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सोहराब मोदी

सोहराब मेरवानजी मोदी

सोहराब मोदी
जन्म ०२ नवम्बर १८९७
मौत २८ जनवरी १९८४
राष्ट्रीयताभारत
पेशा अभिनेता, निर्माता, निर्देशक
धर्मपारसी

सोहराब मोदी हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता, निर्माता व निर्देशक और भारतीय पारसी रंगमंच के एक कलाकार थे जो स्वयं एक पारसी थे।

सोहराब मोदी (अंग्रेज़ी: Sohrab Modi, जन्म: 2 नवम्बर, 1897; मृत्यु: 28 जनवरी, 1984) प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता और फ़िल्म निर्माता-निर्देशक थे, जिन्होंने हिन्दी की प्रथम रंगीन फ़िल्म 'झाँसी की रानी' बनाई थी। इनको सन 1980 में 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।

जीवन परिचय

सोहराब मोदी का जन्म 2 नवम्बर, 1897 में बम्बई में हुआ था। सोहराब मोदी अपनी स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद वह अपने भाई केकी मोदी के साथ यात्रा प्रदर्शक का कार्य किया। सोहराब मोदी ने कुछ मूक फ़िल्मों के अनुभव के साथ एक पारसी रंगमंच से बतौर अभिनेता के रूप में शुरुआत की थी। सोहराब मोदी का बचपन रामपुर में बीता, जहां उनके पिता नवाब के यहां अधीक्षक थे। नवाब रामपुर का पुस्तकालय बहुत समृद्ध था। रामपुर में ही सोहराब मोदी ने फर्राटेदार उर्दू सीखी। अभिनय की प्रारंभिक शिक्षा उन्हें अपने भाई रुस्तम की नाटक कंपनी सुबोध थिएट्रिकल कंपनी से मिली, जिसमें उन्होंने 1924 से काम करना शुरू कर दिया था। वहीं उन्होंने संवाद को गंभीर और सधी आवाज में बोलने की कला सीखी, जो बाद में उनकी विशेषता बन गयी। कुछ ही समय में वे नाटकों में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाने लगे। ‘हैमलेट’ और ‘द सोल ऑफ़ डाटर’ उनके लोकप्रिय नाटक थे जिनमें उन्होंने अभिनय किया। बाद में उनका परिवार रामपुर से बंबई चला आया। वहां उन्होंने परेल के न्यू हाईस्कूल से मैट्रिक पास किया। जब ये अपने प्रिंसिपल से यह पूछने गये कि भविष्य में क्या करें, तो उनके प्रिंसिपल ने कहा,-‘तुम्हारी आवाज सुन कर तो यही लगता है कि तुम्हे या तो नेता बनना चाहिए या अभिनेता।’ और सोहराब अभिनेता बन गये। उनकी आवाज की तरह बुलंद थी। अंधे तक उनकी फ़िल्मों के संवाद सुनने जाते थे।

आरम्भिक जीवन

16 वर्ष की उम्र में सोहराब मोदी ग्वालियर के टाउनहाल में फ़िल्मों का प्रदर्शन करते थे। बाद में अपने भाई रुस्तम की मदद से उन्होंने ट्रैवलिंग सिनेमा का व्यवसाय शुरू किया। फिर अपने भाई के साथ ही उन्होंने बंबई में स्टेज फ़िल्म कंपनी की स्थापना की। इस कंपनी की पहली फ़िल्म 1953 में बनी ‘खून का खून’ थी, जो उनके नाटक ‘हैमलेट’ का फ़िल्मी रूपांतर थी। इसमें सायरा बानो की माँ नसीम बानो पहली बार परदे पर आयीं। ‘सैद –ए-हवस’ (1936) भी नाटक ‘किंग जान’ पर आधारित थी। सोहराब मूलतः नाटक से आये थे, यही वजह है कि उनकी पहले की फ़िल्मों में पारसी थिएटर की झलक मिलती है। ऐतिहासिक फ़िल्में बनाने में वे सबसे आगे थे।

प्रमुख फिल्में

वर्षफ़िल्मचरित्रटिप्पणी
1983रज़िया सुल्तानवज़ीरे-ए-आज़म
1979घर की लाज
1971ज्वाला
1971एक नारी एक ब्रह्मचारी
1960काला बाज़ार
1958यहूदी
1956राज हठराजा बाबू
1955कुंदनकुंदन
1950शीश महल

बतौर निर्देशक

वर्षफ़िल्मटिप्पणी
1956राज हठ
1955कुंदन
1954मिर्ज़ा गालिब
1950शीश महल
1949दौलत

नामांकन और पुरस्कार

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