| 1832 के बॉम्बे दंगे |
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| जगह | मुंबई, भारत |
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| कारण | बॉम्बे पुलिस मजिस्ट्रेट द्वारा आवारा कुत्तों को मारना |
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| लक्ष्य | कुत्तों की सामूहिक हत्या को रोकना |
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| विधि | सविनय अवज्ञा, बहिष्कार, दंगा |
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| परिणाम | कई गिरफ़्तारियाँ, कुत्ते को मारने के प्रति मजिस्ट्रेट की नीति में बदलाव किया गया ताकि कुत्तों के स्थानांतरण की अनुमति मिल सके |
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| नागरिक संघर्ष के पक्षकार |
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| मुंबई के पारसी | ब्रिटिश गैरीसन, बॉम्बे पुलिस मजिस्ट्रेट |
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| कई हज़ार प्रदर्शनकारी | कई सौ गैरीसन सैनिक और शहर के अधिकारी |
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1832 के बॉम्बे दंगे, विरोध कार्रवाइयों की एक श्रृंखला थी जो भारत के मुंबई शहर में दंगों में बदल गई। ये दंगे ब्रिटिश सरकार द्वारा शहर के आवारा कुत्तों को ख़त्म करने के प्रयास के कारण भड़के थे, जो पारसी धर्म में कुत्तों को पवित्र माने जाने के कारण पारसियों के लिए विवादास्पद था। यह घटना मुंबई के आधुनिक इतिहास में दंगे की पहली घटना थी।