१७२५ तक क्रिकेट का इतिहास
क्रिकेट के ज्ञात मूल से लेकर इंग्लैंड का प्रमुख खेल बन जाने और अन्य देशों में इसकी शुरुआत किये जाने तक इस खेल के विकास के पदचिह्न 1725 तक क्रिकेट का इतिहास में दर्ज हैं।
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क्रिकेट |
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क्रिकेट पर पुराना निश्चित सन्दर्भ 1598 में मिलता है और इससे साफ हो जाता है कि क्रिकेट 1550 की सदी में खेला जाता था, लेकिन इसकी असली उत्पत्ति एक रहस्य ही है। एक निश्चित हद तक इतना कहा जा सकता है कि इसकी शुरूआत 1550 से पहले हुई थी, दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड के केंट, ससेक्स, सरे में से कहीं से हुई, ज्यादा संभावना उस क्षेत्र से जो वेल्ड के रूप में जाना जाता है। दूसरे खेलों जैसे कि स्टूलबॉल और राउंडर्स की तरह, बल्लेबाज़, गेंदबाज़ और क्षेत्ररक्षकों के साथ क्रिकेट अपेक्षाकृत छोटे घास पर खेला जा सकता है, विशेष रूप से 1760 के दशक तक गेंद मैदान में दिया जाता था। इसलिए जंगलों की सफाई और जहां भेड़ चरते हैं, खेल के लिए उपयुक्त जगह हो सकती है।
क्रिकेट के बारे में छिटपुट उपलब्ध जानकारी से पता चलता है कि मूल रूप से यह बच्चों का खेल था। इसके बाद 17वीं शताब्दी में इसे कर्मचारियों द्वारा अपना लिया गया। चार्ल्स प्रथम के शासनकाल के दौरान इसके संरक्षक और कभी-कभी खिलाड़ी के रूप में कुलीन वर्ग की दिलचस्पी इसमें बढ़ने लगी। उनके लिए इसमें सबसे बड़ा आकर्षण यह था कि इस खेल में जुआ खेलने की गुंजाइश थी और इसी कारण प्रत्यावर्तन के बाद के वर्षों में यह फैलता गया। हनोवेरियन शासन के समय से, क्रिकेट में निवेश ने पेशेवर खिलाड़ी और पहला प्रमुख क्लब तैयार किया, इस तरह लंदन और दक्षिण इंग्लैंड में यह खेल लोकप्रिय सामाजिक गतिविधि के रूप में स्थापित हुआ। इस बीच अंग्रेज़ उपनिवेशवादियों ने उत्तर अमेरिका और वेस्ट इंडीज में क्रिकेट की शुरुआत की; और ईस्ट इंडिया कंपनी के नाविक और व्यापारी इसे भारतीय उपमहाद्वीप ले गये।
बच्चों के एक खेल के रूप में क्रिकेट का जन्म
उत्पत्ति के सिद्धान्त
क्रिकेट के जन्म के बारे में व्यापक रूप से स्वीकृत सिद्धांत यह है कि मध्ययुगीन काल की शुरूआत में वेल्ड, जो कि केंट और सुसेक्स के बीच स्थित है, के कृषि और धातु के काम से जुड़े समुदाय ने इसे विकसित किया।[1] ये काउंटी और पड़ोसी सरे उत्कृष्टता के प्रारंभिक केंद्र हुआ करते थे और यहीं से यह खेल जल्द ही लंदन, जहां इसकी स्थायी लोकप्रियता सुनिश्चित थी और बर्कशायर, एसेक्स, हैम्पशायर और मिडलसेक्स जैसे दक्षिण के काउंटी में पहुंचा।[2]
उस समय बहुत सारे शब्दों के आम उपयोग हुआ करते थे, जो "क्रिकेट" नाम के लिए मुमकिन स्रोत माने जाते हैं। 1598 में सबसे आरंभिक काल के ज्ञात सन्दर्भ में यह क्रेक्केट (creckett) कहलाता था। दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड और फ्लैंडर्स के प्रांत, जो तब बरगुंडी के डच के अंतर्गत था, के बीच मजबूत मध्ययुगीन व्यापार संबंध के हवाले से कहा जा सकता है कि यह नाम मध्य डच[3] के क्रिक (-ए), यानि छड़ी से व्युत्पन्न है; या फिर पुरानी अंग्रेज़ी के क्रिक या क्राइके अर्थात बैसाखी या लाठी से लिया गया है।[4] सामुएल जॉनसन के अंग्रेज़ी भाषा के शब्दकोश (1755) में उन्होंने क्रिकेट की व्युत्पत्ति "क्राइके, सक्सोन, एक छड़ी" से बताया है।[2] पुरानी फ्रांसीसी भाषा में, क्रिक्वेट का मतलब लगता है कि एक किस्म का मुगदर या छड़ी हुआ करता था, हालांकि यह क्रोकेट का मूल हो सकता है।[4] एक अन्य संभावित स्रोत मध्य डच शब्द क्रिकस्टोल संभाव्य स्रोत है, जिसका अर्थ एक लंबा हल्का स्टूल है, जिसका उपयोग चर्च में घुटने टेकने के लिए किया जाता था, इसका आकार शुरूआती क्रिकेट में इस्तेमाल होनेवाले दो स्टंप विकेट से मिलता-जुलता था।[5] बॉन युनिवर्सिटी के यूरोपीय भाषा के विशेषज्ञ हाइनर गिलमेस्टर के अनुसार, हॉकी के लिए मध्य डच भाषा का शब्द मेट डी (क्रिक केट) सेन [met de (krik ket)sen] (अर्थात छड़ी के साथ पीछा करना) से "क्रिकेट" की व्युत्पत्ति हुई है।[6] गिलमेस्टर का मानना है कि यह खेल मूल रूप से फ्लेमियन मूल का है, लेकिन इस मामले में वहां अब भी अनिश्चितता बनी हुई है।[7] संभवत: क्रिकेट बच्चों द्वारा ही आविष्कृत है और कई पीढ़ियों से अनिवार्य तौर पर बच्चों के खेल के रूप में यह जारी रहा है।[8] गेंद फेंकने को पुराना खेल मानकर, संभवत: इसका चलन लकड़ी की गेंद से हुआ हो, जिसे लक्ष्य तक पहुंचने से रोकने के लिए बल्लेबाज द्वारा रोकने की कोशिश की जाती थी। मूल रूप से भेड़ के ऊन की गांठ (या फिर पत्थर या छोटी लकड़ी का गोला) को गेंद; छड़ी या गड़ेरिये की लग्गी या कोई अन्य कृषि उपकरण को बल्ला; और एक तिपाही या पेड़ के ठूंठ को एक प्रवेशद्वार (जैसे कि विकेट द्वार) को विकेट मान कर भेड़ के चारागाह या वृक्षविहीन स्थान पर यह खेल हुआ करता था। हो सकता है, इस खेल का आविष्कार 1300 से पहले किसी समय नॉर्मन या प्लांटाजेनेट के समय में हुआ हो; या फिर 1066 से पहले सक्सोन काल में।[9] क्रिकेट तत्वतः स्टूलबॉल, राउंडर्स और बेसबॉल की तरह ही एक प्रकार का खेल है, लेकिन यह इनमें से किससे विकसित हुआ या विपरीत क्रम में अन्य खेल इससे विकसित हुए, इसे तय नहीं किया जा सकता है।[2] इस निर्दिष्ट क्षेत्र के बारे में ऑक्सफोर्डशायर में स्टूलबॉल पर 1523 सन्दर्भ हैं; हो सकता है यह किसी ऐसे खेल का जातिगत शब्द हो, जिसमें गेंद को किसी भी तरह से बल्ले या छड़ी से मारा जाता हो।[10] 18वीं शताब्दी के सन्दर्भों में क्रिकेट के साथ स्टूलबॉल का संयोजन किया जाए तो यह साफ संकेत देता है कि यह एक अलग कार्यकलाप था।[11]
"क्रेग"
