सुमतिनाथ
| सुमतिनाथ | |
|---|---|
| पाँचवें तीर्थंकर | |
| विवरण | |
| अन्य नाम | सुमतिनाथ |
| एतिहासिक काल | १ × १०२२२ वर्ष पूर्व |
| पूर्व तीर्थंकर | अभिनंदन |
| अगले तीर्थंकर | पद्मप्रभु |
| गृहस्थ जीवन | |
| वंश | इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय |
| पिता | मेघरथ |
| माता | सुमंगला |
| पंच कल्याणक | |
| च्यवन स्थान | जयंत नाम के विमान से |
| जन्म कल्याणक | चैत्र शुक्ल ११ |
| जन्म स्थान | अयोध्या |
| दीक्षा कल्याणक | वैशाख शुक्ल ९ |
| दीक्षा स्थान | अयोध्या |
| केवल ज्ञान कल्याणक | चैत्र शुक्ला ११ |
| केवल ज्ञान स्थान | अयोध्या |
| मोक्ष | चैत्र शुक्ल ११ |
| मोक्ष स्थान | सम्मेद शिखर |
| लक्षण | |
| रंग | स्वर्ण |
| चिन्ह | चकवा |
| ऊंचाई | ३०० धनुष (९०० मीटर) |
| आयु | ४०,००,००० पूर्व (२८२.२४ × १०१८ वर्ष) |
| वृक्ष | प्रियंगु |
| शासक देव | |
| यक्ष | तुम्बरु |
| यक्षिणी | महाकाली |
| गणधर | |
| प्रथम गणधर | वज्रसेन (अमर वज्र) |
| गणधरों की संख्य | ११६ |
सुमतिनाथ जी वर्तमान अवसर्पिणी काल के पांचवें तीर्थंकर थे। तीर्थंकर का अर्थ होता है जो तीर्थ की रचना करें। जो संसार सागर (जन्म मरण के चक्र) से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करें, वह तीर्थंकर कहलाते हैं।
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