स्थानिक मान
स्थानिक मान पद्धति (place-value notation) या स्थिति-चिह्न (Positional notation) संख्याओं को निरूपित करने की वह प्रणाली जिसमें किसी संकेत (अंक) का मान इस बात पर निर्भर करता है कि संख्या में उस अंक का स्थान कहाँ है। उदाहरण के लिये ३२५ (तीन सौ पचीस) में ५ का स्थानीय मान पांच है किन्तु ५२३ में ५ का स्थानीय मान 'पाँच सौ' है। इस तरह संख्याओं के निरूपण की यह पद्धति रोमन अंक पद्धति आदि अन्य निरूपण पद्धतियों से भिन्न है। स्थानीय मान पर आधारित संख्या निरूपण से बहुत सी अंकगणितीय संक्रियाएँ बहुत सरलता से की जाने लगीं और इस कारण यह पद्धति शीघ्र ही पूरे संसार में अपना ली गयी।
आजकल स्थानीय मान पर आधारित बहुत सी पद्धतियाँ प्रचलित हैं जिनमें दस आधार वाली हिन्दू अंक पद्धति सबसे पुरानी और सर्वाधिक प्रयुक्त पद्धति है। इसके अतिरिक्त द्विआधारी संख्या पद्धति (बाइनरी नम्बर सिस्टम), अष्टाधारी संख्या पद्धति (ऑक्टल नम्बर सिस्टम) तथा षोडशाधारी संख्या पद्धति (हेक्साडेसिमल नम्बर सिस्टम) भी प्रयुक्त होते हैं (मुख्यत: संगणकीय गणित में)।
स्थानीय मान पद्धति में दशमलव बिन्दु का प्रयोग करके भिन्नात्मक संख्याओं (fractions) को भी निरूपित करने की क्षमता रखती है। अर्थात यह पद्धति सभी वास्तविक संख्याओं को निरूपित करने की क्षमता रखती है।
257304संख्या का निरूपण एवं मान
किसी भी पूर्णांक संख्या x को स्थानिक मान पद्धति में एक बहुपद के रूप में निम्नलिखित प्रकार से अभिव्यक्त किया जा सकता है-
जहाँ a कोई प्राकृतिक संख्या (जैसे, १०) है। इसको 'आधार' कहते हैं।
उपरोक्त बहुपद के गुणांक 'आधार' से छोटे प्राकृतिक संख्याएँ हैं। a-आधारी संख्या-निरूपण में उपरोक्त संख्या x को निम्नलिखित प्रकार से लिखा जायेगा।
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- उदाहरण
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- The Development of Hindu Arabic and Traditional Chinese Arithmetics
- Online Converter for Different Numeral Systems (Base 2-36, JavaScript, GPL)
- Implementation of Base Conversion at cut-the-knot
- Learn to count other bases on your fingers