हिण्डौन
हिण्डौन Hindaun | |
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मटिया महल | |
हिण्डौन राजस्थान में स्थिति | |
निर्देशांक: 26°44′N 77°02′E / 26.74°N 77.03°Eनिर्देशांक: 26°44′N 77°02′E / 26.74°N 77.03°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | राजस्थान |
ज़िला | करौली ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,05,452 |
भाषा | |
• प्रचलित | राजस्थानी, हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 322230 |
हिण्डौन (Hindaun) भारत के राजस्थान राज्य के करौली ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
विवरण
हिण्डौन एक ऐतिहासिक व पौराणिक शहर है। यह शहर अरावली पहाड़ी के समीप स्थित है। प्राचीनकाल में हिण्डौन शहर मत्स्य के अंतर्गत आता था। मत्स्य शासन के दौरान बनाए गई प्राचीन इमारतें आज भी मौजूद हैं। भागवतपुराण के अनुसार हिण्डौन, भक्त प्रहलाद व हिरण्यकश्यप की कर्म भूमि रही है। महाभारतकाल की राक्षसी हिडिम्बा भी इसी शहर में रहा करती थी। हिण्डौन, ऐतिहासिक मंदिरों व इमारतों का गढ़ माना जाता है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
यह एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर राजस्थान के पूर्व में हिण्डौन उपखण्ड में बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से 156 किलोमीटर पूर्व स्थित है। यह नगर देश में लाल पत्थरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के बहुत मंदिर यहाँ स्थित है। यह शहर राजस्थान के करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र(राजस्थान) लगता है। यहाँ का नक्कश की देवी - गोमती धाम का मंदिर तथा महावीर जी का मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है ! हिण्डौन शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ क्षेत्र है !यहाँ की आबादी लगभग 1.35 लाख है। अमृत योजना में 151 करोड़ राजस्थान सरकार द्वारा स्वीक्रत किये गये हैं।[3]
इतिहास
भागवत पुराण के अनुसार
प्राचीन समय में शहर मत्स्य साम्राज्य के अधीन आया, जिस पर मीणा लोगों ने शासन किया गया था और मीना की एक बड़ी आबादी निकटवर्ती गांवों में देखी जा सकती है। मत्स्य साम्राज्य के शासनकाल के दौरान बनाए गए शहर में अभी भी कई प्राचीन संरचनाएं मौजूद हैं। परंपरागत रूप से कुछ पौराणिक कहानियों में यह शहर हिरण्यकश्यप और भक्त प्रहलाद की पौराणिक कथाओं के साथ भागवत पुराण में वर्णित है।
स्थानीय परंपरा हमें बताती है कि हिण्डौन (हिंडन) प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप की राजधानी थी। इस तथ्य के कारण क्षेत्र हिराणकस की खेर के रूप में जाना जाता है। स्थानीय भाषा में खेर का मतलब है "राजधानी" यह भी हिराणकस का मंदिर, प्रहलाद कुंड, न्रीसिंह मंदिर, हिरनाकस का कुआ और धोबी पाखड़ जैसे स्मारकों के अस्तित्व के द्वारा पुष्टि की गई है। करीब 40 साल पहले हिरनाकस के मंदिर में हिराणकस का एक मूर्तिकार था, लेकिन अब इसे राम के स्थान पर ले लिया गया है और मंदिर रघुनाथ मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हो गया है। हिरनाकस का कुआ शहर के केंद्र में स्थित है और भोरान मंदिर के आसपास के खंडहर हैं। करौली इलाके में लंगा भरण (लंगुर) बहुत लोकप्रिय है। माना जाता है कि धोबी पछाड़ एक ऐसा स्थान है जहां महल से प्रहलाद को फेंक दिया गया था। वहाँ भी एक जगह है होलिका दाह कहा जाता है जहां होलिका को प्रहलाद को जलाने की कोशिश की लेकिन वह खुद आग में नष्ट हो गया था
