हैदराबाद (पाकिस्तान)
हैदराबाद (पाकिस्तान) | |
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Pacco Qillo एक चूना पत्थर पर बनाया गया था जो गणजो ताकर के रूप में जाना जाता है। |
यह लेख पाकिस्तान के एक नगर के बारे में है, यदि आप भारत के नगर हैदराबाद के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां जाएं -हैदराबाद।' हैदराबाद पाकिस्तान में एक जिला है,यह 25डिग्री 25 मिनट के उत्तरी अक्षांश पर स्थित है।। यह नगर पुरातनकाल में सिंध प्रांत का एक विशिष्ट नगर माना जाता था।।
हैदराबाद पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त का एक प्रमुख नगर है। यह सिन्ध प्रान्त की राजधानी हुआ करता था और इत्र का शहर और हिन्दुस्तान का पैरिस के नामों से जाना जाता था।
'हैदराबाद ، [[पाकिस्तान] के सूबा [[सिंध] का दूसरा बड़ा शहर है। तकसीम-ए-हिंद के बाद पाकिस्तान के सूबा सिंध का दारा हुकूमत था। अब इंतिज़ामी एतबार से सिंध का एक डवीज़न की हैसियत रखता है। हैदराबाद आबादी के लिहाज़ से पाकिस्तान का आठवां बड़ा शहर है
तकसीम-ए-हिंद से क़बल, हैदराबाद एक निहायत ख़ूबसूरत शहर था और इस की सड़कें रोज़ [[गुलाब] के अर्क़ से नहलाई जाती थीं। बाद अज़ बर्तानवी राज, ये अपनी पहचान खोता रहा और अब उस की तारीख़ी इमारात खन्डर में तबदील हो गईं हैं
सयासी एतबार से हैदराबाद को एक अहम मुक़ाम हासिल है क्योंकि ये शहरी और देहाती सिंध के दरमयान एक दरवाज़े की हैसियत रखता है। यहां कई आलम और सूफ़ी दरवेशों की पैदाइश हुई है और इस शहर की सक़ाफ़्त इस बात की वज़ाहत करती है। इस के साथ साथ हैदराबाद दुनिया की सबसे बड़ी चौड़ीवं की सनअत गाह है। ये शहर पाकिस्तान के कुछ अहम तरीन तारीख़ी-ओ-तहज़ीबी अनासिर के पास वक़ूअ है। तक़रीबन110 किलोमीटर की दूरी पर [[उमरी] है जहां [[हड़प्पा की तहज़ीब|हड़प्पा की सक़ाफ़्त] से भी क़बल एक क़दीम तहज़ीब की दरयाफ़त की गई है। जहां ये शहर अपनी तहज़ीब-ओ-तमद्दुन के लिए जाना जाता है वहां उस के मैडीकल और तालीमी इदारे भी बहुत जाने माने हैं। हैदराबाद में तकसीम-ए-हिंद के बाद बनाई गई सबसे पहली [[यूनीवर्सिटी] का क़ियाम है
तारीख़
हैदराबाद [[पाकिस्तान] के सूबा [[सिंध] का दूसरा बड़ा शहर है। ये [1935-ए-]] तक सिंध का [[दार-उल-ख़लाफ़ा] था और अब एक ज़िला की हैसियत रखता है। अपनी मौजूदा शक्ल में इस शहर की बुनियाद [[मियान ग़ुलाम शाह कलहोड़ो] ने [1768-ए-] में रखी। इस से क़बल, ये शहर मछेरों की एक बस्ती थी जिसका नाम नय्यर वन कोट था
तक़सीम-ए-हिंद से क़बल, हैदराबाद एक निहायत ख़ूबसूरत शहर था और इस की सड़कें रोज़ [[गुलाब] के अर्क़ से नहलाई जाती थीं।{{हवाला दरकार} बाद अज़ बर्तानवी राज, ये अपनी पहचान खोता रहा और अब उस की तारीख़ी इमारात खन्डर में तबदील हो गईं हैं
