हज़रत
हज़रत, एक सम्माननीय उपाधि है जिसका उपयोग, अक्सर इस्लामी संस्कृति में किसी व्यक्ति को सम्मान देने के लिए किया जाता है।[1] अरबी भाषा में इसका शाब्दिक अर्थ है "उपस्थिति या हाज़िरी"। प्रारंभ में, इस उपाधि का उपयोग इस्लाम के पैगंबरों के लिए किया जाता था: इस्लाम के पच्चीस महान हज़रतों में मुहम्मद, इब्राहिम, नूह, मूसा और ईसा शामिल हैं।
उपयोग
धार्मिक उपयोग
शाब्दिक रूप से यह शब्द "करिश्माई" के विचारों को वहन करता है और सामान्यतः किसी धार्मिक व्यक्तित्व के नाम के पहले, सम्मानसूचक के रूप में लगाया जाता है, सूफीवाद में, वलीयों, और पीरों के नाम, अथवा सूफी उस्ताद/गुरु को हज़रात कहकर संबोधित किया जाता है। इस सन्दर्भ में इस शब्द का उपयोग भारतीय परिपेक्ष मे "श्री श्री", तथा पश्चिमी परिपेक्ष में "परम पावन" (His/Her Holiness) के सामान है। इस्लामी संस्कृति में इस शब्द को महत्वपूर्ण मुस्लिम हस्तियों के नाम के साथ भी लगाया जाता है, जैसे की इमामों के लिए। इस शब्द का उपयोग पैगम्बर मुहम्मद के सहाबा और अहल अल-बैत के सदस्यों के लिए और किया जाता है, जैसे की "हज़रात अली"। इस शब्द का उपादि के रूप में उपयोग किये जाने के उदाहरण हैं: हज़रत मुहम्मद, हज़रत मूसा, हज़रत अली, हज़रत उमर फ़ारूक़, हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़, हज़रत हाज़िरा (हगर), हज़रत ईसा।
अन्य
इस्लाम अथवा उर्दू प्रभावित तहज़ीब में इसी शब्द के बहुवचन रूप, "हज़रात" को किसी आयोजन में लोगों के समूह को सम्मानजनक रूप से संबोधित करने के लिए किया जाता है, जैसे "देवियों और सज्जनों"। अक्सर अरबी, तुर्की व अन्य भाषाओँ में शाही हस्तियों को भी "हज़रत" कहकर संबोधित किया जाता रहा है। तुर्की में उस्मान सुल्तानों को सामान्य मौखिक तहज़ीब में हज़रत कहकर संबोधित करना आम बात थी। इसका एक कारन यह भी है की उस्मान सुल्तान को मुस्लिम उम्माह का ख़लीफ़ा माना जाता था। इस सन्दर्भ में इसका उपयोग आधुनिक उपादि "महामहिम" के सामान है।
इन्हें भी
देखें
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- Quranic corpus- हज़रत शब्द, और उसके अन्य रूपों का उपयोग क़ुरान में