स्पंज
स्पंज | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | प्राणी |
Subkingdom: | पराजन्तु |
संघ: | छिद्रधारी/रन्ध्रधारी |
स्पंज एक अमेरूदण्डी, छिद्रधारी या रन्ध्रधारी संघ का सामुद्रिक जीव है। सामान्यतः ये असममित होते हैं। ये सब आद्यबहुकोशिक प्राणी हैं, जिनका शरीर संगठन कोशिकीय स्तर का है। स्पंजों में जल परिवहन तथा नाल-तन्त्र पाया जाता है। जल सूक्ष्म रन्ध्र (ऑस्टिया) द्वारा शरीर की केन्द्रीय स्पंज गुहा (स्पंजोसील) में प्रवेश करता है तथा बड़े रन्ध्र (ऑस्कुलम) द्वारा बाहर निकलता है। जल परिवहन का यह रास्ता खाद्य भण्डारण, श्वसन तथा अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन में सहायक होता है। कोएनोसाइट या कॉलर कोशिकाएँ स्पंजगुहा तथा नाल-तन्त्र को स्तरित करती हैं। कोशिकाओं में अन्तराकोशिक पाचन होता। कंकाल शरीर को आधार प्रदान करता है। जो कटिकाओं तथा स्पंजिन तन्त्वों का बना होता है। इनका शरीर spicules एवं स्टंप रेशो से बना होता है। इनके आर्थिक महत्व भी है। 1. इनका उपयोग औषधि बनाने मे होता है। 2. स्नान मे बार स्पंज के रुप मे होता है।
स्पंज में नर तथा मादा पृथक् नहीं होते। वे उभयलिंगी होते हैं। अण्डे तथा वीर्याणु दोनों एक द्वारा ही बनाए जाते हैं। उनमें अलैंगिक जनन विखण्डन द्वारा तथा लैंगिक जनन युग्मकों द्वारा होता हैं। निषेचन आन्तरिक होता तथा परिवर्धन अप्रत्यक्ष होता है, जिसमें वयस्क से भिन्न आकृति को डिम्भावस्था पाई जाती है। उदाहरणार्थ साइकन (साइफा), स्पांजिल्ला (स्वच्छ जलीय स्पंज) तथा यूस्पंजिया।