सुविधिनाथ
| पुष्पदन्तनाथ | |
|---|---|
| नौवें जैन तीर्थंकर | |
सुविधिनाथ भगवान की प्रतिमा | |
| विवरण | |
| अन्य नाम | सुविधिनाथ |
| एतिहासिक काल | १ × १०२१८ वर्ष पूर्व |
| शिक्षाएं | अहिंसा |
| पूर्व तीर्थंकर | चन्द्रप्रभ |
| अगले तीर्थंकर | शीतलनाथ |
| गृहस्थ जीवन | |
| वंश | इक्ष्वाकु |
| पिता | सुग्रीव |
| माता | रामा |
| पंच कल्याणक | |
| जन्म कल्याणक | मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी |
| जन्म स्थान | काकंदी |
| मोक्ष स्थान | सम्मेद शिखर |
| लक्षण | |
| रंग | सफ़ेद |
| चिन्ह | मगर |
| ऊंचाई | १०० धनुष (३०० मीटर) |
| आयु | २,००,००० पूर्व (१४.११२ × १०१८ वर्ष) |
| शासक देव | |
| यक्ष | अजित |
| यक्षिणी | सुतारा |
| जैन धर्म |
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तीर्थंकर सुविधिनाथ, जो पुष्पदन्त के नाम से भी जाने जाते हैं, वर्तमान अवसर्पिणी काल के ९वें तीर्थंकर है। इनका चिन्ह 'मगर' हैं।
मोक्ष
भगवान पुष्पदन्त की टोंक को सुप्रभ कूट भी कहा जाता है। वादियों में बसी भगवान पुष्पदन्त की टोंक भगवान पार्श्वनाथ की टोंक से लगभग 1.8 कि.मि. की दूरी पर स्थित है। यहाँ से भगवान पुष्पदंतनाथ ने एक हजार साधुओं के साथ मोक्ष प्राप्त किया था। भगवान पुष्पदन्त जी का जन्म काकांदी नगर में कृष्ण पक्ष की पंचमी को मूल नक्षत्र में हुआ था। बेहद कम आयु में ही इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी थी।