सयासी एतबार से हैदराबाद को एक अहम मुक़ाम हासिल है क्योंकि ये शहरी और देहाती सिंध के दरमयान एक दरवाज़े की हैसियत रखता है। यहां कई आलम और सूफ़ी दरवेशों की पैदाइश हुई है और इस शहर की सक़ाफ़्त इस बात की वज़ाहत करती है। इस के साथ साथ हैदराबाद दुनिया की सबसे बड़ी चौड़ीवं की सनअत गाह है
नय्यर वन कोट(हैदराबाद, सिंध का क़दीम नाम
मौजूदा हैदराबाद शहर की जगह पहले नय्यर वन कोट नामी एक बस्ती क़ायम थी; ये संधो दरिया (अब दरयाए सिंध के किनारे मछेरों की एक छोटी बस्ती थी। इस का नाम उस के सरदार नय्यर वन के नाम से अख़ज़ किया जाता था। दरयाए सिंध के मुतवाज़िन में एक पहाड़ी सिलसिला वाक़्य है जिसे [[गंजू टाकर] कहते हैं। ये बस्ती जूँ-जूँ तरक़्क़ी करती गई वैसे ही दरयाए सिंध और उन पहाड़ों के दरमयान बढ़ने लगी। [[चच नामा] में एक सरदार का अक्सर ज़िक्र मिलता है जिसका नाम [[आगम लोहा ना] था। ये [[मंसूरा (ब्रहमन आबाद|ब्रहमन आबाद] शहर का सरदार था और इस की मिल्कियत में दो इलाक़े आते थे लोहा ना और सामा।636ए- में लोहा ना के जुनूब में एक बस्ती का ज़िक्र मिलता है जिसे नारायण कोट कहा गया है। तारीख़ नवीसों का मानना है कि नारायण कोट और नय्यर वन कोट एक ही बस्ती का नाम था
थोड़े ही अर्से में इस पहाड़ी सिलसिले पर कुछ बधमत पुजारी आ बसे। शहर में अच्छी तिजारत के ख़ाहिशमंद लोग इन पुजारियों के पास अपनी इल्तिजाएँ लेकर आते थे। ये बस्ती एक तिजारती मर्कज़ तो बन ही गई लेकिन इस के साथ साथ दूसरी अक़्वाम की नज़रें उस की इस बढ़ती मक़बूलियत को देखे ना रह सकें। नय्यर वन कोट के लोगों के पास हथियार तो थे नहीं, बस फ़सलें काशत करने के कुछ औज़ार थे। चुनांचे, जब711ए- में मुस्लमान अरबी अफ़्वाज ने इस बस्ती पर धावा बोला तो ये लोग अपना दिफ़ा ना कर सके और ये बस्ती तक़रीबन फ़ना हो गई यहां बस एक क़िला और इस के मकीन बाक़ी रह गए थे। बमुताबिक़ चच नामा, इस क़िला को नय्यर वन क़िला के नाम से जाना जाता था। [[मुहम्मद बिन क़ासिम|मुहम्मद बिन क़ासिम] अपने लश्कर समेत इस क़िला के बाहर आ खड़ा हुआ और राजा दाहर को अपनी आमद की इत्तिला भिजवाई।{{हवाला|नाम-ए-मोहम्मद_बिन_क़ासिम_और_नय्यर वन_क़िला|रब्तhttp://www.pdfbookspk.com/downloads/2015/07/fathe-nama-sindh-urf-chach-nama.html|अनवान=फ़त्हनामा उर्फ़ चच नामा|मुसन्निफ़=नबी-बख़्श ख़ान बलोच|तारीख़2008ए-|नाशिर=सिंधी अदबी बोर्ड|सफ़ा147–148|तारीख़ अख़ज़30 नवंबर2015-ए-} बाद अज़, मुहम्मद बिन क़ासिम ने क़िला को बग़ैर जंग-ओ-जतिन ही फ़तह कर लिया।ref name="मुहम्मद_बिन_क़ासिम_और_नय्यर वन_क़िला"/
शहर के लोग