हिण्डौन का नाम प्रहलाद के पिता प्राचीन हिंदू राजा हिरण्यकश्यपु के नाम पर रखा गया है। हिरण्यकश्यप को मारने वाले हिंदू भगवान विष्णु के अवतार नारसिंह के लिए मंदिर, हिरण्यकश्यपु और प्रहलाद के आसपास के पौराणिक कथाओं के साथ शहर के संबंध को दर्शाता है।हिरणकश्यप के वंशज हिंडोल(हिंडौन) जाट कहलाते हैं।महाराजा सूरजमल ने हिंडोल(हिण्डौन)जाट वहानसिंह को साथिनी(इगलास के समीप) जागीरी प्रदान की थी।वहाण सिंह के चार बेटे थे उनके चार बेटों के नाम मानसिंह, विजयराम, जीवर राम, चुरामन था । मानसिंह ने मान गाँव, चुरामन ने चुहरा गाँव , विजयराम ने पिठैर गाँव व जीवरराम ने दिसवार गाँव की जागीरी थी।मुगल कालीन जयपुर करौली के मध्य हुए पत्र व्यवहार से इस बात का पता चलता है कि हिण्डौन में बाबूराम जाट(बालूसिंह)शक्तिशाली व्यक्ति था। और हिंडौन बालूसिंह के अधीन था।[4]हिण्डौन में 16 खम्भो की बारादरी का निर्माण भी बालूसिंह ने करवाया था।
हिण्डौन और महाभारत
हिण्डौन भी महाभारत के युग के साथ जुड़ा हुआ है। यह माना जाता है कि शहर का नाम हिडिंब से लिया गया है, हिडि़ंब की बहन, एक राक्षस। कौरवों ने पांडवों को मारने की कोशिश की थी, जब वे लाक्षागृह में रह रहे थे लेकिन पांडव भागने में कामयाब हुए और वे तत्कालीन मत्स्य साम्राज्य में चले गए, वर्तमान में अलवर क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। भीम,पांडव ब्रदर्स में से एक, जब वह हिरण्य करन वान या वन में भटक रहा था तो हिडिंब से मिले। हिडिम्बा भीम के साथ प्यार में गिर गई और उससे शादी करना चाहती थी। हिडिंब के भाई हिडि़फ, भीम से लड़े एक राक्षस, लेकिन वह भीम द्वारा मारे गए। भीम और हिडिम्बा का विवाह हुआ और उनका एक बेटा घटोत्कच था, जो एक महान योद्धा था और महाभारत के युद्ध के दौरान इस वीर का निधन हो गया।
पुरातन दुर्ग और भवन
वारादरी देवी का दुर्ग
हिण्डौन में इस बात के निश्चित प्रमाण है कि राणा सांगा तथा रणथम्भौर के शासक हम्मीर के समय में हिण्डौन भी एक राजा की राजधानी थी। यहाँ भी एक किला था जिसे गढ के नाम से जाना जाता था। इसमें एक कचहरी थी, एक महल था, उसके चारों ओर मिट्टी की ऊंची दीवार थी और उसके चारों ओर गहरी खाई। सब कुछ खत्म हो गया और अब किले के स्थान पर मोहन नगर बस गया जो कि हिण्डौन की सबसे बड़ी काँलोनी है। मोहन नगर को ही पहले मोहनगढ़ व वारादरी देवी किला के नाम से जाना जाता था। कचहरी आज भी मौजूद है।
हिण्डौन दुर्ग (पुरानी कचहरी)
हिण्डौन शहर के पुरानी कचहरी परिसर में स्थित 14 वीं सदी से पूर्व का ऐतिहासिक किला है। यह किला पुराने हिण्डौन के शाहगंज के पास एक ऊचे टीले पर स्थित है, जिसे पुरानी कचहरी के नाम से जाना जाता है। इसमे एक सुंदर महल और प्राचीन कचहरी भी है। इस समय इसकी स्थिति अतिदयनीय है, अब यहाँ केवल महल और कचहरी शेष बची है जोकि धीरे धीरे खण्डर में परिवर्तित होते जा रहे हैं।इस किले का निर्माण प्रारम्भ में हिरण्यकश्यप के वंशज हिण्डौन(हिंडोल) गोत्रीय जाटों ने किया था।[5]हिंडौन (हिंडोल)गोत्र के जाटों के 22 गांव अलीगढ़ क्षेत्र में आबाद है।
मटिया महल
मटिया महल एक बहुत प्राचीन महल है। यह बहुत मनोहर महल है, लेकिन इस इस समय इसकि स्थिति बहुत खराव है। यह ध्यान केंद्रित करने वाली इमारत है, यह पर्यटकों के लिए अच्छा आकर्षण बन सकती है, महल एक विशेष बात यह है कि यह लाल सेंड स्टोन का बना हुआ है। इसमें सीमेंट पेस्ट का उपयोग नहीं करते हुए, विशेष प्रकार की मिट्टी और लाल पत्थर का उपयोग किया है