गुरुवार 10 मार्च 1300 को (जूलियन कैलेंडर, जबकि ग्रेगोरियन साल 1301 होगा), इंग्लैंड के राजा एडवर्ड प्रथम के निजी खाते में जॉन डी लीक ऑफ मोनीज को दी गयी उस धन राशि का भी उल्लेख है, जो उन्होंने वेस्टमिंस्टर और नेवेडेन में युवराज एडवर्ड के "क्रेग और अन्य खेल" खेलने के सिलसिले में भुगतान किया था।[2] राजकुमार एडवर्ड, वेल्स के भावी युवराज की उम्र उस समय 15 वर्ष थी। माना जाता है कि "क्रेग" क्रिकेट का आरंभिक रूप था।[12] इस सोच के समर्थन में कोई प्रमाण नहीं है और हो सकता है क्रेग एकदम से कुछ अलग ही हो।[2] ऐसा कहा गया है कि क्रेग क्रैक की पुरानी वर्तनी है,[4] इस आयरिश शब्द का अर्थ आमोद, मनोरंजन, या सुखद संभाषण होता है। क्रैक (crack) शब्द का यह अर्थ आयरिश अंग्रेज़ी, स्कॉटिश अंग्रेज़ी और पूर्वोत्तर इंग्लैंड के जॉर्डी में पाया जाता है। आयरलैंड में क्रैक (crack) के बजाए क्रैक (craic) वर्तनी ज्यादा प्रचलित है।[13]
प्रारंभिक निश्चित सन्दर्भ
कहीं भी क्रिकेट खेले जाने का प्रारंभिक निश्चित सन्दर्भ 1598 के एक अदालती मामले से मिलता है, जो इसकी पुष्टि करता है कि 1550 के आस-पास यह गिल्फोर्ड, सरे के किसी मैदान में खेला जाता था।[2] यह मुकदमा एक विद्यालय के भूखंड के स्वामित्व पर उठे एक विवाद से संबंधित रहा है। गिल्फोर्ड स्थित अदालत ने सोमवार 17 जनवरी 1597 (जूलियन तारीख, ग्रेगोरियन कैलेंडर के 1598 के बराबर) को 59 वर्षीय मृत्यु समीक्षक जॉन डेरिक के बयान को सुना, जिन्होंने अपनी गवाही में कहा कि पचास साल पहले वे अपने दोस्तों के साथ उस स्थान पर "क्रेकेट" (creckett) खेला करते थे। वह स्कूल गिल्फोर्ड रॉयल ग्रामर स्कूल था।[2] 1598 में, ग्योव्नी फ्लोरियो के इतालवी-अंग्रेज़ी शब्दकोश में क्रिकेट का उल्लेख था। स्गिलेयर (sgillare) शब्द की उनकी परिभाषा थी: "टु मेक अ न्वायज एज अ क्रिकेट (कीट), टु प्ले क्रिकेट-अ-विकेट, एंड बी मेरी" (एक झिंगूर की तरह शोर मचाने के लिए, चलो क्रिकेट-विकेट खेलें और मजा करें)।[14] फ्लोरियो पहले लेखक हैं जो एक कीट और एक खेल के सन्दर्भ में "क्रिकेट" को परिभाषित करने के लिए जाने जाते हैं। 1611 में अपने शब्दकोश के बाद के संस्करण में, फ्लोरियो ने निष्कर्ष दिया कि "जब हम क्रिकेट अ विकेट, या गिगेओगी कहते हैं" तो "टु प्ले क्रिकेट-अ-विकेट" का फ्रिटफ्रिट (frittfritt) के सन्दर्भ में यौन साहचर्य से संबंध होता है और डिबाटीकेयर को इस तरह परिभाषित किया "बिस्तर तक गिगेओगी की आवाज के साथ कामुकता से किसी मादा का झंकारन"।[15]
ग्रामीण क्रिकेट का विकास: 1611-1660
वयस्क भागीदारी की शुरूआत
1611 में, रैंडल कॉटग्रेव द्वारा प्रकाशित एक फ्रांसीसी-अंग्रेज़ी शब्दकोश में संज्ञा क्रॉस (crosse) को इस प्रकार परिभाषित किया गया है "द क्रूक्ड स्टैफ़ व्हेयरविद ब्वॉयज प्ले एट क्रिकेट" (एक मुड़े हुए डंडे के साथ लड़के क्रिकेट खेलने जाया करते)।[4] इस शब्द का क्रिया रूप क्रॉसर (crosser) है, जिसे "टु प्ले एट क्रिकेट" परिभाषित किया गया।[4] हालांकि कॉटग्रेव के शब्दकोश में क्रिकेट को बच्चों के खेल के रूप में परिभाषित किया गया है, जैसा कि गिल्डफोर्ड के स्कूली बच्चों बारे में ऊपर कहा गया है, लेकिन इसी समय इसमें वयस्कों की भागीदारी शुरू हो गयी थी।[4]
1611 में भी ससेक्स में क्रिकेट का पहला निश्चित उल्लेख मिलता है और पादरी की अदालत के रिकॉर्ड में दर्ज है कि पश्चिम ससेक्स के सिडलशम के दो पल्लीवासी ईस्टर रविवार को चर्च नहीं आ पाए क्योंकि वे क्रिकेट खेल रहे थे। उन पर 12 पेंस का जुर्माना लगाया गया और उन्हें प्रायश्चित करनी पड़ी। 1613 में, एक अन्य अदालती मामले में दर्ज है कि गिल्डफोर्ड के निकट वानब्रो में किसी पर "क्रिकेट डंडे" से हमला किया गया।[16]
इसके अलावा इस अवधि में, 1640 के एक अदालती मामले से केंट में क्रिकेट का पहला निश्चित उल्लेख खोज निकला गया, जिसमे दर्ज है कि "लगभग तीस वर्षों से" (मसलन, 1610 ई.सं.) से चेवेनिंग में "वेल्ड और अपलैंड" बनाम "चलखिल" में "क्रिकेटिंग" हो रहा है। यह सबसे आरंभिक ज्ञात ग्रामीण क्रिकेट मैच है और ये प्रतियोगिताएं 17वीं सदी के पूर्वार्द्ध में लोकप्रिय बन गयीं। यह मुकदमा उस भूमि से संबंधित रहा जिस पर यह खेल खेला गया था।[17]
1617 में, 18 वर्षीय ओलिवर क्रॉमवेल लंदन में क्रिकेट और फुटबॉल खेला करता था।[2] 1622 को, रविवार 5 मई के दिन पश्चिम ससेक्स स्थित चिचेस्टर के समीप बॉक्सग्रोव के पल्लिवासियों पर गिरजा के कब्रिस्तान में क्रिकेट खेलने के लिए मुकदमा चलाया गया। मुकदमा चलाने के तीन कारण थे: पहला तो यह कि इससे एक स्थानीय उप-नियम का उल्लंघन होता था; दूसरा यह कि इससे गिरजाघर की खिड़कियां टूट भी सकती थीं; और तीसरा कारण था क्रिकेट के बल्ले की चोट से किसी छोटे बच्चे का भेजा बाहर आ जा सकता है! (a little childe had like to have her braines beaten out with a cricket batt!)। [16] अंतिम कारण था चूंकि उस समय बल्लेबाज को गेंद को दो बार हिट करने की अनुमति हुआ करती थी और बल्लेबाज के पास क्षेत्ररक्षण बहुत ही खतरनाक हुआ करता था, बाद में हुई दो घटनाओं ने सख्ती के साथ इसकी पुष्टि की।
1624 में, पूर्वी ससेक्स स्थित होर्स्टड केंस में तब एक क्षेत्ररक्षक जैस्पर विनल की मौत हो गयी जब बल्लेबाज एडवर्ड टाई ने कैच आउट होने से बचने के प्रयास में गेंद को दुबारा हिट किया। इस प्रकार श्रीमान विनल क्रिकेट खेलते हुए मौत का सबसे प्रारंभिक दर्ज रिकॉर्ड हैं। यह मामला मृत्यु समीक्षक की अदालत में दर्ज हुआ, जहां फैसले में इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना माना गया।[18] यह दुखद घटना 1647 में फिर घटी जब पश्चिम ससेक्स के सेल्से में एक बल्लेबाज द्वारा गेंद को दुबारा हिट करते समय हेनरी ब्रांड नामक खिलाड़ी की मौत हो गयी।[19] 1744 में जब पहला क्रिकेट का कानून बनाया गया, तब गेंद को दो बार मारना गैर-कानूनी हो गया और इस नियम को तोड़ने पर बल्लेबाज को आउट कर देने का प्रावधान बना।[20] 1624 के मुकदमे के रिकॉर्ड से पुष्टि होती है कि होर्स्टड केंस और पश्चिम होथली नामक दो गांव मैच में शामिल रहे और ग्रामीण क्रिकेट के विकास के और भी सबूत मिलते हैं।[18]
