हिमालयी तहर
हिमालयी तहर | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी |
वर्ग: | स्तनधारी |
गण: | समखुरीयगण |
कुल: | बोविडी |
उपकुल: | कैप्रिनी |
वंश: | हॅमिट्रैगस |
जाति: | एच. जमलैहिकस |
द्विपद नाम | |
हॅमिट्रैगस जमलैहिकस (सी. एच. स्मिथ, १८२६) | |
विस्तार क्षेत्र |
हिमालयी तहर Himalayan tahr (Hemitragus jemlahicus) जंगली बकरी से संबन्धित एक एशियाई समखुरीयगण प्राणी है। तहर प्रजाति के तीन बची हुई जातियाँ हैं और तीनों एशिया में ही पाई जाती हैं। यह हिमालय में दक्षिणी तिब्बत, उत्तरी भारत और नेपाल का मूल निवासी है। इसे न्यूजीलैंड, दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों और दक्षिण अफ्रीका में एक विदेशी प्रजाति के रूप में रोपित किया गया है। इन क्षेत्रों में इसकी आबादी को नियंत्रित करने और इन इलाकों के पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके आने से पड़े प्रभाव को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
नाम की व्युत्पत्ति तथा वर्गीकरण
तहर नाम नेपाली भाषा उत्पन्न हुआ है और अंग्रेज़ी भाषा में सबसे पहली बार सन् १८३५ में देखा गया।[2] इसके सबसे नज़दीकी जीवित रिश्तेदार भेड़ और बकरी हैं।[3]
विवरण
इसका सिर छोटा, छोटे नुकीले कान, बड़ी आँख और सींग होते हैं जो नर और मादा भिन्न होते हैं।[3] इनके सींगों की अधिकतम लंबाई ४६ सेंटीमीटर तक हो सकती है। इनमें लैंगिक असमानता होती है और मादाएँ वज़न और आकार में नर से छोटी होती है और इसके सींग भी नर से छोटे हैं। सींग पीछे की ओर मुड़े हुए होते हैं जिससे प्रजनन काल के दौरान गंभीर चोट लगने से बचाव होता है क्योंकि प्रजनन काल में नरों द्वारा अधिक मादाएँ पाने के लिए नरों द्वारा आपस में सिर टकराना एक आम प्रथा है। एक औसत तहर आमतौर पर १३५-१८० किलोग्राम के बीच वज़नी होता है और इसकी ऊंचाई इसकी लंबाई की तुलना में कम होती है।[4] तहर का बाहरी हिस्सा (खाल, चर्बी इत्यादि) अच्छी तरह से हिमालय की कठोर जलवायु के लिए अनुकूल है। इसकी खाल में मोटे लाल ऊनी कोटनुमा बाल होते हैं और खाल का अन्दुरुनी हिस्सा भी मोटा होता है जो कि इसके आवास क्षेत्र का सूचक है। यह कोट सर्दियों के अंत के साथ पतला होता जाता है और इसका रंग भी हल्का हो जाता है। यह बदलाव संभवतः इसे हिमालय पर्वत के कठोर तापमान में अपने आंतरिक शरीर के तापमान को समायोजित करने में कारगर साबित होता है।
स्तनधारियों के अंतर्गत खुरदार प्राणियों के सदस्य के रूप में, हिमालयी तहर एक सम खुरदार प्राणी है। इसने पहाड़ी इलाके में चिकनी और खुरदुरी, दोनों ही प्रकार की सतहों में सहज रूप से पकड़ बनाने और ढलान में संतुलन बनाये रखने की अद्वितीय क्षमता में अपने को ढाल लिया है। यह उपयोगी विशेषता इसको अपनी गतिशीलता बनाये रखने में भी मदद करता है। इसके खुर का अन्दुरुनी हिस्सा रबर की तरह होता है जो उसे चिकने पत्थरों को पकड़ने में मदद करता है और किनारा कठोर केराटिन का होता जो उसे अत्यधिक घिसने से बचाता है।
हिमालयी तहर की औसतन आयु १४ से १५ वर्ष की होती है और मादा नर से ज़्यादा जीवित रहती है। बन्दी अवस्था में सबसे लंबी आयु २२ वर्ष दर्ज की गई है।
प्रजनन
नर एक से अधिक मादा के साथ संभोग करता है और ज़्यादा से ज़्यादा मादा पाने के लिए अन्य नरों से कड़ा मुकाबला करता है। छोटी उम्र के नर मौका परस्त होते हैं और बड़े नरों से नज़र बचा कर मादाओं के साथ संभोग कर लेते हैं जबकि बड़े नर (४ वर्ष से अधिक उम्र) प्रथा के अनुसार आपस में लड़ाई करके यह तय करते हैं कि कौन मादाओं के साथ संभोग करेगा। कौन नर हावी होता है इसके कारक आकार, वज़न और टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा होते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि खाल का रंग भी नर की सफलता में योगदान देता है; हल्के रंग की खाल मद में आई मादा को प्रभावित करता है। गर्भ काल अमूमन १८० से २४२ दिन तक का होता है और सामान्यतय: एक ही शावक का जन्म होता जो पैदा होने के कुछ ही समय के उपरान्त चलने-फिरने लगता है।
आहार
यह पूर्णतया शाकाहारी जीव है और घास, कुछ प्रकार के फल, पौधे और पत्तियाँ खाता है। यह भी अन्य गौ कुल के जीवों की तरह जुगाली करने वाला जीव है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Bhatnagar, Y.V. & Lovari, S. (2008). "Hemitragus jemlahicus". IUCN Red List of Threatened Species. Version 2012.2. International Union for Conservation of Nature. अभिगमन तिथि १९ जून २०१३.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
- ↑ Simpson, J. A.; Weiner, E. S. C. (१९८९). The Oxford English Dictionary. 20 (2nd संस्करण). New York: Oxford University Press.
- ↑ अ आ Theodor, Jessica M (2001). “Artiodactyla (Even-Toed Ungulates Including Sheep and Camels)”. John Wiley & Sons, Ltd. अभिगमन तिथि २१ जून २०१३.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "Himalayan tahr (Hemitragus jemlahicus)". Arkive. मूल से 14 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ जून २०१३.