सूरतगंज
सूरतगंज Suratganj | |
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सूरतगंज उत्तर प्रदेश में स्थिति | |
निर्देशांक: 27°12′07″N 81°19′55″E / 27.202°N 81.332°Eनिर्देशांक: 27°12′07″N 81°19′55″E / 27.202°N 81.332°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | उत्तर प्रदेश |
मंडल | फैजाबाद |
ज़िला | बाराबंकी ज़िला |
तहसील | रामनगर |
थाना | मुहम्मदपुर खला |
नाम स्रोत | सूरज |
ऊँचाई | 123 मी (404 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 8,870 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, अवधी उर्दू |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 225304 |
दूरभाष कोड | 05251 |
वाहन पंजीकरण | युपी-41 |
मोहले सिंह छावनी सूरतगंज (Suratganj) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी ज़िले में स्थित एक गाँव है।[1][2]
विवरण
सूरतगंज पिन कोड 225304 है और डाक प्रधान कार्यालय मोहम्मद पुर खाला है। फूलपुर (1 किमी), बरैया (2 किमी), ऐनुद्दिनपुर(2 किमी), चंद्रा सिहाली (2 किमी), बसंतपुर मंजरा (4 किमी) सूरतगंज के समीप के गाँव हैं। सूरतगंज दक्षिण की ओर रामनगर ब्लॉक, पश्चिम की ओर फतेहपुर ब्लॉक, उत्तर की ओर रामपुर मथुरा ब्लॉक, पूर्व की ओर कैसरगंज ब्लॉक से घिरा हुआ है। जैदपुर, बहराइच, लखनऊ, रुदौली सूरतगंज के नजदीकी शहर हैं।[3]
सूरतगंज की भूमि को देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी मनोज स्वतंत्र जी का गांव भी कहा जाता है
सूरतगंज रामनगर रोड पर ग्राम पंचायत बैराना मऊ मझारी के ग्राम नौबस्ता मैं जन्मे मनोज स्वतंत्र ने उत्तर प्रदेश के साथ देश व विदेशों में चर्चा का विषय है l विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में संपादन व लेखन का कार्य कर चुके मनोज स्वतंत्र सूरतगंज के नौबस्ता गांव में जन्मे l राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मानित हो चुके मनोज स्वतंत्र बताते हैं कि उनका सूरतगंज से गहरा लगाव है और वह जब भी अपने गांव आते हैं आसपास के क्षेत्रों का भ्रमण जरूर करते हैं, ऐसे लोगों से मिलते हैं lसूरतगंज अंतर्गत ग्राम पंचायत रूहेरा के मजरे बिबियापुर निवासी जयप्रकाश रावत हिन्दी दैनिक साप्ताहिक मासिक "संदेश महल" समाचार पत्र के संपादक हैं। आपके लेख मौलिकता पर आधारित हैं,जो जनभावनाओं का जीवंत चित्रण करते। तमाम मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है।आप गद्य विधा के लेखक हैं
सूरतगंज इतिहास
सूरतगंज का अपना एक अनोखा इतिहास है। जिसका संबंध रैकवार वंश से माना जाता है। इस वंश के पूर्वज साल देव और बाल देव थे। इनकी उत्पत्ति राका देव से है। जिनका राज्य रामनगर धमेरी था। राजा सरबजीत सिंह, रामनगर-धमेरी के 9वें राजा हुए जो 1857 में गद्दी के लिए सफल हुए, और अपव्यय का जीवन शुरू किया और संपत्ति भारी बोझिल हो गई।1888 में इसे कोर्ट ऑफ वार्ड्स के प्रबंधन में लिया गया था और जुलाई 1901 में ही जारी किया गया था। 4 दिसंबर 1877 को राजा की उपाधि को वंशानुगत के रूप में मान्यता दी गई थी। राजा सरबजीत सिंह के संबंध में बताया जाता है कि कादिरजहां नाम की बेगम थी।जो राजा सरबजीत सिंह कोठी सूरतगंज में बनाई गई थी। इस कोठी में बेगम कादिर जहां अधिकतर समय व्यतीत किया करती थी। वर्तमान में कोठी खंडहर में तब्दील हो चुकी है। जिसके कुछ हिस्से टूटकर गिर चुके हैं। दीवारें गिरने के कगार पर है। इन दीवारों के गिरने से कभी भी कोई बड़ी घटना घटित हो सकती है। जिसके चलते कोठी के आसपास रहने वाले लोगों को भय है।इस संबंध में जयप्रकाश रावत संपादक "संदेश महल" समाचार ने स्थानीय लोगों से जानकारी हासिल किया तो उनका कहना है कि कि राजा के वंशजों की जिम्मेदारी है कि सूरतगंज किले की व्यवस्था को गंभीरता से लेते हुए लोगों की समस्यायों को नजर अंदाज न करें।हालत यह है कि महल किले की दीवारों के हिस्से किसी भी समय ढह सकते हैं। 1888 में इसे कोर्ट ऑफ वार्ड्स के प्रबंधन में लिया गया था और जुलाई 1901 में ही जारी किया गया था। 4 दिसंबर 1877 को राजा की उपाधि को वंशानुगत के रूप में मान्यता दी गई थी। रायकवार कबीले के मुखिया, पहली शादी, रानी चंद्र कुंवर, उनकी मृत्यु हो गई,ठाकुर दुर्गा सिंह चंदेल की बेटी, दूसरी शादी,रानी गुलाब कुंवर,बहराइच के ठाकुर बेनी प्रसाद सिंह की बेटी,और उनका एक बेटा था।दिसंबर 1899 में सूरतगंज में उनकी मृत्यु हो गई।
सन्दर्भ
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
- ↑ "बाराबंकी में एक महिला ने 5 बच्चों को दिया जन्म, 4 स्वस्थ 1 की हालत थोड़ी अस्थिर". zeenews.india.com. अभिगमन तिथि 29 सितंबर 2020.