स्थान
हिण्डौन ऐतिहासिक शहर है। यह नगर परिषद , करौली राजस्थान के जिले की सूची जिला [ उत्तरी भारत में भारत राज्य का राजस्थान के अरवल्ली रेंज के आसपास स्थित है और दिल्ली और मुंबई के बीच की मुख्य रेलवे ट्रैक पर है। यह एक उप-विभागीय मुख्यालय है इसकी जनसंख्या लगभग 1.35 लाख है शहर में 57 वर्ग किलोमीटर (वर्ग मील) का क्षेत्र शामिल है। गर्मियों में तापमान 25 से 45 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में तापमान 5 से 23 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। इसकी औसत ऊंचाई 235 मीटर (771 फीट) है। राज्य की राजधानी जयपुर का विरोध 150 किमी के आसपास है हिंडौन राजस्थान के पूर्वी भाग में स्थित है (भारत में उत्तर-पश्चिमी राज्य) अरवल्ली रेंज के आसपास के क्षेत्र में शहर आधुनिक सड़कों से जयपुर, आगरा, अलवर, धौलपुर, भरतपुर, राजस्थान, भरतपुर के साथ जुड़ा हुआ है। यह {Converted | 235 |m}} की औसत ऊंचाई है जयपुर की राज्य की राजधानी से इसकी दूरी लगभग 150 & nbsp; किमी है
उद्योग
शहर अपने बलुआ पत्थर के लिए जाना जाता है शहर को अपने रेत पत्थर के लिए विश्व स्तर पर प्रशंसित किया गया है। उपमहाद्वीप में बलुआ पत्थर का सबसे बड़ा मार्ट मूल रूप से पत्थर उद्योग यहां खिल गए हैं। लाल किले और दिल्ली और जयपुर के अक्षरधाम मंदिर इस रेत पत्थर से बने होते हैं। उपमहाद्वीप में बलुआ पत्थर का सबसे बड़ा मार्ट लाल किला और [[अक्षरधाम (दिल्ली)] दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर]], अम्बेडकर पार्क, लखनऊ और जयपुर इस बलुआ पत्थर से बना है स्लेट उद्योग यहां अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और राज्य में सर्वोच्च रैंक है। स्लेट विदेश में भी ले जाया जाता है। विभिन्न लघु उद्योगों जैसे कंडल, बल्ती, लकड़ी के खिलौने भी मौजूद हैं।
लघु उद्योग
- लोहा फैक्टरी
- नमकीन कारखाने
- चाय कारखाने
- पाइप और बीओएलएस कारखाने
- पेंट फैक्टरी
- शिक्फैक्टरी
यहाँ एक बहुत बड़ी बड़ी मात्रा में लाख की चूड़ी बनाते हैं।
भूगोल और स्थान
हिण्डौन ब्लॉक राजस्थान के पूर्वी भाग में अरावली रेंज के आसपास स्थित है। यह पूर्व में मासलपुर द्वारा, उत्तर-पूर्व में बयाना भरतपुर जिला द्वारा, उत्तर में महवा उपजिला द्वारा, टॉडभीम तहसील द्वारा पश्चिम तक; करौली उपजिला द्वारा दक्षिण तक और गंगापुर उपजिला सवाई माधोपुर जिला द्वारा दक्षिण पश्चिम तक घिरा हुआ है। अच्छा ग्रेड पत्थर, स्लेट और कुछ लौह अयस्क क्षेत्र के खनिज संसाधन शामिल हैं।
जलवायु
विशिष्ट गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम के साथ उपोत्पादक, गीली जलवायु।
हिण्डौन सिटी की जलवायु सूचना | |||||||||||||
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माह | जनवरी | फ़रवरी | मार्च | अप्रैल | मई | जून | जुलाई | अगस्त | सितम्बर | अक्टुम्बर | नवम्बर | दिसम्बर | वर्ष |
औसत उच्च तापमान °C (°F) | 20 (68) | 25 (77) | 34 (93) | 38 (100) | 44 (111) | 42 (108) | 39 (102) | 37 (99) | 36 (97) | 34 (93) | 29 (84) | 25 (77) | 33.6 (92.4) |
औसत निम्न तापमान °C (°F) | 8 (46) | 12 (54) | 18 (64) | 23 (73) | 27 (81) | 29 (84) | 27 (81) | 26 (79) | 25 (77) | 20 (68) | 15 (59) | 10 (50) | 20 (68) |
