सेड़वा
सेड़वा | |
सेरवा | |
— तहसील — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
राज्य | राजस्थान |
मण्डल | जोधपुर |
ज़िला | बाड़मेर |
आधिकारिक जालस्थल: www.resultidea.in |
निर्देशांक: 25°04′N 71°09′E / 25.07°N 71.15°E
सेड़वा बाड़मेर जिले की एक प्रमुख तहसील है जो जिला मुख्यालय से दक्षिण - पच्छिम की ओर 110 किलोमीटर दूर है , यह क्षेत्र राज्य के प्रमुख कृषि क्षेत्रो मे आता है , यहा पर जीरा, ईसबगोल, अरंडी, सारसो, की खेती बहुतायत मे की जाती है । सेडवा अपनी जीवंतता के कारण सैलानियों को बहुत भाता है। सेडवा की यात्रा की एक विशेषता यह भी है कि यह हमें राजस्थान के ग्रामीण जीवन से रूबरू कराता है। यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांव, पारंपरिक पोशाकें पहने लोग और रेत पर पड़ती सुनहरी धूप, सेडवा की यह मनोरम छवि आंखों में बस जाती है। मार्च के महीने में पूरा सेडवा रंगों से भर जाता है क्योंकि वह वक्त ‘बाड़मेर महोत्सव’का होता है। यह समय यहां आने का सबसे सही समय है। सेडवा के लोग बहुत मेहनती होते हैं | सेडवा के प्रमुख गावों मे चिचड़ासर , फगलिया, साता, बाखसार, कार्तिया, गोड़ा आदि है। सेडवा का प्रमुख मार्केट सोढ़ा मार्केट पूरे जिले मे प्रसिद्ध है। सेड़वा में सबसे ज्यादा बिश्नोई समाज के लोग निवास करते है , और सेड़वा में ही विशाल विश्नोई धर्मशाला और गुरु जम्भेश्वर का मंदिर है और यह बिश्नोई समाज का धार्मिक स्थल है ।
सेड़वा के क्षेत्र में अधिकाश लोग खेतीबाड़ी और दिहाड़ी मजदूरी से जीवन यापन करते हैं।सेड़वा क्षेत्र तीन मार्केट से बना हुआ है।जिसमें सलारिया रोड,पेट्रोल पंप रोड, सोढा मार्केट।यहां स्थानीय लोगों में सिंधी समाज के लोग अक्सर बाहुल्य क्षेत्र के नाते मार्केट में देखने को मिल जाते हैं।इनकी वेशभूषा सलवार कमीज, गंधी कमीज और लेडीज में सलवार सूट, गागरा और कांचड़ी प्रमुख हैं।यहां के पुरुष सिर पर ट्वाल या सफेद पगड़ी अक्सर पहनते हैं।
यहां की रहन सहन और पहनावा राजस्थानी संस्कृति को बढ़ावा देता हैं। यहां की मूल जातिया जाट भील कोली विश्नोई रेबारी मेघवाल जाती की अधिकाश जातियां निवास करती हैं।