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हित द्वंद्व

हित द्वंद्व (conflict of interest) ऐसे न्याय-विरुद्ध या अनौचित्य की परिस्थिति होती है जिसमें कोई व्यक्ति या संगठन एक से अधिक हितों या ध्येयों को प्राप्त करने में लिप्त हो जिनमें आपसी टकराव है। भ्रष्टाचार अक्सर हित द्वंद्व की परिस्थितियों में जन्म लेता है, जब कोई सरकार या संस्था किसी व्यक्ति को किसी सामूहिक हित-प्राप्ति के कार्यों में निर्णय लेने का अधिकार दे और वह व्यक्ति इन अधिकारों का प्रयोग किसी व्यक्तिगत हित-सिद्धि के लिये करे।[1][2]

उदाहरण
  • कोई व्यक्ति किसी नौकरी के लिए ली जाने वाले साक्षात्कार की समिति का एक सदस्य है। उसका बेटा या कोई निकट सम्बन्धी यदि उस नौकरी के लिए साक्षात्कार हेतु आता है या आने वाला है तो यह एक हितद्वंद्व की स्थिति है।
  • कोई अध्यापक कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता है। वह किसी समिति का सदस्य है जो एक कक्षा के छात्रों की मौखिक परीक्षा लेने वाला है। इन छात्रों में वे छात्र भी सम्मिलित हैं जो उन अध्यापक से ट्यूशन पढ़ते हैं। यहाँ भी हित द्वन्द्व का मामला है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Acocella, N. and Di Bartolomeo, G. and Piacquadio, P.G. [2009], ‘Conflict of interest, (implicit) coalitions and Nash policy games’, in: ‘Economics Letters’, 105: 303-305.
  2. "Universal's English - Hindi Legal Dictionary: विधि शब्दावली, Dansingh Suganchand Chaoudhary and Prof. Praveen Kumar Dansingh Choudhary, Universal Law Publishing, 2012, ISBN 9788175348752