लगभग 1630 से परावर्तन तक, शुद्धतावादी प्रभाव के वर्षों में रविवार को खेलने के मुद्दों के अनेक उल्लेख पादरी की अदालत के रिकॉर्ड में मिलते हैं। इनसे अंतर-पल्ली मैचों के खेले जाने के संकेत मिलते हैं, लेकिन 1660 के परावर्तन से पहले काउंटी की प्रतिनिधि टीमों की स्थापना का कोई संकेत नहीं मिलता।[2] बड़े पैमाने पर जुआ खेले जाने या अंग्रेज़ी गृहयुद्ध से पहले संरक्षण के कोई सबूत नहीं मिलते और ये वो कारक हैं जो 18वीं सदी में "प्रतिनिधि" टीमों के गठन के प्रेरक बने। ऐसे में, यह निष्कर्ष निकाला ही जाना चाहिए कि युद्ध से पहले खेला जानेवाला क्रिकेट सिर्फ छोटे स्तर का था: अर्थात, ग्रामीण क्रिकेट था।[2]
ग्रामीण क्रिकेट का 18वीं सदी में फलना-फूलना जारी रहा। 1717 में, ससेक्स स्थित हर्स्टपियरप्वायंट के थॉमस मर्चेंट नामक एक किसान ने अपनी डायरी में पहली बार क्रिकेट का जिक्र किया है। 1727 तक, उन्होंने विशेषकर अपने स्थानीय क्लब और इस खेल के बारे में अनेक टिप्पणी की है। उनका बेटा "हमारी पल्ली" के लिए खेलेगा, वे अक्सर हर्स्टपियरप्वाइंट टीम को इसी नाम से पुकारा करते थे।[21]
धार्मिक विश्रामदिन में रूकावट
1642 में जब अंग्रेज़ी गृहयुद्ध शुरू हुआ, तब लाँग संसद ने थिएटरों पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसे शुद्धतावादियों ने अस्वीकृत कर दिया। हालांकि कुछ इसी तरह की कार्रवाई कुछ खेलों के खिलाफ की गयी, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं कि क्रिकेट को भी प्रतिबंधित किया गया हो। "धार्मिक विश्रामदिन भंग" नहीं की जाय, सिवाय इस प्रतिबंध के कॉमनवेल्थ के दौरान और उससे पहले इस बात के सन्दर्भ हैं कि इस खेल को स्वीकृति मिल गयी थी: क्रोमवेल खुद ही एक युवा खिलाड़ी रह चुके थे। 17वीं सदी के पूर्वार्द्ध के दौरान "इस खेल ने अपनी पकड़ मजबूत की"[22], विशेष रूप से पूर्वी-दक्षिणी काउंटियों में। कॉमनवेल्थ के दौरान आभिजात्य वर्ग अपनी रियासतों से बाहर जाकर मनबहलाव के लिए ग्रामीण क्रिकेट का रुख किया, 1660 में कॉमनवेल्थ के समाप्त होने के बाद जब वे लंदन लौटे तो उन्हें अपने साथ लेते गये।[22]
1628 में, पश्चिम ससेक्स स्थित चिचेस्टर के पूर्वी लावेंट के एक खेल से संबंधित गिरजाघर मुकदमे से पता चलता है कि यह खेल रविवार के दिन खेला जाता था। बचाव पक्षों में से एक ने तर्क दिया कि उन्होंने शाम की प्रार्थना के दौरान नहीं खेला, बल्कि उसके पहले और बाद में खेला। इससे उसका कुछ भला नहीं हुआ, उस पर 12d का वैधानिक जुर्माना लगा और प्रायश्चित करने का आदेश दिया गया। अगले रविवार को एकत्रित हुए पूरे पूर्वी लावेंट के आगे अपना अपराध कबूलते हुए उसने प्रायश्चित किया।[23]
गृहयुद्ध से पहले के और भी तीन सन्दर्भ हैं। दशमांश विवाद को लेकर 1636 के अदालती मामले के हेनरी माबिनक नाम के गवाह ने प्रमाणित किया कि उसने सरे में पश्चिम होर्सले के "पार्के में" क्रिकेट खेला।[2][10] 1637 को, 26 फ़रवरी के दिन रविवार की शाम की प्रार्थना के दौरान मिडहर्स्ट, पश्चिम ससेक्स के पल्लिवासियों द्वारा क्रिकेट खेले जाने का एक अन्य मामला गिरजाघर अदालत के रिकॉर्ड में दर्ज है।[24] 1640 में, कैंटरबरी के करीब मैडस्टोन और हरब्लेंडाउन के शुद्धतावादी पादरियों ने क्रिकेट को अपवित्र करार दिया, विशेष रूप से अगर रविवार के दिन खेला जाय।[25]
1654 में, केंट के एलथम में रविवार के दिन क्रिकेट खेलने के लिए तीन लोगों पर मुकदमा चलाया गया। शुद्धतावादी चूंकि सत्ता में अब पूरे दमखम के साथ थे, क्रोमवेल का संरक्षित राज पिछले साल स्थापित हो चुका था, इसलिए जुर्माना दोगुना 24 पेंस (दो शिलिंग) कर दिया गया। बचाव पक्ष को क्रिकेट खेलने के लिए नहीं, बल्कि "विश्रामदिन में रूकावट" डालने के लिए जिम्मेवार ठहराया गया।[4] इसी तरह, जब क्रोमवेल के आयुक्तों ने दो साल के बाद आयरलैंड में "अनुचित जमघट" के आधार पर खेलकूद को प्रतिबंधित किया, तब इस बात का प्रमाण नहीं है कि यह प्रतिबंध क्रिकेट पर लागू था या नहीं, शायद उस समय तक यह खेल आयरलैंड नहीं पहुंचा था।[26]
शौकिया क्रिकेट की शुरुआत
शौकिया और पेशेवर खिलाड़ियों के बीच क्रिकेट के सामाजिक विभाजन की शुरूआत, जिससे अंतत: जेंटलमैन बनाम खिलाड़ी की सालाना प्रतियोगिता का विकास हुआ, का पता चार्ल्स प्रथम के शासनकाल में चल सकता है। 1629 में केंट के रकिंग के एक पादरी हेनरी कफिन पर प्रधान पादरी के कोर्ट द्वारा रविवार की शाम प्रार्थना के बाद क्रिकेट खेलने के लिए मुकदमा चलाया गया। उन्होंने कहा कि उनके बहुत सारे साथी खिलाड़ी "प्रतिष्ठित और सभ्य व्यक्ति" हैं।[27][28] यह बयान कुलीन वर्ग के बीच क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता का पहला सबूत है।[27]
वह कुलीन वर्ग ही है जिसने क्रिकेट में बड़े पैमाने पर जुए की शुरूआत की और इनमें से कुछ जुआरियों ने आगे चल कर अपनी जीत की संभावना को पुख्ता करनेवाले चुनिंदा खिलाड़ियों की टीम बनायी और उसके संरक्षक बन गए। कॉमनवेल्थ के दौरान, राजनीतिक जरुरत से जुआ कम महत्वपूर्ण हो गया। क्रिकेट में जुआ का पुराना सन्दर्भ 1664 के एक अदालती मामले के रिकॉर्ड में मिलता है, इसमें इसी साल 29 मई को केंट के कोक्सहीथ में हुए खेल पर लगी बाजी का भुगतान नहीं किया गया था। दिलचस्प बात है कि बाजी बारह मोमबत्तियों की थी, लेकिन प्रतिभागियों में स्थानीय कुलीन शामिल हो गए।[29] 1652 में, क्रैनब्रुक में जॉन रैबसन, एस्क्वाइर और अन्य के खिलाफ एक मामले में "क्रिकेट नाम के किसी अवैध खेल" का जिक्र किया गया। जाहिर है, रैबसन कुलीन वर्ग का सदस्य था, लेकिन बचाव पक्ष के अन्य सभी मजदूर वर्ग के थे।[30]
