चटोपाध्याय, मुराद, बीरबल, एच एल परदेसी, रितु कमल, रूबी मेयर, टुन टुन, |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
अँखियों के झरोखे से 1978 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म
है।
संक्षेप
चरित्र
मुख्य कलाकार
- रंजीता - लिली फर्नांडिज़
- सचिन - अरुण प्रकाश माथुर
- मदन पुरी - हरी प्रकाश माथुर
- इफ़्तेख़ार - डॉ॰ प्रधान
- उर्मिला भट्ट - रूबी फर्नांडिज़
- राजेन्द्रनाथ
- जूनियर महमूद
- हरींद्रनाथ चट्टोपाध्याय
- मुराद
- बीरबल
- एच एल परदेसी
- रितु कमल
- रूबी मेयर
- टुन टुन
दल
संगीत
हर एक गाना लाजवाब है। जो आज भी कानो में मधुर रस घोल देता है।आज की आपाधापी के दौर में ये गाने कानों को मन को सुकून पहुंचाते हैं।रवींद्र जैन ने अपने गीतकार और गायकों हेमलता शैलेंद्र सिंग के साथ जादुई काम किया है।चाहे वो भजन हो जो हिंदी दोहा चौपाई का परिचय सबसे कराने वाला गीत हो या, शीर्षक गीत अंखियो के झरोखे से में बरसात में भीगी हुई सुंदरतम बंबई, ,,या कई दिन से मुझे, ,,मे सागर से अटखेलियाँ करते सचिन रंजीता।,या एक दिन तुम बहुत बड़े बनोगे में कॉलेज के सब लोगों का स्थिर हो जाने वाली परिकल्पना,,,,सब जबरदस्त हैं जो गीतो को दर्शनीय बनाचुके हैं,और
जाते हुए ये गीत तो बस जार जार रोने पर मजबूर कर देता है।कुल मिलाकर अप्रतिम कार्य किया गया है।
सुभाष मानिकपुरी छत्तीसगढिया के विचार हैं ये सब जो आज पहली बार लिख रहा है
।सब गानों का फिल्मांकन जिन जिन स्थलों पर और जिस बरसात के मौसम में हुआ है, वो असीम सुख शांति प्रदान करते हैं।
रोचक तथ्य
बहुत हि अच्छी फिल्म है प्रेम और त्याग कि कहानी है। जब यह फिल्म लगी तो मैं पाँच साल का था फिल्मों की समझ नहीं थी पर इसके गाने जगदलपुर में छाये हुए थे। जितनी बार देखता हूं उतनी ही अच्छी लगती है। सब कलाकारों की बेहतरीन एक्टिंग बाँधे रखती है।संवाद और संगीत तो लाजवाब है जिसके लिये बारबार इसे मैं देखपाता हूं।
नामांकन और पुरस्कार
सुभाष मानिकपुरी के भांजे सुयोग शर्मा की कलम से यह लिखा जाता है कि अंखियों के झरोखे से एक बहुत ही अच्छी फिल्म है तथा इसे किसी भी नामांकन और पुरस्कार किस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, यह उससे बहुत ऊपर है अकैडमी अवॉर्ड से भी बहुत ऊपर है।यह तो कहा नहीं जा सकता कि इसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है लेकिन हां मिलना चाहिए था।