हैदराबाद में ज़्यादा-तर लोग सिंधी हैं, क्योंकि अक्सर अश्ख़ास जो इस शहर में आते हैं वो अंदरून-ए-सिंध की जानिब से आते हैं। ये यहां पाकिस्तान के नामवर इदारे [[सिंध यूनीवर्सिटी] मैं पढ़ने आते हैं जो हैदराबाद से33 किलोमीटर की दूरी पर [[जाम शूरू] मैं वक़ूअ है। हैदराबाद में इस के इलावा[[बलोच] उर्दू, [[पुश्तो] और [[पंजाबी] बोलने वाले लोग भी मौजूद हैं। हैदराबाद शहर, क़बल तक़सीम, मुक़ाम पज़ीर सिंधीयों का रिहायशी इलाक़ा था लेकिन हुब्ब1947 के बाद [[हिन्दोस्तान] से [[मुहाजिर क़ौम] हिज्रत कर के शहर में दाख़िल हुए तो सिंधीयों और मुहाजिरीन में फ़सादाद छिड़ गए। मौजूदा हालात बेहतर हैं और दोनों अक़्वाम बाहम ख़ुश हैं मगर अक्सर वाक़ियात इन अलामात का इज़हार करते हैं। मज़ाहिब के एतबार से हैदराबाद के लोग ज़्यादा-तर [[मुस्लमान] हैं जबकि एक ख़ासिर मिक़दार में [[हिंदू|सिंधी हिंदू] भी यहां रहाईश पज़ीर हैं। तक़रीबन2 फ़ीसद आबादी मुक़ामी ईसाईयूं की है
- हैदराबाद में अल्लाह के नेक विमकबूल बंदों(औलिया-ए-अल्लाह)के मज़ारात भी हैं जिनमें मशहूर मज़ारात औलिया-ए-हैं "अबदालोहाब शाह जीलानी,"सय्यद महमूद शाह अलवरी"अब्बू अहमद मुफ़्ती ख़लील मियां बरकाती कादरी और डाक्टर ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ां के नाम काबिल-ए-ज़िक्र हैं
मौसम
बिहार हैदराबाद की हरशामि ठंडी हुआ चलने की वजह से दुनियाभर में मशहू रहे।मौसम कैसा ही गर्म यासरदहोशामि होते ही दरयाए सिंध की ठंडी और ताज़ा हुआ यहां के शहरीयों की दिन-भर की थकन दूर कर देती है इसी हुआ की वजह से एक सड़क(शाहराह)ठंडी सड़क के नाम से मौसूम है
तालीम
तक़सीम से क़बल, हैदराबाद के बाशिंदों के लिए तालीम का जो निज़ाम था वो इस काबिल ना था कि हिन्दोस्तान के नामवर इदारों में इस का शुमार होता। अब क्योंकि ये शहर अंदरून-ए-सिंध को शहरी आबादी से जा मिलाता था, यहां स्कूलों, कॉलिजों और यूनीवर्सिटीयों की अशद ज़रूरत आ निकली और ऐसे इदारों का होना लाज़िम हो गया
- देनी उलूम वफ़नून को आम करने और मुस्लमानों को बुनियादी इस्लामी तालीम से आरास्ता करने के लिए हैदराबाद शहर के वस्त में आशिक़ान रसूल की मदनी तहरीक दावत इस्लामी के तहत अज़ीमुश्शान इलमी इदारा बनाम "जामा क़ायम है जो आफ़ंदी टाउन में है इस दीनी तालीमी इदारे मैं आलम कोर्स"दरस निज़ामी के साथ साथ क़ुरआन वहदेट फ़िक़्ह उसूल-ए-फ़िक़ा और इस्लामी मालूमात के दीगर कूरसुसज़् भी कर वैजात्य हैं
- तब्लीग़ क़ुरआन-ओ-संत की आलमगीर ग़ैर सयासी तहरीक दावत इस्लामी केतहत"हैदराबाद"शहर में"मदरस की कई शाख़ें क़ायम हैं। इस की मर्कज़ी शाख़ आ फिन्डी टाउन हैदराबाद में है।यहां पर बच्चों(मदनी मनों और बच्चीयों(मदनी मनियों को क़ुरआन पाक हिफ़्ज़ करवाने और नाज़रा परहाने की तालीम"फ़ी सबील अल्लाह"(मुफ़्त)दी जाती है नीज़ अख़लाक़ी और इस्लामी तर्बीयत का भी ख़ुसूसी एहतिमाम है