आगे चल कर क्रिकेट ने एक ऐसे खेल के रूप में अपनी पहचान बनायी जिसने वर्ग विभाजन को बाट दिया, लेकिन इस बीच सभ्य लोगों के क्रिकेट को "शौकिया" नाम देकर उनके और पेशेवर खिलाड़ियों, जो निचले सामाजिक वर्ग के थे, विशेष रूप से मजदूर वर्ग; के बीच के अंतर को स्पष्ट किया जाने लगा। [31] शौकिया केवल वे नहीं थे, जो खाली वक्त में क्रिकेट खेल लिया करते थे, बल्कि वे खास तरह के पहली श्रेणी के क्रिकेटर भी थे, जो 1962 तक आधिकारिक रूप से अस्तित्व में रहे; जब शौकिया और पेशेवरों के बीच के अंतर को खत्म कर दिया गया तब सभी पहली श्रेणी के खिलाड़ी नाम के पेशेवर बन गए। जहां तक पारिश्रमिक की बात है, शौकिया खिलाड़ी खेलने के लिए व्यय की मांग करते, जबकि पेशेवरों को वेतन या शुल्क का भुगतान किया जाता था।[32] विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और दूसरे शिक्षण केंद्रों में पाठ्यक्रम या पाठ्यक्रमेतर गतिविधि के रूप में खेले जानेवाला खेल शौकिया क्रिकेट का विस्तार है। विद्यालयों और विश्वविद्यालयों ने "उत्पादन पंक्ति" का गठन किया, जहां लगभग सभी पहली श्रेणी के शौकिया खिलाड़ी तैयार होते।[4]
स्कूलों के आसपास खेले जानेवाले क्रिकेट के 17वीं शताब्दी के कुछ सन्दर्भ हैं, लेकिन यह कॉमनवेल्थ के समय में इटॉन कॉलेज और विंडचेस्टर कॉलेज के हैं। [4] खेल का एक सन्दर्भ 1665 में लंदन के सेंट पॉल स्कूल का भी है, जो मार्लबोरो के प्रथम ड्यूक जॉन चर्चिल से संबंधित है, जहां उन्होंने अध्ययन किया था।[4] सोशल हिस्ट्री ऑफ इंलिग्श क्रिकेट नामक अपनी किताब में डेरेक बिरले ने टिप्पणी की है कि स्कूल क्रिकेट "राजाविहीन या संक्रमणकाल" (1649-1660) में "जीवंत और बढि़या था"। उन्होंने अनुमान लगाया कि इंग्लैंड के "दक्षिण-पूर्व में हरेक स्कूली लड़के यह खेल जरुर जानते होंगे"।[4] हालांकि, उन्हें संदेह है कि इस दौरान यह खेल किसी भी स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा रहा होगा। इटॉन और वेस्टमिनिस्टर स्कूल के अलावा, 17वीं शताब्दी के सभी स्कूलों में स्थानीय भर्ती हुआ करती थी और वर्ग का भेदभाव नहीं था। इसीलिए, गरीब और अमीर परिवारों के बेटे एक साथ खेला करते।[4] 1646 और 1652 के उपरोक्त कानूनी मामले इस बात के सबूत हैं कि कुलीन और मजदूर वर्ग मिलकर क्रिकेट खेला करते थे।
1647 में एक लैटिन कविता के कलेवर में विनचेस्टर कॉलेज में क्रिकेट खेले जाने का संभाव्य सन्दर्भ है; हैम्पशायर में क्रिकेट का यह प्रारंभिक ज्ञात उल्लेख है।[4] होरेस वॉलपोल द्वारा की गयी एक टिप्पणी इस बात की पुष्टि करती है कि 18वीं शताब्दी की पहली तिमाही के दौरान इटॉन कॉलेज में क्रिकेट खेला जाता था।[33] क्रिकेट का पुराना सन्दर्भ 1710 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में खेले जाने का है और इन दोनों प्रतिष्ठानों के साथ रहे विलियम गोल्डविन ने ग्रामीण क्रिकेट मैच पर 1706 में 95 पंक्तियों की एक लैटिन कविता लिखी थी। इसे इन केरटामेन पिला (गेंद के एक खेल पर) कहा गया और यह उनके मुसे जुवेनिलेस में प्रकाशित हुआ।[34] सैम्युअल जॉनसन जब कहते हैं कि उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय क्रिकेट खेला, लगभग इसी दौरान क्रिकेट वहां शुरू हुआ होगा, हालांकि पूर्व उल्लिखित तारीख 1729 है।[35]
शुरूआती क्रिकेट के नियम और सामग्री
शुरुआती क्रिकेट खिलाड़ी अपने रोजमर्रा के पोशाक में ही खेला करते थे और दस्ताने या पैड जैसी कोई सुरक्षा सामग्री नहीं हुआ करती। आर्टिलरी ग्राउंड में क्रिकेट के विकास को दर्शाती 1743 की एक पेंटिंग में बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ को सफेद शर्ट, ब्रिचिज, सफेद घुटने तक की लंबाईवाला स्टॉकिंग और बकल वाले जूते के साथ दिखाया गया है। विकेट-कीपर फतुही के अलावा एक जैसी पोशाक पहने हुए हैं। अंपायर और स्कोर का हिसाब रखनेवाला तीन-चौथाई लंबाई वाले कोट और तिकोनी टोपी पहने हैं। शर्ट और स्टॉकिंग के अलावा कोई भी पोशाक सफेद नहीं है और किसी ने दस्ताना और पैड नहीं पहन रखा है। बॉल की तरह मैदान में गेंद को दो स्टंप और उन पर लगी एक गिल्लीवाले विकेट की तरफ विभिन्न गति में लुढ़काया जाता है। बल्लेबाज आधुनिक हॉकी स्टिक जैसे दिखनेवाले बल्ले, मैदान में गेंद से निपटने के लिए यह आकार आदर्श होता है, से गेंद को ठोकता है।[36][37]
बॉक्सग्रोव में 1622 मामले के रिकॉर्ड में क्रिकेट बल्ले का पुराना सन्दर्भ है। क्रिकेट में "बैट" (बल्ला) शब्द केंट और ससेक्स में बड़ा ही खास था, क्योंकि वहां तटीय क्षेत्र के तस्करों को "बैटमैन" कहा जाता था, क्योंकि वे कडल नामक डंडेनुमा हथियार लिये होते थे। "चपटे आकार" के बल्ले (अर्थात् बल्ले का ऊपरी हिस्सा आइस हॉकी स्टिक की बनावट वाला) का सबसे पुराना सन्दर्भ भी 1622 में मिलता है।[38] लगभग 1720 तक बैट शब्द अपेक्षाकृत विरल ही रहा। यह शब्द आमतौर पर "स्टैफ" (सोंटा), "स्टेव" (पटरा) या "स्टिक" (छड़ी) के लिए इस्तेमाल होता था। इन शब्दों का क्षेत्रीय इस्तेमाल हुआ करता था: उदाहरण के लिए, "स्टेव" का इस्तेमाल ग्लॉसेस्टर क्षेत्र में और "बैट" दक्षिण-पूर्व में, जबकि "स्टैफ" और विशेष रूप से "स्टिक" व्यापक रूप से इस्तेमाल होता था।[6] बैट शब्द फ्रांसीसी बैटलडोर (बल्ले), जिसका आकार टेबिल टेनिस के बैट जैसा था, से आया है; इसका इस्तेमाल धोबिनों द्वारा कपड़ों को पीटने के लिए होता था।[39]
क्रिकेट गेंद का सबसे पुराना सन्दर्भ 1658 में एडवर्ड फिलिप्स के मिस्ट्री ऑफ लव एंड एलक्वेंस में मिलता है।[2] 1722 में बने ज्ञात नियम संहिता में पिच 22 गज लंबा (अर्थात् एक नाप) था[40] और माना जाता है कि 1620 में गुंटर के नाप की शुरूआत से इस लंबाई का इस्तेमाल होता रहा है।[41] 19वीं सदी तक एक ओवर में चार गेंद डाले जाते थे।[40]