औसत वर्षा सेमी (इंच) | 0.35 (0.138) | 0.27 (0.106) | 0.32 (0.126) | 0.35 (0.138) | 0.9 (0.35) | 3.26 (1.283) | 8.89 (3.5) | 6.44 (2.535) | 3.42 (1.346) | 0.45 (0.177) | 0.10 (0.039) | 0.08 (0.031) | 24.83 (9.769) |
स्रोत: फोरेका |
- सर्वोच्च तापमान = 44.0 डिग्री सेल्सियस (मई-जून)
- निम्नतम तापमान = 8.0 डिग्री सेल्सियस (दिसंबर-जनवरी)
- औसत वर्षा = 950 मिमी
- मानसून = जून से अक्टूबर
- आर्द्रता = 10-20% (गर्मी), 78% (बरसात)
- भ्रमण समय = मार्च-सितंबर
पर्यटक आकर्षण
शहर में आकर्षण के मुख्य स्थान हैं: प्रहलादुक्कड़, वन, हिरण्यकश्यप का कुआ, महल और नरसिंघजी मंदिर, श्री महावीर मंदिर जैन धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। जगर, कुंडेवा, दंघाति, सुरथ किला, मोरध्वाज शहर, गढमोरा और पदमपुरा का महल, तिमनगढ़ किला, सागर झील, ध्रुव घाटा और नंद-भाईजई का मकसद जगगर बांध हैं। कुछ लोकप्रिय आकर्षण देसी चामुंडा माता मंदिर, चिनायता और चामुंडामाता मंदिर के मंदिर, शहर के समतल हिस्से में संकरघाता, नकके की देवी - गोमती धाम (शहर के दिल मंदिर) के निकट आसन्न पवित्र तालाब के साथ जलासन कहा जाता है।
नक्कश की देवी - गोमती धाम
नक्कश की देवी - गोमती धाम को हिण्डौन सिटी का हृदय कहा जाता है। यह हिण्डौन सिटी के मध्य में स्थित है। यह माता दुर्गा के एक रूप नक्कश की देवी का मंदिर है। कहा जाता है कि जब संत श्री गोमती दास जी महाराज यहाँ पर आए थे तो उन्हें रात्रि को कैला माता ने स्वप्न में अपने एक पीपल के नीचे दवे होने की सूचना दी। अगले ही दिन वहाँ खुदाई करने पर माता की दो चमत्कारी मूर्तियां मिली जिन्हें वहीं स्थापित कर माता का मंदिर बनवाया। मंदिर के पीछे की तरफ परम पूज्य ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 गोमती दास जी महाराज का विशालकाय मंदिर उनके शिष्यों द्वारा बनाया गया। जिसमें उनकी समाधि भी स्थित है। यहाँ पर चमत्कारी शिव परिवार, पँचमुखी हनुमानजी की प्रतिमा, राम मंदिर, यमराज जी आदि के मंदिर स्थित हैं। यहाँ पर एक वाटिका स्थित है। इसे गोमती धाम के नाम जाना जाता है। इसके एक तरफ विशालकाय तालाब जलसेन स्थित है।
नरसिंह जी मंदिर
नरसिंह जी मंदिर, हिण्डौन शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर, एक गुफा के रूप में स्थित है। हिन्दू पुराणों के अनुसार नरसिंह, भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के उद्देश्य से अवतरित हुए थे। अब इस मंदिर का
पहाड़ी क्षेत्र (हिल स्टेशन)
यहाँ मुख्यालय से 8-10 किलोमीटर दूर पूर्व की ओर बहुत विशालकाय पहाड़ी क्षेत्र स्थित है। जिसे हिण्डौन का डाँग इलाका के नाम से भी जानते है। यह हिण्डौन के वन क्षेत्र का एक भाग है। यहाँ आस पास छोटे-छोटे गाँवों वसे है। यह बहुत मनोरम क्षेत्र है। यहाँ के पास में ही जगर बाँधहै। शहर से लगभग 10-12 किलोमीटर दूरी पर स्थित खानवाड़ा (दांत का पुरा) गांव स्थित है। जो अत्यन्त रमणीय जैव विविधता तथा लाल पत्थर के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
तिमनगढ दुर्ग
