हेनरी सिजविक
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| व्यक्तिगत जानकारी | |
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| जन्म | 31 मई 1838 Skipton, Yorkshire | 
| मृत्यु | 28 अगस्त 1900 (उम्र 62) Cambridge, Cambridgeshire | 
| वृत्तिक जानकारी | |
| युग | 19th-century philosophy | 
| क्षेत्र | Western Philosophy | 
| विचार सम्प्रदाय (स्कूल) | Utilitarianism | 
| मुख्य विचार | Ethics, politics | 
| प्रमुख विचार | Ethical hedonism, paradox of hedonism | 
हेनरी सिजविक (१८३८-१९००) प्रसिद्ध अंग्रेज दार्शनिक थे।
३१ मई को यार्कशायर में जन्म हुआ। प्रथम महत्वपूर्ण पद के रूप में उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज की फेलोशिप मिली। बाद में उन्हें वहीं क्लासिकी साहित्य का प्राध्यापक नियुक्त किया गया। १८७४ में उनकी पहली महत्वपूर्ण कृति 'नैतिकता की पद्धति' शीर्षक प्रकाशित हुई। १८८३ में दुबारा उन्हें नीति-दर्शन विषय का नाइटब्रिज प्राध्यापक नियुक्त किया गया। इसके उपरांत अपनी विशिष्ट दार्शनिक मान्यताओं की प्रस्थापना के लिए उन्होंने 'सोसाइटी फार साइकिकल रिसर्च' की स्थापना की। मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के अध्ययन में उन्हें गहरी रुचि थी। ईसाइयत को मानव कल्याण का साधन मानते हुए भी धार्मिक दृष्टि से उन्होंने उसका समर्थन नहीं किया। समाजशास्त्रीय विचारों में वे जॉन स्टुअर्ट मिल और बेंथम की तरह उपयोगितावादी थे।