सुशील कालरा
सुशील कालरा | |
---|---|
जन्म | 13 जून 1940 गुजरांवाला, पाकिस्तान |
मौत | 8 सितम्बर 2013 |
राष्ट्रीयता | भारत |
पेशा | कार्टूनिस्ट, चित्रक |
कार्यकाल | १९६८–२०१३ |
सुशील कालरा[1] जन्म 13 जून 1940 में गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) हुआ था। बहुत भटकाव के बाद उन्होंने अपनी अभिरुचि को समझते हुए नयी दिल्ली में कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स में प्रवेश ले लिया। एक एड-मेन के रूप में उत्पादों के विज्ञापन अभियानों ने उन्हें लोकप्रिय बनाया। उन्होंने व्यंग्यचित्र बनाने की शुरूआत की। बाद में वे पूरी तरह से १९६८ में व्यंग्यचित्रण के क्षेत्र में उतर गये। हिंदुस्तान टाइम्स प्रकाशन के दैनिक हिन्दुस्तान, ईवनिंग न्यूज़, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, नन्दन, कादम्बिनी आदि के लिए सुशील कालरा ने कार्टून और रेखांकन बनाए। उन्होंने व्यापक रूप से विदेश की यात्राएं की, यहां तक कि उत्तरी ध्रुव की भी। उनके किया काम कई पश्चिमी और यूरोपीय देशों में प्रदर्शित और प्रकाशित हुआ। उन्होंने राजनीतिक कॉलम भी लिखे। बच्चों की पत्रिका नन्दन में नियमित छप्ने वाली उनकी बनायी चित्रकथा चीटू-नीटू काफ़ी लोकप्रिय थी। उन्होंने यह कार्टून स्ट्रिप 44 साल बनायी।[2] उन्होंने एक उपन्यास लिखा था निक्का निमना, जिसका बाद में पंजाबी और अंग्रेजी में अनुवाद भी हुआ। वे छोटे पर्दे के एक जानेमाने व्यक्तित्व थे। उनका साक्षात्कार बीबीसी पर प्रसारित हुआ था और भारत के जानेमाने १० कार्टूनिस्टों की एक टीवी श्रंखला में भी उन्हें शामिल किया गया था। उन्होंने ३८ श्रंखलाओं में प्रसारित हुई रविवारीय क्विज़ को प्रस्तुत किया। हिन्दुस्तान टाइम्स से रिटायर होने पर उन्होंने अपने बेटों के साथ काफी समय अमेरिका में बिताया। वहां वे इच्छुक कलाकारों की मदद के लिए अंतर्राष्ट्रीय कलाकार समर्थक समूह (IASG), एक (आइएमजी) वॉशिंगटन डीसी, संगठन में शामिल हो गये। उन्होंने अकेले दम पर ललित कला अकादमी नयी दिल्ली में इस समूह के लिए ६ अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया। सन् २०११ में स्वास्थ्य जांच में उन्हें चौथे चरण का कैन्सर बताया गया। जब उनकी कैंसर चिकित्सक पुत्रवधु ने यह समाचार दिया तो उन्होंने अपने परिजनों से इस बात का खुलासा किसी से न करने को कहा। केमोथेरेपी इलाज के द्दौरान उनकी स्थिते में काफ़ी तेजी से सुधार आया। इसी बीच उन्होंने निक्का-निमना के अनुवाद कार्य की गति तेज कर दी। वे वहां से भी नियमित रूप से हर महीने नन्दन के लिए चीटू-नीटू बनाकर भारत भेजते रहे। निका-निमना का अनुवाद खत्म करने पर उन्होंने अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण भाग यानी भारत-पाक बंटवारे के दौर, जब वे मात्र ७ साल के बालक थे, के तमाम अनुभवों को लिखने का निर्णय लिया। ये पुस्तकें एक मत, कयामत अब प्रकाशनाधीन हैं।
गुजांवाला उनके मन-मस्तिष्क में बसा हुआ था। वे प्राय: विभाजन के काल को याद कर काफ़ी भावुक हो जाते थे। वे चाहते थे राष्ट्रीय स्तर पर कार्टूनिस्टों की कोई अच्छी संस्था हो। सुशील कालरा का देश से दूर मैरीलेण्ड, अमरीका में ८ सितम्बर २०१३ को निधन हो गया।
किताबें एवं लेख
- हंसी हाजिर हो - सुशील कालरा[3]
- मध्यरात्रि में सूर्य स्नान - सुशील कालरा[4]
- This India: A Collection of 101 Cartoons. National. 1993. ISBN 9788121404983.[5]
बाहरी कड़ियाँ
- ↑ Sushil Kalra's Profile @ Linkedin[मृत कड़ियाँ]
- ↑ Cartoonist Sushil Kalra Brief Profile @ bhadas4media Archived 2013-09-12 at the वेबैक मशीन
- ↑ हिन्दी पुस्तकों की सूची/श हंसी हाजिर हो - सुशील कालरा
- ↑ हिन्दी पुस्तकों की सूची/प मध्यरात्रि में सूर्य स्नान - सुशील कालरा
- ↑ Hathi Trust Digital Library This India: A Collection of 101 Cartoons Archived 2016-03-10 at the वेबैक मशीन