सामग्री पर जाएँ

सूर्य मंदिर, झालावाड़

झालारपाटन के सूर्य मन्दिर में स्थित सूर्य की मूर्ति

झालावाड़ By Still Education YouTube channel

जिले के झालरापाटन शहर के मध्य स्थित सूर्य मंदिर झालरापाटन का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इसका निर्माण दसवीं शताब्दी में मालवा के परमार वंशीय राजाओं ने करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान है। इसे पद्मनाभ मंदिर तथा 'सात सहेलियो का मंदिर' भी कहा जाता है।

वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर महत्वपूर्ण है। यह 17 फीट ऊँचा है तथा कोणार्क सूर्य मन्दिर के समान शिखर है। शिल्प सौन्दर्य की दृष्टि से मंदिर की बाहरी व भीतरी मूर्तियाँ वास्तुकला की चरम ऊँचाईयों को छूती है। मंदिर का ऊर्घ्वमुखी कलात्मक अष्टदल कमल अत्यन्त सुन्दर जीवंत और आकर्षक है। शिखरों के कलश और गुम्बज अत्यन्त सुन्दर हैं। गुम्बदों की आकृति को देखकर मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला का स्मरण हो जाता है। झालारापाटन का सूर्य मंदिर राजस्थान के प्राचीन मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण नागभट्ट द्वितीय ने विक्रम संवत 872 (तदनुसार 815 ईस्वी) में करवाया था।