विकेट का सबसे पुराना ज्ञात उल्लेख 1680 में पुराने बाईबल की पंक्तियों में है, जो आमंत्रित करता है "तुम सब जो क्रिकेट से आनंद प्राप्त करते हो, मार्डेन में चले आओ, अपने विकेट गाड़ दो"।[42] मार्डेन चिचेस्टर के उत्तर में पश्चिम ससेक्स में है और हैंब्लेडन के बिल्कुल करीब, हैंपशायर की काउंटी सीमा के पार है। 1770 के दशक तक विकेट दो स्टंप और एक गिल्ली का होता था। उस समय तक विकेट का आकार ऊंचा और संकरा था, 1744 के बाद क्रिकेट के नियम में इसे 22 इंच लंबा और छह इंच चौड़ा निर्धारित किया गया। लेकिन 18वीं शताब्दी की शुरूआत की तस्वीरों में इसे नीचा और चौड़ा दिखाया गया है, शायद दो फीट चौड़ा और एक फुट ऊंचा था। हलकी गिल्ली को थामे रहने के लिए स्टंप का सिरा कांटेदार होता था और मैदान में स्टंप को गाड़ने के लिए उसकी मजबूती और गिल्ली को बहुत ही कुशलता से रखने का एक मापदंड हुआ करता था, ताकि स्टंप पर चोट पहुंचते ही वह आसानी से गिर जाए।[6]
विकेट की उत्पत्ति को लेकर बहुत सारे अनुमान हैं, लेकिन यह कहना पर्याप्त होगा कि 17वीं शताब्दी में इसकी रूपरेखा बहुत कुछ चर्च के स्टूल के सदृश्य थी, जो कि कम ऊंचाईवाली और चौड़ी थी। इसके अलावा स्टूल के पैर स्टंप कहलाते थे, जिससे इस विचार को बल मिलता है कि स्टूल का उपयोग शुरूआत में विकेट के रूप में होता था।[6] ग्रेट सेंट मेरीज चर्च ऑफ कैंब्रिज (1504-1635) के चर्चवार्डन एकाउंट्स के अनुसार, दक्षिण-पूर्व में कभी-कभी चर्च स्टूल डच भाषा में" क्रिकेट" (क्रेच्केट) कहलाता था, यह वही नाम है जिसका इस्तेमाल 1597 में जॉन डेरिक द्वारा इस खेल के लिए किया गया था।[6]
17वीं और 18वीं शताब्दी में क्रिकेट के रूप मुख्यत: दो थे। एक सिंगल (एकल) विकेट था, जैसा कि नाम से जाहिर है, इसमें सिर्फ एक बल्लेबाज होता, हालांकि अक्सर इसमें तीन या पांच की टीम भाग लेती। दूसरा प्रकार दो बल्लेबाज के साथ "डबल विकेट" का है और इसमें ग्यारह खिलाड़ियों की एक टीम होती थी, जो दो पारी खेलती थी।
पुराने क्रिकेट में आज की ही तरह दो अंपायर होते थे, लेकिन आधुनिक स्क्वायर-लेग अंपायर स्ट्राइकर के विकेट के करीब खड़ा होता था। दोनों अंपायर एक बल्ला लिये होते, जिसकी जरूरत दौड़ते हुए बल्लेबाज को स्पर्श करके अपना रन पूरा करने के लिए होती थी।[43] दो स्कोरर मैदान में बैठते और टैलीस्टिक में निशान बना कर रिकॉर्ड दर्ज करते, इसी कारण उस समय रन नौचेज कहलाता था।[44]
प्रमुख धारा के क्रिकेट का विकास: 1660-1700
1660 में इंग्लैंड में राजशाही के परावर्तन के साथ थिएटर खुल गए और शुद्धतावादी संप्रदाय द्वारा खेलों पर लगाया गया प्रतिबंध तुरंत उठा लिया गया।[45] क्रिकेट मनोरंजन का प्रमुख साधन था और "यह दांव लगाने के लिए आदर्श था"।[45] हालांकि चार्ल्स द्वितीय के समय में खेल के सिर्फ बिखरे हुए सन्दर्भ हैं, लेकिन यह साफ है कि इसकी लोकप्रियता बढ़ रही थी और इसमें विस्तार भी हो रहा था।[46]
1660 में बसंत के दौरान परावर्तन प्रभावी रूप से पूरा हो गया था और इस ऐतिहासिक घटना को हर्षोल्लास के साथ मनाने में इसके भागीदार और इसके समर्थक दोनों ही शामिल थे और इसमें क्रिकेट तथा अन्य खेलों में जुआ खेलने की आजादी थी।[46] कुछ निवेशकों ने इसमें बड़ी हिस्सेदारी के साथ भाग लेने की कोशिश की और टीम बनाकर अपनी जीत की संभावना को बेहतर बनाया, जो कि ठेठ मुहल्ला XI से कहीं अधिक मजबूत थी।[45] तब तक, अभिजात्य वर्ग ने अपने मुख्य खेलों में घुड़दौड़ और पेशेवर मुक्केबाजी के साथ क्रिकेट को अपना लिया।[22] यहीं से संरक्षण की शुरूआत हुई, जो कि 18वीं शताब्दी में क्रिकेट पर नियंत्रण के जरिए बरकरार रहा।[45] पहली टीमों का प्रतिनिधित्व बहुत सारे मुहल्लों ने किया और यहां तक कि 1660 के दशक में पूरी काउंटी तैयार हो गयी और इसी समय पहले "भव्य मैच" (sic) हुए, गांव का क्रिकेट प्रमुख क्रिकेट के रूप में विकसित हुआ।[47]
विकास के इस महत्वपूर्ण पहलू से व्यावसायिकता की शुरूआत हुई[45] अभिजात्य वर्ग के लोग, जो परावर्तन के बाद लंदन से लौटे, विकसित क्रिकेट के प्रति उत्सुक थे और वे अपने साथ गांव के क्रिकेट के कुछ स्थानीय विशेषज्ञों को साथ ले लिया, जिन्हें उन्होंने पेशेवर खिलाड़ियों के रूप में नियुक्त किया।[48] परावर्तन के एक या दो साल के भीतर, "लंदन के समाज में मैच करवाना और क्लब बनाना आम बात हो गयी"।[48] खेल पर अभिजात्य वर्ग का नियंत्रण हो जाने से एक तरह का "सामंती संरक्षण" स्थापित हो गया, जुआ के लिए इससे मिलनेवाले मौके से उनके स्वार्थ को ईंधन मिलने लगा और इससे अगली शताब्दी में क्रिकेट के विकास का पैटर्न निर्धारित हुआ।[48]
कुछ परावर्तनोत्तर अतिक्रमों पर शिकंजा कसने की कोशिश के रूप में "अक्खड़" संसद द्वारा खेल अधिनियम 1664 को पारित किया गया।[49] दांव को 100 पाउंड तक सीमित कर दिया गया, जो कि उस समय हर तरह से बड़ा धन था,[46] आज के सन्दर्भ में पाउंड के लगभग NaN के बराबर ही था। [50] ऐसा लगता है कि 1697 तक क्रिकेट 50 गिन्नी तक का दांव आकर्षित कर सकता था और अगली शताब्दी तक जुआ के जरिए इसके लिए धन मुहैया कराया जाता रहा।[51]
लाइसेंसिंग प्रेस अधिनियम 1662, जिसे समाचार-पत्र उद्योग पर कड़ाई से नियंत्रण करने के लिए लागू किया गया था, के कारण 17वीं शताब्दी के बाद के चरण में सन्दर्भ के हवालों की कमी रही।[52] क्रिकेट समेत खेल, खबरों का विषय नहीं था, आधिकारिक रिकॉर्ड जैसे कि अदालती मामले या निजी पत्रों और डायरियों में इस सिलसिले में कुछ सन्दर्भ मिलते हैं।
1666 में रिचमॉन्ड के सर रॉबर्ट पास्टन द्वारा लिखे गए पत्र में रिचमॉन्ड ग्रीन का हवाला है, जो 18वीं शताब्दी में खेल के लिए एक उल्लेखनीय स्थान बन गया।[53] 1677 में, ससेक्स के प्रथम अर्ल थॉमस लेनार्ड के बयानों में इस बात का भी उल्लेख शामिल है कि उन्हें "ये डिकर" के एक क्रिकेट मैच में खेले जाने के लिए £3 का भुगतान किया जा रहा था, उक्त स्थान पूर्वी ससेक्स के हर्स्टमोनसिउक्स के बहुत करीब था।[54] 1671 में, एडवर्ड बाउंड नाम के शख्स पर विश्राम के दिन क्रिकेट खेलने का आरोप लगाया गया और फिर बरी कर दिया गया: परावर्तन के मद्देनजर रवैया बदल जाने का यह एक संकेत था। यह मामला सरे स्थित शेरे का था।[55] 1694 में सर जॉन पेलहम के वृतांत में लेवेस में क्रिकेट पर दांव लगाने के लिए 2s 6d भुगतान की बात दर्ज है। [56]