तीमनगढ़ हिण्डौन सिटी के निकट है। इस किले का निर्माण 12वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। अपने समय में तिमनगढ़ स्थानीय सत्ता का केंद्र था। 1196 में यहां के राजा कुंवर पाल का हराकर मोहम्मद गौरी और उनके सेनापति कुतुबुद्दीन ने इस पर अपना कब्जा कर लिया था। इसके बाद राजा कुंवर पाल को रेवा के एक गांव में शरण लेनी पड़ी। किले के मुख्य द्वार पर मुगल स्थापत्य कला का प्रभाव दिखाई पड़ता है। लेकिन किले के आंतरिक हिस्सों पर यह प्रभाव नहीं है। इसकी दीवारें, मंदिर और बाजार अपने सही रूप में देखे जा सकते हैं। किले से सागर झील का विहंगम दृश्य भी देखा जा सकता है।
श्री कैला देवी मंदिर, करौली
श्री कैला देवी जी मंदिर हिण्डौन सिटी से 53 किलोमीटर दूर स्थित है। यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 1100 ई. में हुई थी। श्री कैला देवी पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों की आराध्य देवी हैं। प्रतिवर्ष करीब 60 लाख श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं। यह मंदिर देवी दुर्गा के 9 शक्तिपीठों में से एक है। चैत्र नवरात्रों में यहां मेले का आयोजन किया जाता है।[कृपया उद्धरण जोड़ें]
- कैला देवी अभ्यारण्य
मुख्य लेख : कैला देवी अभयारण्य (53 किलोमीटर) यह अभ्यारण्य हिण्डौन सिटी से 53 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। इस अभ्यारण्य की सीमा कैलादेवी मंदिर के पास से शुरु होकर करन पुर तक जाती हैं और रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से भी मिलती हैं। कैला देवी अभ्यारण्य में नीलगाय, तेंदुए और सियार के अलावा किंगफिशर में मिलते हैं।
श्री महावीरजी में मंदिर
जैन मंदिर श्री महावीरजी: श्री चंदनपुर महावीरियां जैनों की एक चमत्कारी तीर्थयात्री है। राजस्थान के करौली जिले के हिंडोन उप जिले में स्थित यह तीर्थ प्राकृतिक सौंदर्य के साथ शानदार है। नदी के किनारे पर बने इस तीर्थयात्रा जैन भक्तों के लिए भक्ति का एक प्रमुख केंद्र है। चंदनपुर महावीरजी मंदिर तीर्थयात्रा के दिल के रूप में स्वागत किया गया है। यह जैन धर्म का एक पवित्र स्थान है।
तीर्थस्थल मंदिर के प्रमुख देवता भगवान महावीर की प्रतिष्ठित मूर्ति, एक खुदाई के दौरान मिली थी। चन्दनपुर गांव के निकट कुछ 'कामदुहधेनू' (आत्म दुग्ध गाय) रोजाना अपने दूध को बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। उस गाय और ग्रामीणों के मालिक के लिए आश्चर्य की बात थी उन्होंने टोंक खोदाई। भगवान के प्रतीक के उदय के अवसर पर ग्रामीणों को भावनाओं से अभिभूत किया गया की उपस्थिति की खबर हर जगह फैल गई। जनता एक झलक के लिए बढ़ी है लोगों की इच्छाओं को पूरा करना शुरू हुआ जोधराज दीवान पल्लीवाल महावीर स्वामी भगवान के चमत्कार से प्रभावित होकर त्रि शिखरीय जिनालय का निर्माण करवाया और जैनाचार्य महानंद सागर सूरीश्वरजी जी महाराज से प्रतिष्ठा करवाई|
17 वीं और 19वीं शताब्दी के बीच, इस मंदिर को कभी-कभी पुनर्निर्मित किया गया था। कला के संबंध में, इस मंदिर की भव्यता संपूर्ण, प्रशंसनीय पर है, लेकिन इसकी शुभराशी को देखते हुए महावीरजी एक सहकर्मी के बिना एक तीर्थ है। लाखों श्रद्धालुओं ने हर साल इस मंदिर को भगवान के चरणों में अपने पुष्पांजलि आदर का भुगतान करने के लिए दौरा किया। एक संगमरमर छत्र उस जगह पर बनाया गया जहां पर चिह्न उभरा था, और पैर की एक जोड़ी ('चरण पादुका') भगवान के चरणों का प्रतीक करने के लिए समारोह में स्थापित किया गया है मंदिर की वास्तुकला दिलचस्प और शानदार है मंदिर के चिंगारी के क्लस्टर की सुंदर सुंदरता एक नज़र में दिल जीतती है। पूर्ण चांदनी में भीषण, चंदनपुर तीर्थ यात्रा में मानवता को पवित्रता और शांति के संदेश को बड़े पैमाने पर संदेश दिया गया है।