सनअत और तिजारत
हैदराबाद सनअत और तिजारत के लिहाज़ से पाकिस्तान के अहम शहरों में शुमार होता है। यहां की अहम सनअतों में चौड़ी, चमड़ा, कपड़ा और दीगर सनअतें शामिल हैं। हैदराबाद चैंबर आफ़ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री यहां के ताजिरों और सनअत कारों की नुमाइंदा तंज़ीम है
खेल
हैदराबाद में एक अदद [[क्रिकेट स्टेडीयम] है जिसका नाम [[नयाज़ स्टेडीयम] है। इस में25،000 लोगों के बैठने की गुंजाइश है और यहां दुनिया की सबसे पहली [[हैट ट्रक] सन [1982-ए-] मैं बनाई गई थी। हैदराबाद में एक [[हाकी स्टेडीयम] भी है। आज तक पाकिस्तान इस ग्रांऊड पर ना ही कोई टैस्ट मैच हारा है और ना ही कोई एक रोज़ा। एशिया में खेले जानेवाले पहले क्रिकेट वर्ल्ड कप का पहला मैच भी इसी स्टेडीयम में खेला गया था जो पाकिस्तान और वेस्ट-इंडीज की टीमों के दरमयान खेला गया था और पाकिस्तान की टीम इस में फ़त्हयाब हुई थी
रेल
[[हैदराबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन] शहर के वस्त में वाक़्य है। ये शुरू मेंScinde Railway का हिस्सा थी और अंग्रेज़ों ने उसे ख़रीद कर [[शुमाली-मग़रिबी रेल] का एहतिमाम किया जो अब [[पाकिस्तान रेलवे] है। हैदराबाद एक बड़े [[रेल जंक्शन] की हैसियत रखता है इस रेलवे स्टेशन पर मुल्क भर से आने और जानेवाली हर रेल-गाड़ी रुकती और मुसाफ़िरों को अपनी मंज़िल-ए-मक़्सूद पर ले जाती है। कराची से हिन्दोस्तान बरास्ता मीरपुर ख़ास और खोखरापार जाने वाली ट्रेन भी इसी शहर से गुज़र कर जाती है हैदराबाद रेलवे स्टेशन केपीलट फ़ार्म नंबर1 पर नमाज़ बाजमाअत अदा करने के लिए अज़ीम उल-शान"जामा मस्जिद भी क़ायम है जहां पंजवक़्ता नमाज़ें अदा की जाती हैं नीज़ हर प्लेटफार्म पर जाएनमाज़ भी क़ायम है
मशाहीर हैदराबाद
- मौलाना मुहम्मद सईद जदून रह (दीनी सयासी समाजी शख़्सियत मुहतमिम जामिआ अरबिया को उल-इस्लाम ग़रीब आबाद ख़लीफ़-ए-मजाज़ वबैअत हज़रत मौलाना पैर अबदुलक़ुद्दूस नक़्शबंदी रह-ओ-साबिक़ अमीर अहलसन्नत वालजमाअत ज़िला हैदराबाद
- प्रोफ़ैसर [[इनायत अली ख़ान|इनायत अली ख़ा] नून (शायर
- [[मुहम्मद अली भट्टी] (मुसव्विर
- डाक्टर जावेद लग़ारी
- अबदुलवहीद क़ुरैशी (दीनी-ओ-समाजी रहनुमा)
- मियां मुहम्मद शौकत मरहूम (साबिक़ अमीर जमात-ए-इस्लामी ज़िला हैदराबाद
- मौलाना वसी मज़हर नदवी मरहूम (साबिक़ मेयर हैदराबाद, साबिक़ वफ़ाक़ी वज़ीर मज़हबी उमूर
- सय्यद इफ़्तिख़ार अली काज़मी (माहिर-ए-तालीम
- [[कँवर नवेद जमील]
- मिश आलिम
- [[डाक्टर यूसुफ़ खिलजी]