1685 में मिटचेम क्रिकेट क्लब की स्थापना हुई, क्लब का खेल वहीं हुआ जो आज मिटचेम क्रिकेट ग्रीन के रूप में जाना जाता है। इस जगह पर तभी से क्रिकेट खेला जाता है।[57] मिटचेम दुनिया के सबसे पुराने क्रिकेट क्लब के रूप में जाना जाता है, क्योंकि 1685 से पहले किसी क्लब की स्थापना का कोई प्रमाण नहीं है। क्रोयडॉन, डार्टफोर्ड और लंदन, इन सबकी स्थापना 1720 के दशक तक हुई, लेकिन इनकी स्थापना की तारीख गुम हो गयी है, हालांकि लंदन क्लब का वास्तविक सन्दर्भ 1722 में था।[58]
लंदन सीसी मुख्यत: फिंसबरी के आर्टिलरी ग्राउंड से जुड़ा था। इस स्थल का जिक्र पहली बार 1725 में हुआ, जब 7 मई को ऑनरेबल आर्टिलरी कंपनी के कार्य विवरण में कहा गया कि इसका इस्तेमाल क्रिकेट के लिए होता था, इसमें एक टिप्पणी थी जो कहती है "क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा मैदान के घास का दुरुपयोग किया गया"।[59] 18वीं शताब्दी के मध्य में आर्टिलरी ग्राउंड महत्वपूर्ण क्रिकेट का विशेष स्थल बन गया।[60]
1695 में संसद ने 1662 के लाइसेंसिंग अधिनियम के नवीनीकरण का फैसला किया और इससे 1696 में इस कानून की समाप्ति से प्रेस की आजादी का रास्ता साफ हो गया।[61] 1689 में अधिकार विधेयक के बाद पहले ही सेंसरशिप में ढील दे दी गयी थी।[52] इसी समय से समाचार पत्रों में क्रिकेट संबंधी खबरें प्रकाशित की जा सकती थीं, लेकिन ऎसी विस्तृत खबरें प्रकाशित करने के मामले में खुद को ढालने में समाचार उद्योग को काफी समय लग गया।[62] किसी मैच की ज्ञात सबसे पहली खबर बुधवार 7 जुलाई 1697 में फॉरेन पोस्ट में छपी:
"पिछले सप्ताह के मध्य में ससेक्स में क्रिकेट का एक बड़ा मैच हुआ, जिसमें दोनों तरफ ग्यारह खिलाड़ी थे और उनलोगों ने प्रत्येक खेल पचास गिन्नी के लिए खेला"।[56]
बाजी के प्रस्ताव इसकी स्थिरता के महत्व की पुष्टि करते हैं और एक पक्ष में ग्यारह सदस्य होने का तथ्य यह बताता है कि दो मजबूत और सुसंतुलित टीमें जुटा करती थीं।[56] अन्य कोई विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन रिपोर्ट इस बात का वास्तविक प्रमाण है कि परावर्तन के अगले वर्षों में ऊंची बाजी के लिए बड़े मैच के रूप में शीर्ष श्रेणी का क्रिकेट खेलने का प्रचलन था।[62] शायद यह अंतर-काउंटी मैच (अर्थात् ससेक्स बनाम केंट या सरे) था और यह आरंभ में शीर्ष श्रेणी के क्रिकेट मैच के रूप में जाना जाता था। ससेक्स को क्रिकेट स्थल के तौर पर दिए जाने से यह लगभग तय हो जाता है कि रिचमॉन्ड के प्रथम ड्यूक चार्ल्स लेनॉक्स इसके एक संरक्षक थे।[62]
18वीं शताब्दी के आरंभ में अंग्रेज़ी क्रिकेट
संरक्षक
1702 में रिचमॉन्ड के ड्यूक के XI ने ससेक्स में अरूंडेल XI को हरा दिया। 14 दिसम्बर 1702 को ड्यूक को किसी सॉल ब्रैडले द्वारा भेजी गयी रसीद इस खेल का स्रोत थी। ड्यूक द्वारा भुगतान की गयी रसीद एक शिंलिंग व 6 पेंस की थी, यह राशि "अरुंडेल टीम के विरुद्ध क्रिकेट खेलते समय ड्यूक महोदय की ब्रांडी के लिए" खर्च की गयी थी। समझा जाता है कि जीत का जश्न मनाने के लिए ब्रांडी लायी गयी थी।[63]
1723 में प्रथम ड्यूक के निधन के बाद उनके पुत्र रिचमॉन्ड के द्वितीय ड्यूक चार्ल्स लेनॉक्स को तुरंत क्रिकेट का मुख्य संरक्षक बना दिया गया और अगले पचास सालों में वे सेसक्स के क्रिकेट के जानेमाने संरक्षक बन गए। द्वितीय ड्यूक, ससेक्स के अन्य संरक्षक व अपने मित्र सर विलियम गेज के साथ दोस्ताना प्रतिस्पर्धा का लुत्फ उठाया करते थे। उन दोनों की टीमों ने एक-दूसरे के साथ कई बार खेला और उनके बीच प्रारंभिक ज्ञात प्रतिस्पर्धा 20 जुलाई 1725 को, किसी अज्ञात प्रतिद्वंद्वियों से सर विलियम की टीम के हारने के पांच दिन बाद, हुई। इन दोनों खेलों के बारे में हमारी जानकारी का आधार 16 जुलाई को सर विलियम द्वारा ड्यूक को भेजा गया मजाकिया पत्र है। सर विलियम ने दुख जाताया कि पिछले दिन "साल के पहले मैच में" वे "शर्मनाक तरीके से हार गए", लेकिन उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी के बारे में कुछ नहीं कहा. इसके बाद अगले मंगलवार को ड्यूक की टीम के साथ खेलने के लिए वे तैयार हो गए और "उनके क्रिकेट मैच को छोड़ कर हर तरह से ड्यूक की सफलता की" उन्होंने कामना की।[64]
रिचमॉन्ड और गेज के मुख्य प्रतिद्वंद्वी मेडस्टोन के एडवर्ड स्टेड (कभी-कभी "एडविन स्टीड" कहा जाता था) थे, जो केंट के पहले संरक्षक के रूप में जाने जाते हैं। रिचमॉन्ड और गेज की ससेक्स की टीमों के स्टेड की केंट टीम के साथ अंतर-काउंटी प्रतिद्वंद्विता का लुत्फ उठाए जाने से काउंटी चैंपियनशिप की अवधारणा जन्म लेती है।[65][66]
दांव की शर्तें
संरक्षकों ने घुड़दौड़ और पेशेवर मुक्केबाजी की ही तरह क्रिकेट में धन मुहैया करना सुनिश्चित किया, लेकिन क्रिकेट में उनकी दिलचस्पी जुआ खेलने के मौकों पर आधारित थी। 18वीं शताब्दी में हरेक महत्वपूर्ण मैच फिर चाहे वह शीर्ष श्रेणी का क्रिकेट हो या एकल विकेट का; दांव लगाने के लिए ही खेला गया। प्रारंभिक समाचार-पत्रों ने इसे पहचाना और मैच स्कोर प्रकाशित करने की अपेक्षा वे इससे जुड़ी फुटकर बातों में कहीं अधिक रूचि रखते थे। मैच किसने जीता के बजाए दांव किसने जीता पर खबरें हुआ करती थीं।[47] कभी-कभी जुआ विवाद को जन्म देता था और जब प्रतिद्वंद्वी अपने दांव के लिए कानूनी फैसला चाहते तो दो मैच का अंत अदालत में होता था।
सोमवार 1 सितंबर 1718 को, इस्लिंगटन के व्हाईट कंड्युट फील्ड में लंदन और रोचेस्टर पंच क्लब के बीच एक खेल अधूरा रह गया था क्योंकि रोचेस्टर खिलाड़ियों ने इसे असंपूर्ण घोषित करवाने के प्रयास में इसका बहिष्कार कर दिया था। यह इसलिए हुआ ताकि वे दांव पर लगाया धन अपने पास ही रख सकें। उस समय लंदन स्पष्ट रूप से जीत रहा था। लंदन खिलाड़ियों ने अपनी जीत का दावा करते हुए मुकदमा किया और चूंकि खेल अधूरा था इसलिए दांव पर लगे धन को लेकर मुकदमा तो बनता ही था। अदालत ने इसे "खेलकर फैसला करने" का आदेश दिया और जुलाई 1719 में ऐसा हुआ। रोचेस्टर को जीतने के लिए चार विकेट के साथ 30 की जरूरत थी, मगर वो 21 रन से हार गयी।[67]