वास्तुकला
श्री महावरजी का मुख्य मंदिर बहुत सारे पेन्नल के साथ विशाल और शानदार अलंकृत है। यह मंदिर धर्मशालाओं (गेस्टहाउसेस) से घिरा हुआ है। मंदिर के आसपास के धर्मशालाओं के परिसर में काटला कहा जाता है। कटला के केंद्र में, मुख्य मंदिर स्थित है। काटला का प्रवेश द्वार बहुत ही आकर्षक और शानदार है। मंदिर में तीन आकाश उच्च शिखर के साथ सजाया गया है मुख्य द्वार में प्रवेश करने के बाद, एक आयताकार मैदान आता है और फिर महामण्डपा में प्रवेश करने के लिए सात सुंदर दरवाजे हैं। मंदिर में प्रवेश करने के बाद हमें हमारे सामने एक बड़ा मंदिर मिला। यहां भगवान महावीर का चिन्ह चमत्कारी प्रमुख देवता के समान है और दो अन्य चिह्न यहां स्थापित हैं। मुख्य मंदिर पर गर्भ गृह (मंदिर के मध्य कक्ष) में, भगवान महावीर के पद्मशना आसन के चमत्कारी चिह्न, रेत पत्थर से बना हुआ कोरल रंग भगवान पुष्प दांत के साथ सही पक्ष में स्थित है और भगवान आदीनाथ के बाईं ओर स्थित आइकन है। इस मंदिर में स्थापित अन्य तीर्थंकरों के बहुत से प्रशंसनीय प्रतीक हैं। मंदिर के बाहरी और आंतरिक दीवारों को मंदिर के आकर्षण, प्रभाव और महिमा में सुधार के लिए सुंदर नक्काशियों और स्वर्ण चित्रों से सजाया गया है। मंदिर के बाहरी दीवारों पर 16 पौराणिक दृश्य सुंदर रूप से नक्काशी किए जाते हैं। मंदिर की मूर्तिकला निष्पादन की उत्कृष्ट सुंदरता और उच्च स्तर की कौशल दिखाती है। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने 52 फीट ऊंची मंस्तम खड़ा है, यह बहुत सुंदर और आकर्षक है। चार तीर्थंकर चिह्न सभी दिशाओं में मनस्तंभ के शीर्ष पर स्थापित किए जाते हैं।
शांतिनाथ जनलैया
शांतिनाथ जनलया (मंदिर): शांतिवीर नगर में शांतिनाथ जैनलाया इस जनलया भगवान शांतिनाथ के 28 फीट ऊंचे खड़े कोलोसस में बहुत सुंदर है। यहां 24 Teerthankaras और उनके Shasan Deotas के प्रतीक भी स्थापित कर रहे हैं। एक आकर्षक आकाश उच्चस्तम्ष्ट भी यहां खड़ा है। मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान शान्तिनाथ के 32 फीट की उच्च छवि है, जो 16 वीं जैन तीर्थंकर है।
भगवान पार्श्वनाथ जनलैया
भगवान पार्थवर्धन जनलया: सुंदर और आकर्षक दर्पण और कांच के काम के कारण भगवान परशनाथ जिलाया को 'कांच का मंदिर' भी कहा जाता है, Sanmati Sanmati धर्मशाला के सामने स्थित है। यह मंदिर स्वर्गीय ब्राम्हचारीिन कमला बाई ने बनाया था।
कीर्ति आश्रम चैत्यालय
कीर्ति आश्रम चैत्यलय (जैन मंदिर): श्रीमती शंतनाथ जी के सामने कीर्ति आश्रम चैत्यलय है
प्रशासन
हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र में हिण्डौन तहसिल के सभी मतदाता आते हैं। हिन्डौन विधानसभा क्षेत्र, राजस्थान का एक विधानसभा क्षेत्र है। यह क्षेत्र करौली-धौलपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तरगत आता है।
वर्ष | विधायक का नाम | पार्टी सम्बद्धता |
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1. 1951 | रिद्धि चावला | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
2. 1957 | छनेगा | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
3. 1962 | सरवन | जन संघ |
4. 1967 | एस॰ लाल | भारतीय जनसंघ |
5. 1972 | उमेदी लाल | भारतीय जनसंघ |
6. 1977 | सरवन लाल | जनता पार्टी |
7. 1980 | भरोसी | जनता पार्टी |
