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सौर प्रज्वाल

जून २०११ में देखा गया एक सौर प्रज्वाल

सौर प्रज्वाल (solar flare) सूरज की सतह के किसी स्थान पर अचानक बढ़ने वाली चमक को कहते हैं। यह प्रकाश वर्णक्रम के बहुत बड़े भाग के तरंगदैर्घ्यों (वेवलेन्थ) पर उत्पन्न होता है। सौर प्रज्वाल में कभी-कभी कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (coronal mass ejection) भी होता है जिसमें सूरज के कोरोना से प्लाज़्मा और चुम्बकीय क्षेत्र बाहर फेंक दिये जाते हैं। यह सामग्री तेज़ी से सौर मंडल में फैलती है और इसके बादल बाहर फेंके जाने के एक या दो दिन बाद पृथ्वी तक पहुँच जाते हैं। इनसे अंतरिक्ष यानों पर दुष्प्रभाव के साथ-साथ पृथ्वी के आयनमंडल पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिस से दूरसंचार प्रभावित होने की सम्भावना बनी रहती है।[1]

ऊर्जा माप

सौर प्रज्वाल में औसतन १ × १०२० जूल की ऊर्जा फेंकी जाती है, हालांकि कुछ प्रज्वाल में १ × १०२५ जूल की ऊर्जा देखी गई है (यानि औसत प्रज्वाल से लाख गुना अधिक)। तुलना के लिये सन् २०१० में पूरे विश्व ने पूरे वर्ष में केवल ५.५ × १०२० जूल ऊर्जा की खपत की थी जो तब तक पूरे मानव इतिहास का सबसे अधिक ऊर्जा-खपत वाला वर्ष था।[2] एक और तुलना के लिये १ × १०२५ जूल ऊर्जा १ अरब टन टी एन टी के विस्फोट के बराबर है जबकि मानवों द्वारा करा गया सबसे शक्तिशाली विस्फोट सोवियत संघ द्वारा सन् १९६१ में फोड़ा गया त्सार बोम्बा नामक हाइड्रोजन बम था जिसकी विस्फोटक शक्ति ५ करोड़ टन (५० मेगाटन) थी।[3]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Menzel, Whipple, and de Vaucouleurs, "Survey of the Universe", 1970
  2. "World energy consumption - beyond 500 exajoules Archived 2016-12-20 at the वेबैक मशीन," Rembrandt Koppelaar, 16 Feb 2012, ... Energy consumption is still increasing rapidly, with an approximate 550 exajoules (523 Quadrillion BTUs) consumed at the primary energy level in 2010 ...
  3. Khalturin, Vitaly I.; Rautian, Tatyana G.; Richards, Paul G.; Leith, William S. (2005). "A Review of Nuclear Testing by the Soviet Union at Novaya Zemlya, 1955–1990" (PDF). Science and Global Security. 13 (1): 1–42. डीओआइ:10.1080/08929880590961862. मूल (PDF) से 2006-09-08 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-10-14.