सोमपुर महाविहार
पहाड़पुर बौद्ध बिहार | |
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स्थानीय नाम बांग्ला: পাহাড়পুর বৌদ্ধ বিহার | |
स्थान | नगाँव, बांग्लादेश |
ऊँचाई | 80 फीट (24 मी॰) |
निर्माण | 8th century AD |
निर्माण ध्येय | Dharama Pala |
वास्तुशैली | गुप्तवंश, पालवंश |
प्रकार | पुरातात्विक |
मानदंड | i, ii, iv |
मनोनीत | 1985 (9th session) |
संदर्भ सं. | 322 |
State Party | बांग्लादेश |
Region | Asia-Pacific |
Paharpur vihara is in Naogaon, Bangladesh |
पाहाड़पुर बौद्धबिहार या सोमपुर बिहार या सोमपुर महाविहार एक प्राचीन बौद्ध बिहार है जो बर्तमान में ध्वंस अवस्था में है। यह बांग्लादेश के नवगाँव जिले के बादलगाछी उपजिले के पहाड़पुर में स्थित है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्रसिद्ध बौद्ध बिहारों में से एक है। १८७९ में कनिंघम ने इसकी खोज की थी। वर्ष १९८५ में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया।
पालवंश के द्बितीय राजा धर्मपाल देव ने ८वीं शताब्दी के अन्तिम काल में या ९वीं शताब्दी में इस बिहार का निर्माण कराया था। इस बिहार के पास ही स्थित हलूद विहार और सीताकोट विहार (दिनाजपुर जिला) भी उसी काल के हैं। पहाडपुर के बौद्धबिहार को संसार का सबसे बड़ा बौद्ध बिहार कहा जा सकता है। आकार में इसकी तुलना नालन्दा महाविहार से की जा सकती है। यहाँ केवल भारतीय उपमहाद्वीप के ही नहीं बल्कि चीन, तिब्बत, बर्मा, मलेशिया, इन्डोनेशिया आदि देशों के बौद्ध भी धर्मचर्चा एवं धर्मज्ञान करने के लिये यहाँ आते थे। १०वीं शताब्दी में अतीश दीपंकर श्रीज्ञान इस बिहार के आचार्य थे।
छबिदीर्घा
- सोमपुर महाविहार प्रांगन में स्थित संरचनाएँ
- केन्द्रीय पूजास्थल का नीचे का भाग
- मोहम्मद अली नाकी द्वारा निर्मित मॉडल