8. 1985 | उमेदी लाल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
9. 1990 | भरोसी लाल जाटव | जनता दल |
10. 1993 | कमल | भारतीय जनता पार्टी |
11. 1998 | भरोसी लाल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
12. 2003 | कालु राम | इंडियन नेशनल लोकदल |
13. 2008 | भरोसी लाल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
14. 2013 | राजकुमारी जाटव | भारतीय जनता पार्टी |
कृषि
क्षेत्र की भूमि उपजाऊ है और रोटों द्वारा फसल की रोटेशन शुरू की जाती है। केन्द्रीय कृषि यार्ड 220 किमी बिजली घर के विपरीत गांव में स्थित है। प्रमुख फसलें हैं- बाजरा, बाजरा, मक्का, सरसों, क्लस्टर सेम, जड़ीबूटी, करौदा, नींबू आलू, ग्राम, जौ। मानसून, जागर बांध और नहर, कुओं और भूमिगत जल सिंचाई के स्रोत हैं। मौसमी सब्जियां और फलों को भी किसानों द्वारा बोया जाता है
शिक्षा
यह शहर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है और राज्य में सबसे अधिक स्थान रहा है। शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान हैं। आरबीएसई परीक्षा में लगभग सभी जिला अव्वल हिंडोन शहर से हैं।
हिंडोन में कुछ उल्लेखनीय विद्यालय हैं-
- bal vidya mandir sen sec school hindaun city
- सुलक्षणा बाल विधा मंदिर, यादराम कॉलोनी,हिण्डौन सिटी
- प्रेरणा पब्लिक स्कूल ,जाटव बस्ती ,हिण्डौन सिटी
- ब्राइट सन इंग्लिश स्कूल, परशुराम कॉलोनी,
- अभय विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय
- शासन सीनियर स्कूल
- आदर्श विद्या मंदिर सीनियर स्कूल
- केशव विद्या मंदिर सीनियर स्कूल
- निर्मल हैप्पी सीनियर स्कूल
- चन्द्र सीनियर सेकंड स्कूल
- गांधी अकादमी सीनियर सेकेंड स्कूल
- ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल
- मारुति इंटरनेशनल स्कूल
- सेंट फ्रांसिस स्कूल
- जेबी पूर्वांचल बोर्डिंग स्कूल
- बचपन प्ले स्कूल
- इंद्र प्रियदर्शनी गर्ल्स एसआर स्कूल
- अग्रसेन लड़की एसआर सेकंड स्कूल
- नहु बाल निकेतन सीनियर सेक। स्कूल
- दिव्य एन्जिल सीनियर सेकंड अंग्रेजी विद्यालय।
- आशीष मेमोरियल पब्लिक सीनियर सेकेंड स्कूल
- नामंदिप वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, मंडवारा
- ब्राइट स्टार स्कूल
- वंदना पब्लिक सेकेंड स्कूल बुराकपुरा
चिकित्सा सुविधाएं
हिंडोन अपनी स्वास्थ्य सेवाओं और शहर में उपलब्ध कई प्रसिद्ध अस्पतालों के लिए अच्छी तरह से है। यहां शहर के कुछ सबसे अस्पतालों और देखभाल केंद्र हैं। हिंडोन के अस्पतालों, क्लीनिकों और नर्सिंग होम ने शहर के स्वास्थ्य सेवा के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इन वर्षों में हिंडोन के विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों में कर्मचारियों, बुनियादी ढांचे और अन्य पहलुओं के मामले में सुधार हुआ है, जिससे न केवल हिंडोन शहर के मरीजों पर, बल्कि आसपास के गांवों और कस्बों से मरीजों को इन स्वास्थ्य केंद्रों में आने के लिए सबसे अच्छा लोगों द्वारा इलाज किया जाना है।
सरकारी अस्पताल
- जगरबाल हॉस्पिटल , खरेटा रोड ,हिण्डौन सिटी ।
- मोहन नगर, हिंडोन शहर
- सिटी डिस्पेंसरी हिंडोन शहर
- नम रोड, भायापालपुरा, हिंडोन शहर
- निजी अस्पताल
- पारस हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
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- [डॉ एच.आर.खान] पता = सद टॉवर हाई स्कूल हिंडोन शहर के पास!
