2003 फनोम पेन्ह दंगे
सन् 2003 के जनवरी में, एक कम्बोडियन अखबार के लेख में यह झूठा आरोप लगाया गया था कि एक थाई अभिनेत्री शुभानन्त कांगयिंंग ने दावा किया था कि अंगकोर वाट थाईलैंड का ही एक हिस्सा था। अन्य कम्बोडियन समाचार पत्रों और रेडियो मीडिया द्वारा इस खबर को ओर उछाला गया जिससे राष्ट्रवादी भावनाओं को हवा मिलने के परिणामस्वरूप 29 जनवरी को नोम पेन्ह में दंगों हुए जिसमें थाई दूतावास जला दिया गया तथा थाई वाणिज्यिक सम्पत्ति तथा कारोबार की तोड़फोड़ की गई। दंगों से थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संवेदनशील ओर ऐतिहासिक रिश्ते के रूप सपष्ट हो जाते हैं। तथा दोनों देेश की आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारकों की पुष्टि हो जातीी है।
पृष्ठभूमि
ऐतिहासिक
ऐतिहासिक रूप से, सियाम (आधुनिक थाईलैंड) और कंबोडिया के बीच के रिश्ते में संवेदनशीलता नज़र आती है। १४ वीं सदी में थाई शाक्ति का केंद्र सुखोथाय से दक्षिण में अयूथया में चला गया जो की खमेर साम्राज्य का हिस्सा था। १९०७ में सियाम ने उत्तरी कंबोडिया को फ्रांस को दे दिया। इस हार के कारण से १९३० में आई राष्ट्रीयवादी सरकार ने इस आधार पर उस हिस्सा को थाईलैंड का हिस्सा बताया। १९४१ में हुए युद्ध में कुछ समय के लिये इस क्षेत्र में अपना अधिकार फिर से प्राप्त किया जो की १९५० तक बना रहा।
सांस्कृतिक
कंबोडिया के तुलना में थाईलैंड की जनसंख्या अधिक है और यह पश्चिमी सभ्यता के काफी नजदीक है इन्हीं कारण से थाईलैंड का कंबोडिया पर उनके संगीत एवं दुरदर्शन पर सांस्कृतिक प्रभाव नज़र आता है। बहुत से कम्बोडियन ऐसा सोचते हैं कि थाई लोग अपने पड़ोसी के प्रति घमंडी और वर्ण भेदी हैं। दोनों देशों के बीच विवाद और गलतफहमी का एक लंबा इतिहास रहा है। झगणो और दावों के बीच दोनों पक्षों ने नाराजगी का सामना किया है।इसके बावजूद की थाईलैंड और कंबोडिया की संस्कृतियां लगभग समान हैं। दक्षिणपूर्व एशिया में कोई अन्य देश सांस्कृतिक रूप से थाईलैंड और कंबोडिया के जैसा समान नहीं है। थाई लोगों के लिए खमेर असंतोष के पीछे कारण खमेर साम्राज्य के दिनों से आई थाई लोगों के प्रति भावना में गिरावट। जबकि थाई इस क्षेत्र में शुरू से प्रभावी रहे। दोनों देशों के इतिहास और खमेर साम्राज्य के युग की भी विभिन्न व्याख्याएं हुई हैं। "समझ की यह कमी शिक्षित थाई और सत्तारूढ़ वर्ग के सदस्य की सोच में प्रतिबिंबित होती है, जो खोम और खमेर के बीच अंतर करते हैं, उन्हें दो अलग-अलग जातीय समूह मानते है।[1] थाई इस बात पर जोर देकर कि "यह खोम था, खमेर नहीं, जिन्होंने अंकोर वाट और अंगकोर थॉम जेसे राजसी मंदिर परिसरों का निर्माण किया और वास्तव में दुनिया के शानदार प्राचीन साम्राज्यों में से एक की स्थापना की। विश्व सर्वसम्मति के बावजूद कि इस क्षेत्र पर शासन करने वाली संस्कृति और साम्राज्य खमेर से निकला कुछ थाई इससे भिन्न सोच रखते हैं जो कि खमेर लोगों के लिए अपमान जनक देखा जा सकता है। १९वीं शताब्दी में "खमेर साम्राज्य दो मजबूत पड़ोसियों, पूर्व में थाईलैंड और वियतनाम द्वारा निगले जाने से बच निकला"।[2] इससे कई खमेरों के मन में डर पैदा हुआ कि पड़ोसी देश खमेर पहचान को जीतना और खत्म करना चाहते हैं।
दंगों का कारण
१८ जनवरी २००३ में कंबोडिया के एक अखबार रसमाई अंगकोर (अंगकोर की रोशनी) कि एक समाचार से प्ररित होकर दंगे हुए। जिसमें यह लिखा गया कि थाई अभिनेत्री शुभानन्त कांगयिंंग ने कहा की कंबोडिया ने अंगकोरवाट चुराया है ओर वो तब तक कंबोडिया वापस नहीं आएगी जब तक इसे वापस नहीं किया जाएगा।[]
दंगों
29 जनवरी, को हुए दंगों में दंगाइयों ने नोम पेन्ह में थाई दूतावास की इमारत को नष्ट कर दिया. साथ ही थाई एयरवेज इंटरनेशनल, सिन कारपोरेशन जेसे थाई स्वामित्व वाले व्यवसायों, जिनमें थाई प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा के परिवार के स्वामित्व था पर भी हमला किया।
संदर्भ
- ↑ Kasetsiri, Charnvit (2003). "Thailand-Cambodia: A Love-Hate Relationship". Kyoto Review of Southeast Asia. 1 (3). मूल से 16 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 नवंबर 2018.
- ↑ Theeravit, Khien (1982). "Thai-Kampuchean Relations: Problems and Prospects". Asian Survey: 561–572. डीओआइ:10.1525/as.1982.22.6.01p0388f.
बाहरी लिंक
- राष्ट्र बैंकाक Error in Webarchive template: Empty url.
- अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट Error in Webarchive template: Empty url.