1724 में, चिंगफोर्ड बनाम एडवर्ड स्टेड XI का खेल बीच में ही समाप्त हो गया क्योंकि चिंगफोर्ड टीम ने आगे का खेल खेलने से इंकार कर दिया, जबकि स्टेड जीत के करीब थी। मामला अदालत पहुंचा और, जैसा कि 1718 में हुआ था, खेलकर फैसला करने को कहा गया ताकि अनुमानतः दांव पूरा किया जा सके। यह ज्ञात है कि मुख्य न्यायाधीश प्रैट ने मामले की अध्यक्षता की थी और आदेश दिया कि डार्टफोर्ड ब्रेंट में खेलकर इसका फैसला किया जाय, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह मूल स्थान ही था। खेल 1726 में पूरा हुआ।[68] यह मैच एसेक्स में क्रिकेट खेले जाने का सबसे प्रारंभिक सन्दर्भ है, माना जाता है कि चिंगफोर्ड मूल स्थल रहा है और एसेक्स टीम को पहली बार शामिल करने के लिए जाना जाता है।
संरक्षकों और खेल आयोजकों के बीच किसी समस्या के समाधान के लिए खेल के शुरू होने से पहले आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन हितधारक सहमत हो गए। खेल के नियमों को परिभाषित करने के मद्देनजर यह अवधारणा महत्वपूर्ण थी और आगे चल कर इसे क्रिकेट के नियम के रूप में संहिताबद्ध कर लिया गया।[69]
18वीं शताब्दी के शुरूआती मैच
18वीं शताब्दी के प्रारंभ में द पोस्ट ब्वॉय और द पोस्ट मैन नाम की पत्रिकाएं क्रिकेट विज्ञापनों का उपयोगी स्रोत थीं। 1700 में क्लैफम कॉमन में होनेवाले मैचों की श्रृंखला की घोषणा 30 मार्च को द पोस्ट ब्वॉय द्वारा की गयी थी। पहला मैच इस्टर सोमवार को हुआ और 10 पाउंड और 20 पाउंड के पुरस्कार दांव पर लगे थे। मैच को लेकर कोई रिपोर्ट नहीं मिल पायी, इसलिए नतीजा और स्कोर अज्ञात हैं। विज्ञापन कहता है कि दोनों पक्ष की टीम में दस "जेंटलमेन" होंगे, लेकिन इसमें शामिल होने का निमंत्रण "जेंटलमेन तथा अन्य" को था। तात्पर्य स्पष्ट है कि क्रिकेट ने दोनों ही हासिल किया - संरक्षक, जिसने 18वीं शताब्दी में आर्थिक मदद देने का वादा किया और दर्शक, जिसने इसकी लोकप्रियता के स्थायित्व को प्रमाणित किया।[70] 24 जुलाई 1705 में, द पोस्ट मैन ने केंट के मालिंग में पश्चिम केंट बनाम चाथम के बीच दोनों पक्षों में 11 खिलाड़ी के खेल की घोषणा की।[70]
1 और 3 जुलाई 1707 को, क्रोएडॉन में लंदन ने दो बार खेला, पहला खेल संभवत: क्रोएडॉन के डुपस हिल में खेला गया और दूसरा खेल हॉलबॉर्न स्थित लैम्ब के कंड्युट फील्ड में खेला गया। दोनों मैचों का विज्ञापन द पोस्ट मैन द्वारा इस तरह प्रकाशित किया गया "दो बड़े क्रिकेट मैच लंदन और क्रोएडॉन के बीच खेले (जाएंगे) (sic); पहला मैच 1 जुलाई को मंगलवार को क्रोएडॉन में और दूसरा होलबोर्न के पास लैंब के कंड्युट फील्ड में मंगलवार के बाद 3 जुलाई को होगा"। मैच के बाद की कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो सकी, इसलिए नतीजा और स्कोर अज्ञात हैं।[70]
आरंभिक ज्ञात मैच जिसमें निश्चित तौर पर काउंटी टीम थी, केंट बनाम सरे के बीच बुधवार 29 जुलाई 1709 को डार्टफोर्ड ब्रेंट में खेला गया। इसका विज्ञापन पोस्ट मैन में पिछले शनिवार को प्रकाशित किया गया और यह 50 पाउंड के दांव के लिए खेला गया। 18वीं शताब्दी में केंट में डार्टफोर्ड ब्रेंट लोकप्रिय स्थल था और शायद 17वीं शताब्दी में मैच के लिए उपयोग होता था। समझा जाता है कि इस समय का डार्टफोर्ड केंट क्लब सर्वश्रेष्ट था, यह न केवल मैच स्थल था, बल्कि टीम का केंद्रस्थल भी था, जबकि सरे टीम कई सरे मुहल्लों से बनायी गयी थी और उनके संरक्षकों की अभिदत्त होतीं।[71]
एक खिलाड़ी डार्टफोर्ड का विलियम बाडले (1680-1768) था, जिसने हो सकता है 1709 के मैच में भाग लिया था, वह प्रारंभिक समय का बढ़िया खिलाड़ी था, जिसका नाम दर्ज है। वह "इंग्लैंड का सबसे अनुभवी खिलाड़ी माना गया" है और 1700 से 1725 की में वह जरूर प्रमुख खिलाड़ी रहा होगा।[72] 1720 के दशक में जिन्हें सक्रिय होने के लिए जाना जाता है, ऐसे दूसरे अच्छे खिलाड़ियों में केंट के एडवर्ड स्टेड, सरे के एडमंड चैपमैन और स्टीफन डिंगेट, लंदन के टिम कोलमैन और ससेक्स के थॉमस वेमार्क थे।
डार्टफोर्ड बनाम लंदन
क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी डार्टफोर्ड और लंदन क्लब थे, जिनके बीच पहला ज्ञात मैच 1722 में खेला गया था। बुधवार 19 अगस्त 1719 को, लंदन बनाम केंट का मैच व्हाइट कंड्युट फील्ड में खेला गया और इसे केंट ने जीता। यही शुरूआती ज्ञात निश्चित नतीजा है। रिपोर्ट में कहा गया, "एक बड़ी राशि" के लिए टीम ने यह मैच खेला था।[68]
शनिवार 9 जुलाई 1720 को, व्हाइट कंड्युट फील्ड में लंदन बनाम केंट खेला गया, जिसे लंदन ने जीता। इस मैच में लंदन के दो क्षेत्ररक्षक सिर टकराने से बुरी तरह घायल हुए थे।[68] एच टी वाघोर्न ने लिखा है कि इस खेल के बाद क्रिकेट के विज्ञापन और रिपोर्टिंग कुछ वर्षों के लिए बंद कर दी गयी और उन्हें आश्चर्य है कि इस खेल को खतरनाक मानकर ऐसा किया गया।[68] असली कारण साउथ सी बबल का प्रभाव था। जब साऊथ सी कंपनी दिवालिया हो गयी, तब 1720 में इसके ढह जाने से पूरी अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा और कुछ क्रिकेट संरक्षकों सहित अनेक पूर्व समृद्ध निवेशक बर्बाद हो गये। कम रिपोर्टों का कारण रहा सहायता और निवेश को रोक दिया जाना, इसीलिए मैच भी कम हुए।[73]
बुधवार, 18 जुलाई 1722 को इस्लिंगटन में लंदन बनाम डार्टफोर्ड का मैच द वीकली जर्नल के 21 जुलाई 1722 के अंक का विषय था। मैच का नतीजा अज्ञात है। 1723 में प्रमुख टोरी राजनीतिज्ञ और ऑक्सफोर्ड के अर्ल रॉबर्ट हार्ले ने अपने जर्नल में लिखा: "जैसे हम शहर के बाहर निकलते हैं, डार्टफोर्ड के हीथ में टोनब्रिज और डार्टफोर्ड के लोगों को क्रिकेट के खेल में पूरी गर्मजोशी से व्यस्त पाते हैं, जिसमें पूरे इंग्लैंड के केंटवासी सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं और केंट और डार्टफोर्ड के लोग सर्वोत्कृष्टता का दावा करते हैं"।[74] यह लगभग तय है कि यह खेल डार्टफोर्ड ब्रेंट में खेला गया था।[74]