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परिवहन
सड़क
राष्ट्रीय राजमार्ग 47 (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 47) दिल्ली-हरियाणा-राजस्थान-मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश से मार्च 2016 तक दिल्ली से मोहाना को केंद्र सरकार द्वारा घोषित किया जाता है।
राजस्थान राज्य राजमार्ग संख्या 1 झलावर से मथुरा और राजस्थान राज्य राजमार्ग 22 मंडल से पहाड़ी तक लिंक, कुलौली जिले से गुजरती कुल लंबाई 125 किलोमीटर है। आरएसआरटीसी राजस्थान और नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बस सेवा संचालित करती है। हिंडोन सिटी बस डिपो में सबसे पुराना रोडवेज बस डिपो में से एक है। सार्वजनिक और निजी बस ऑपरेटरों से अच्छी तरह से निर्मित सड़कों और अक्सर बस सेवा सड़क यात्रा काफी आरामदायक बना दिया है राजस्थान राज्य और उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राज्य की राजधानी, नई दिल्ली जैसे राज्यों के कई हिस्सों में हिंडोन के साथ सड़क कनेक्शन हैं। यात्रा के लिए साधारण बसों, अर्द्ध-डीलक्स, डीलक्स और वोल्वोबस उपलब्ध हैं। आगरा, नई दिल्ली, फतेहपुर सीकरी, जयपुर, कोटा, भरतपुर, ग्वालियर आदि जैसे जगहों पर हिंडोन के साथ सड़क के माध्यम से आसान कनेक्शन है। हिंडोन और उसके आस-पास के तहसील या जिले के बीच यात्रा करने के लिए, बसों का सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला बस परिवहन बसों हैं हिंडोन करौली के बीच की दूरी 30 किमी है, हिंडोन -महवा 37 किमी, हिंदुओं-सुरथ 13 किमी, हिंडोन -श्री महावीर जी लगभग 17 किलोमीटर और हिंडोन -बयाना लगभग 35 किलोमीटर है।
शहर परिवहन
साझा वाहनों को रोडवेज बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के बीच संचालित किया जाता है। निजी ऑटो भी उपलब्ध हैं। स्थेट बसें, ऑटो रिक्शा और रिक्शा। पास के स्थानों तक पहुंचने के लिए लोग बसों और ऑटो रिक्शा का उपयोग करते हैं। बसें संख्या में बहुत ही कम होती हैं और आर्थिक रूप से भी अच्छी तरह से होती हैं। लोग निजी टैक्सियों और जीपों का उपयोग हिंडोन और उसके आस-पास घूमने के लिए करते हैं। स्थानीय परिवहन के लिए बड़ी संख्या में बाइक और साइकिल का भी उपयोग किया जाता है। हिंडोन द्वारा हवाई तक पहुंचें कोई हवाई अड्डा हिंडोन में नहीं है हिंडोन में खेरिया हवाई अड्डे का निकटतम हवाई अड्डा है जो आगरा में स्थित है। आगरा बसों से, निजीकरों, जीप आदि हिंडोन सिटी तक पहुंचने के लिए विभिन्न प्रकार हैं।
रेल
हिंडोन और श्री महावीरजी दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर स्थित प्रमुख स्टेशन हैं। कई ट्रेनें उपलब्ध हैं जो हिंडोन को उत्तर भारत के कई महत्वपूर्ण स्थानों और भारत के बाकी हिस्सों के साथ ही हिंडोन रेलवे स्टेशन से जोड़ती हैं, भारतीय पश्चिमी केंद्रीय रेलवे मंडल रेलवे। हिंडोन स्टेशन मुम्बई और दिल्ली के बीच प्रमुख विद्युतीकृत रेलवे मार्ग पर पड़ता है। हिंडोन रेलवे स्टेशन के अलावा, अन्य रेलवे स्टेशनों के निकट निकटता में श्री महारबीजी रेलवे स्टेशन, फतेससिंगपुर रेलवे स्टेशन, सूरोठ और सिकरौदा मीना रेलवे स्टेशन हैं। शहर से नई दिल्ली, बॉम्बे, लखनऊ, कानपुर, जमुत्तवी, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, हरिद्वार, देहरादून, जयपुर, चंडीगढ़, कालका और श्री माता वैष्णो देवी कटरा के लिए ट्रेनें हैं।
सुपरफास्ट गाड़ियां
- 22 9 17/22 9 18 बांद्रा टर्मिनस हरिद्वार एक्सप्रेस - साप्ताहिक
- 12 9 26/12 9 25 अमृतसर - मुंबई पश्चिम एक्स्प्रेस - दैनिक
- 12059/60 कोटा जन शताब्दी एक्सप्रेस
- 12 9 04/04 स्वर्ण मंदिर मेल
- 12 9 63/64 मेवाड़ एक्सप्रेस
मेल एक्सप्रेस
- 19024/19023 फिरोजपुर जनता एक्सप्रेस - दैनिक
- 19037/19038 बांद्रा टर्मिनस गोरखपुर अवध एक्सप्रेस
- 19039/19040 बांद्रा टर्मिनस मुजफ्फरपुर अवध एक्सप्रेस
- 19019/19020 बांद्रा - देहरादून एक्सप्रेस - दैनिक
- 13237/38/39/40 पटना कोटा एक्सप्रेस
- 1980/06 कोटा-उधमपुर एक्सप्रेस
- 1980/04 कोटा-वैष्णो देवी कटरा एक्सप्रेस
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990
- ↑ "अमृत योजना में हिंडौन को मिले 151.64 करोड़". दैनिक भास्कर. मूल से 4 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 मई 2016.
- ↑ भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास - भाग 4 अध्याय 19
- ↑ ब्रज जटवाड़ा क्षेत्र का इतिहास