हम्पी
हम्पी हम्पे विजयनगर | |
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शहर | |
हम्पी स्थित प्राचीन बाजार | |
देश | भारत |
राज्य | कर्नाटक |
जिला | विजयनगर |
संस्थापक | हरिहर एवं बुक्का |
ऊँचाई | 467 मी (1,532 फीट) |
भाषाएं | |
• आधिकारिक | कन्नड भाषा |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+५:३०) |
नजदीकी शहर | होस्पेट |
हम्पी स्मारक समूह | |
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विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम | |
देश | भारत |
प्रकार | सांस्कृतिक |
मानदंड | (i)(iii)(iv) |
सन्दर्भ | २४१ |
युनेस्को क्षेत्र | एशिया-प्रशांत |
शिलालेखित इतिहास | |
शिलालेख | 1986 (१०वां, १५वां सत्र) |
हम्पी या विजयनगर मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब हम्पी (पम्पा से निकला हुआ) नाम से जाना जाता है और अब केवल खंडहरों के रूप में ही अवशेष है। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में यहाँ एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती होगी। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को के विश्व के विरासत स्थलों में शामिल किया गया है।[1] हर साल यहाँ हज़ारों की संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष.... आदि असंख्य इमारतें हैं।
हम्पी में विठाला मंदिर परिसर निःसंदेह सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। इसके मुख्य हॉल में लगे ५६ स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से संगीत लहरियाँ निकलती हैं। हॉल के पूर्वी हिस्से में प्रसिद्ध शिला-रथ है जो वास्तव में पत्थर के पहियों से चलता था। हम्पी में ऐसे अनेक आश्चर्य हैं, जैसे यहाँ के राजाओं को अनाज, सोने और रुपयों से तौला जाता था और उसे गरीब लोगों में बाँट दिया जाता था। रानियों के लिए बने स्नानागार मेहराबदार गलियारों, झरोखेदार छज्जों और कमल के आकार के फव्वारों से सुसज्जित होते थे। इसके अलावा कमल महल और जनानखाना भी ऐसे आश्चयों में शामिल हैं। एक सुंदर दो-मंजिला स्थान जिसके मार्ग ज्यामितीय ढँग से बने हैं और धूप और हवा लेने के लिए किसी फूल की पत्तियों की तरह बने हैं। यहाँ हाथी-खाने के प्रवेश-द्वार और गुंबद मेहराबदार बने हुए हैं और शहर के शाही प्रवेश-द्वार पर हजारा राम मंदिर बना है।[2]
स्थिति
हम्पी आंध्र प्रदेश राज्य की सीमा के पास मध्य कर्नाटक के पूर्वी हिस्से में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है। यह बैंगलोर से ३७६ किलोमीटर (२३४ मील), हैदराबाद से ३८५ किलोमीटर (२३९ मील) और बेलगाम से २६६ किलोमीटर (१६५ मील) दूर स्थित है।[3] यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन होसापेट (होस्पेट) में है, जो लगभग १३ किलोमीटर (८.१ मील) दूर है। सर्दियों के दौरान, बसें और रेलें हम्पी को गोवा, सिकंदराबाद और बैंगलोर से जोड़ती हैं। यह बादामी और ऐहोल पुरातात्विक स्थलों से १४० किलोमीटर (८७ मील) दूर दक्षिण-पूर्व में है।[3][4]
दृश्य
चित्र वीथी
- दूर से एक संपूर्ण दृश्य
- प्रवेश द्वार
- नगर का दृश्य
- मंदिर
- संगीतमय स्तम्भोंवाला विट्ठल मंदिर
- हम्पी का हवाई दृश्य
- हम्पी
कैसे पहुंचा जाये
वायु द्वारा - कर्नाटक में हुबली हवाई अड्डा हम्पी के लिए निकटतम हवाई अड्डा है, जो यहाँ से 166 किमी दूर है। हुबली के लिए नियमित उड़ानें बेंगलुरु से आती हैं। यहां आप कैब या बस ले सकते हैं।
रेल मार्ग - हम्पी का निकटतम रेलवे स्टेशन होसपेट जंक्शन है जो हम्पी से सिर्फ 13 किलोमीटर दूर है। होस्पेट रेल द्वारा देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है और बैंगलोर, हैदराबाद और गोवा से कई नियमित ट्रेनें यहाँ आती हैं। यहां से आप वाहन लेकर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से - हम्पी बस सेवा कर्नाटक के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ी हुई है। कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों के अलावा, कई निजी और पर्यटक बसें नजदीकी शहरों से हम्पी तक जाती हैं।
इन्हें भी देखें
बाह्यसूत्र
भारत के किन किन जगह को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की पद दिया है Archived 2024-03-05 at the वेबैक मशीन
[India's Treasures: Exploring the Magnificence of UNESCO World Heritage Sites/ India's Treasures: Exploring the Magnificence of UNESCO World Heritage Sites]
- मंदिरों का शहर : हम्पी (श्री न्यूज)
- आस्था और ऐतिहासिक पवित्रता (के विक्रम सिंह)
- हम्पी के चित्र
- विजयनगर मानचित्र परियोजना (अंग्रेज़ी में)
- हम्पी- कर्नाटक राज्य पर्यटन
- विजयनगर-कला और स्थापत्य
- हम्पी का इतिहास, रोचक बातें, प्रसिद्ध मंदिर
- ↑ "ग्रुप ऑफ़ मॉन्यूमेंट्स हम्पी". यूनेस्को. मूल से 13 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2015.
- ↑ "हम्पी यात्रा मार्गदर्शिका" (एचटीएमएल). भारतीय रेल. मूल से 24 नवंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 नवंबर 2006.
- ↑ अ आ Fritz & Michell 2016, पृ॰प॰ 154–155.
- ↑ Anila Verghese 2002, पृ॰प॰ 85–87.