सूरज (1966 फ़िल्म)
सूरज | |
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सूरज का पोस्टर | |
निर्देशक | टी प्रकाश राव |
लेखक | अबरार अलवी (संवाद) |
निर्माता | एस. कृष्णमूर्ति |
अभिनेता | वैजयन्ती माला, राजेन्द्र कुमार, अजीत, जॉनी वॉकर, मुमताज़ |
संगीतकार | शंकर-जयकिशन |
प्रदर्शन तिथियाँ | 25 मार्च, 1966 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
सूरज 1966 में बनी हिन्दी भाषा की ऐतिहासिक फ़न्तासी और रूमानी फिल्म है। इसका निर्माण एस. कृष्णमूर्ति ने किया और निर्देशन टी प्रकाश राव द्वारा किया गया। फिल्म में वैजयन्ती माला और राजेन्द्र कुमार मुख्य भूमिका में हैं, जबकि मुमताज़, जॉनी वॉकर, ललिता पवार, गजानन जागीरदार, डेविड, आग़ा, मुकरी, मल्लिका और निरंजन शर्मा सहायक भूमिकाओं में हैं। फिल्म में संगीत शंकर-जयकिशन द्वारा दिया गया था, जिसके बोल शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी ने लिखें थे।
संक्षेप
विक्रम सिंह (डेविड) प्रताप नगर के महाराजा हैं और अपने सेनापति संग्राम सिंह की वर्षों की निष्ठावान सेवा से प्रभावित हैं। वह उसे महाराजा बनाने का फैसला करते हैं और अपनी बेटी अनुराधा की शादी उसके बेटे, प्रताप के साथ करने के लिए सहमत हो जाते हैं। सालों बाद, विक्रम अपने बड़ी हो चुकी अनुराधा (वैजयन्ती माला) को राजकुमार प्रताप सिंह (अजीत) के राज्याभिषेक में जाने और उसे अपने पति के रूप में स्वीकार करने के लिए भेजता है।
सफर में बिना किसी सुरक्षाकर्मी के, उसके साथ केवल उसकी सेविका कलावती (मुमताज़) जाती है। कुछ ही समय बाद, विक्रम को सूचित किया जाता है कि कलावती का अपहरण सूरज सिंह (राजेन्द्र कुमार) नाम के एक दस्यु ने किया है। वह तदनुसार संग्राम के पास पहुँचता है और यहीं पर उन्हें झटके के साथ का पता चलता है कि कलावती अनुराधा बन रही है, और वह उसकी बेटी है जिसका अपहरण कर लिया गया है। तब सूरज को गिरफ्तार किया जाता है और उसे एक तहखाने में रखा जाता है, और प्रताप की ताजपोशी और उसके बाद अनुराधा के साथ शादी की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं।
मुख्य कलाकार
- वैजयन्ती माला — राजकुमारी अनुराधा सिंह
- राजेन्द्र कुमार — सूरज सिंह
- अजीत — राजकुमार प्रताप सिंह
- गजानन जागीरदार — राम सिंह
- आग़ा — कोतवाल भक्ति चरन
- भारती — गीता सिंह
- डेविड — महाराजा विक्रम सिंह
- निरंजन शर्मा — महाराजा संग्राम सिंह
- ललिता पवार — महारानी
- मुकरी — अनोखे
- केशव राणा
- जॉनी वॉकर — भोला
- मुमताज़ — कलावती
- माल्विका — माधुरी
- नीतू सिंह — बालिका गीता
संगीत
फिल्म का संगीत शंकर-जयकिशन ने बनाया था। गाने के बोल शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी ने लिखें थे। इस एल्बम में गायिका शारदा की शुरुआत चार्टबस्टर गीत "तितली उड़ी उड़ जो चली" से हुई थी। यह वह गीत है जिसके लिए उन्हें सबसे ज्यादा याद किया जाता है।
इस साउंडट्रैक को प्लैनेट बॉलीवुड द्वारा 100 महानतम बॉलीवुड साउंडट्रैक की सूची में 86वें नम्बर पे रखा गया था। "बहारों फूल बरसाओ" गीत 1966 की बिनाका गीत माला वार्षिक सूची में सबसे ऊपर था। इसी तरह, "तितली उड़ी उड जो चली" गीत को 21वें नम्बर पर सूचीबद्ध किया गया था।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "देखों मेरा दिल मचल गया" | शैलेन्द्र | शारदा | 3:30 |
2. | "तितली उड़ी उड़ जो चली" | शैलेन्द्र | शारदा | 3:46 |
3. | "कैसे समझाऊँ बड़ी नासमझ" | हसरत जयपुरी | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 6:32 |
4. | "इतना है तुमसे प्यार मुझे" | हसरत जयपुरी | मोहम्मद रफ़ी, सुमन कल्याणपुर | 4:47 |
5. | "चेहरे पे गिरीं ज़ुल्फ़ें" | हसरत जयपुरी | मोहम्मद रफ़ी | 5:25 |
6. | "बहारों फूल बरसाओ" | हसरत जयपुरी | मोहम्मद रफ़ी | 4:27 |
7. | "एक बार आता है दिन ऐसा" | हसरत जयपुरी | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 5:01 |
नामांकन और पुरस्कार
पुरस्कार | श्रेणी | नामित व्यक्ति | नतीजा | टिप्पणी | सन्दर्भ |
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फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार | सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक | शंकर-जयकिशन | जीत | ||
सर्वश्रेष्ठ गीतकार | हसरत जयपुरी | "बहारों फूल बरसाओ" के लिये | |||
सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायन | मोहम्मद रफ़ी |