वृहस्पतिवार 18 जून 1724 को, कैनिंगटन कॉमन के पास, जहां आज ओवल है, लंदन बनाम डार्टफोर्ड का मैच आरंभिक ज्ञात मैच था। नतीजा अज्ञात है।[75] सोमवार 10 अगस्त 1724 को, इस्लिंगटन में एक मैच हुआ (नतीजा अज्ञात है), जिसमें पेनशर्स्ट, टनब्रिज और वाधर्स्ट मुहल्लावासियों की संयुक्त टीम बनाम डार्टफोर्ड के बीच मैच हुआ। मैच देखनेवाले जॉन डावसन द्वारा इसे अपनी डायरी में दर्ज किया गया है। इसके विस्तृत विवरण की जानकारी नहीं है, लेकिन श्रीमान डावसन कहते हैं, "यह बहुत ही बड़ा मैच था"।[76]
इंग्लैंड और विदेशों में क्रिकेट का विकास
शुरुआती ज्ञात उल्लेख में क्रिकेट दिनांक शनिवार 6 मई 1676 को इंग्लैंड से बाहर खेला गया। एक डायरी लेखक हेनरी टोंग, जो तुर्की के अलेप्पो (अब सीरिया में) में एक ब्रिटिश मिशन का हिस्सा थे, ने लिखा है कि "कम से कम चालीस अंग्रेज़" मनोरंजक प्रयोजनों के लिए शहर से बाहर चले गये और, रात्रि भोजन के लिए एक अच्छा स्थान पाकर वहां तम्बू गाड़ दिया, "क्रिकेट" (krickett) सहित उनके पास "कई तरह के मनबहलाव और खेलकूद" के साधन थे। छह बजे वे "सही-सलामत घर वापस आ गये"।[77]
इस समय तक, क्रिकेट भारत, उत्तर अमेरिका[78] और वेस्ट इंडीज में शुरू हो चुका था, लेकिन पहला निश्चित उल्लेख 18वीं सदी में ही मिलता है। 1709 में, तत्कालीन अंग्रेज़ उपनिवेश वर्जीनिया के अपने जेम्स रीवर इस्टेट में विलियम बायर्ड ने क्रिकेट खेला था। नयी दुनिया में क्रिकेट खेले जाने का यह सबसे प्रारंभिक उल्लेख है।[79] 1721 में, ईस्ट इंडिया कंपनी के अंग्रेज़ नाविकों द्वारा बड़ौदा के पास कैम्बे में क्रिकेट खेले जाने की खबर है और यह भारत में क्रिकेट खेलने का सबसे प्रारंभिक सन्दर्भ है। भारत में और उसके बाद पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में क्रिकेट की शुरुआत और स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से हुई।[10]
अब टेस्ट क्रिकेट खेलनेवाले अन्य तीन देश 1725 तक अंग्रेज़ उपनिवेशवादियों द्वारा गृहित नहीं थे। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को आंशिक रूप से अबेल तस्मान ने 1640 के दशक[80] में खोजा था, लेकिन तब भी वहां क्रमशः ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी और माओरी आदिवासियों का ही निवास था। दक्षिण अफ्रीका में पहला यूरोपीय उपनिवेश मंगलवार 6 अप्रैल 1652 को स्थापित हुआ, जब डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने वर्तमान केप टाउन के पास टेबल की खाड़ी पर केप कॉलोनी की स्थापना की।[81]
ऐसा लगता है कि पूरे ब्रिटिश द्वीपों में फैलने से पहले क्रिकेट की शुरुआत अमेरिकी देशों और भारत में हो चुकी थी। इस अंग्रेज़ खेल के सबसे अधिक सफल क्लब यॉर्कशायर क्रिकेट के 1751 तक के रिकार्ड नहीं हैं। आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के क्रिकेट के प्रारंभिक उल्लेख और बाद 18वीं सदी में मिलते हैं।[10]
इंग्लैंड की समुद्री यात्रा और व्यापार प्रयोजनों ने विदेश में क्रिकेट के प्रसार को सुनिश्चित किया, जबकि देश में यह परिवहन और संचार सुविधा पर बुरी तरह निर्भर रहा, ये सभी अधिकांशतः जल-प्रसारित थे और यात्राएं समुद्र तटीय या नदी के जरिये जलयान से हुआ करतीं।[82] सड़क परिवहन में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था, 1706 में संसद ने पहली बार शुल्क मार्ग ट्रस्टों की स्थापना की, स्थानीय भूस्वामियों और व्यापारियों को लेकर बनाये गये ट्रस्टों द्वारा एक निश्चित लंबाई की सड़कों पर नियंत्रण रखा जाता था।[83] शुल्क मार्ग ट्रस्ट यातायात करके जरिये सड़कों के रखरखाव का काम किया करते। सड़क के रखरखाव के लिए यह व्यवस्था अगले साल 150 तक एक आम तरीका बन गयी और इंग्लैंड में क्रिकेट के प्रसार में इससे सहायता मिली।[82]
नोट्स और अवतरण
- ↑ अंडरडाउन, पृष्ठ 6.
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ क ख अल्थम, अध्याय 1.
- ↑ फ़्लैंडर्स के समय में मध्य डच उपयोगी भाषा थी।
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ क ख ग बार्ले, अध्याय 1.
- ↑ बौवेन, पृष्ठ 33.
- ↑ अ आ इ ई उ डेविड टेरी, द सेवेंथ सेंचुरी गेम ऑफ़ क्रिकेट: अ रिकंस्ट्रकशन ऑफ़ द गेम Archived 2009-06-21 at the वेबैक मशीन. 15 सितम्बर 2008 को पुनःप्राप्त.
- ↑ "लीच - 1597". मूल से 29 जून 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 मई 2010.. 4 मार्च 2009 को पुनःप्राप्त.
- ↑ अल्थम, पृष्ठ 24.
- ↑ जॉन अरौल्ट और फ्रेड ट्रूमैन, ऑन क्रिकेट, BBC बूक्स, 1977.
- ↑ अ आ इ ई बोवेन, पीपी. 261-267.
- ↑ मैककैन, अनुच्छेद 98, 361 और 377.
- ↑ बौवें, पृष्ठ 29.
- ↑ ऑक्सफोर्ड अंग्रेज़ी शब्दकोश "क्रैक (संज्ञा)" सेन्स I.5.c.
- ↑ गिओवानी फ्लोरियो इतालवी/अंग्रेज़ी शब्दकोष: अ वर्ल्ड ऑफ़ वर्ड्स Archived 2010-09-05 at the वेबैक मशीन (1598). 29 सितम्बर 2008 को पुनःप्राप्त.
- ↑ गिओवानी फ्लोरियो, क्वीन ऐना'स न्यू वर्ल्ड ऑफ़ वर्ड्स Archived 2010-02-02 at the वेबैक मशीन (1611), f. 144 और f. 198. 29 सितम्बर 2008 को पुनःप्राप्त.
- ↑ अ आ मैककैन, पृष्ठ xxxi.
- ↑ अंडरडाउन, पृष्ठ 4.
- ↑ अ आ मैककैन, पीपी. xxxiii-xxxiv.
- ↑ मैककैन, पृष्ठ xxxix.
- ↑ हेयगार्थ, पृष्ठ xvi.
- ↑ मैककैन, अनुच्छेद 2-24.
- ↑ अ आ इ वेबर, पृष्ठ 10.
- ↑ मैककैन, पीपी. xxxiv-xxxvii.
- ↑ मैककैन, पीपी. xxxviii-xxxix.
- ↑ अंडरडाउन, पीपी. 11-12.
- ↑ बोवेन, पृष्ठ 267, जल्द से जल्द आयरलैंड में जाना जाता मैच की तारीख के रूप में 1792 रिकॉर्ड.
- ↑ अ आ बोवेन, पृष्ठ 45.
- ↑ बिरले, पृष्ठ 7.
- ↑ बोवेन, पृष्ठ 47.
- ↑ अंडरडाउन, पृष्ठ 15.
- ↑ बिरले, अध्याय 3.
- ↑ बिरले, अध्याय 18.
- ↑ अल्थम, पृष्ठ 66.
- ↑ अल्थम, पीपी. 24-25.
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