सेर्गेय वसील्येविच लुक्यनेंको
फैंटेसी कथा लेखक सेर्गेय लुक्यानेन्का का जन्म १९६८ में हुआ। उन्होंने अल्मा-अता मेडिकल इंस्टीट्यूट में डॉक्टरी की पढ़ाई की और फिर मानसिक रोग चिकित्सा का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया। वे अल्मा-अता से प्रकाशित होने वाली फैंटेसी पत्रिका 'लोक' के सहायक संपादक रहे। सेर्गेय लुक्यानेन्का की पहली फैंटेसी कथा 'नरुशेनिए' (अतिक्रमण) १९८७ में अल्मा-अता की 'ज़ार्या' (प्रभात) पत्रिका में प्रकाशित हुई। पहली पुस्तक 'आतम्नी सोन' (एटमी सपना) १९९२ में प्रकाशित हुई।
१९९३ से सेर्गेय लुक्यानेन्का ने लेखन को अपना मुख्य पेशा बना लिया। सेर्गेय लुक्यानेन्का के अनुसार उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- 'एटमी सपना', 'पतझर के आगंतुक', 'ठंडे तट' और 'स्पेक्ट्रम' (विविधता)। 'नचनोय दज़ोर' (रात के प्रहरी)- सेर्गेय लुक्यानेन्का का बेहद चर्चित और लोकप्रिय उपन्यास रहा। फिर इन्होंने 'दिन के प्रहरी' उपन्यास में उसी विषय को आगे बढ़ाया। लुक्यानेन्का की रचनाओं पर रूस में बहुत से सीरियल बने हैं। लेखन की अपनी शैली को सेर्गेय लुक्यानेन्का 'क्रूर कार्रवाइयों की फैंटेसी' या 'रास्ते की फैंटेसी' कहते हैं।
सेर्गेय लुक्यानेन्का की रचनाएँ विश्व की २० से अधिक भाषाओं में अनुदित हो चुकी हैं। इनकी पच्चीस लाख किताबें प्रतिवर्ष बिकती हैं। इनकी रचनाओं का अनुवाद सबसे पहले भारत में किया गया था। तब १९९१ में 'स्पुतानिक कवेस्ट' पत्रिका ने इनकी कहानी 'वन में छिपा नीच दुश्मन' प्रकाशित की थी। सेर्गेय लुक्यानेन्का को बहुत से साहित्यिक पुरस्कार मिल चुके हैं।