सुकुलभठली
सुकुलभठली मध्य भारत के छत्तीसगढ़ प्रदेश के रायगढ़ जिले का एक छोटा सा गांव है। पूर्व नाम कोलताभठली। जिला मुख्यालय से दुरी 16 की.मी. दक्षिण में एवं तहसील मुख्यालय पुसौर से उत्तर में 2 की.मी. में स्थित है। यह ग्राम पंचायत मुख्यालय है इसका डाकघर निकटतम ग्राम पश्चिम में तड़ोला है।
जनसँख्या
सुकुलभठली की जनसंख्या करीब 530 है। 18 वर्ष से अधिक करीब 380। गांव की साक्षरता 90% से ऊपर है लिंगानुपत 1010 है जो बहुत ही अच्छी है। जन्म दर के मुकाबले यहाँ मृत्युदर काफी कम है। गांव का निकटतम स्वाथ्य केंद्र कोसमंदा,पुसौर बदेहल्दी है।
शिक्षा
गांव के प्रायः सभी युवा साक्षर है गांव में सिर्फ प्राथमिक स्तर की शिक्षा उपलब्ध है माध्यमिक से उच्च शिक्षा के लिए पंचपारा पुसौर एवं रायगढ़ जाना पड़ता है। इसी गांव से शिक्षा लेकर यहाँ के युवा सेना ,शिक्षा , स्वास्थ्य, आदि विभिन्न विभागों में कार्यरत है।
आय
यहाँ की आय का प्रमुख़ स्रोत कृषि है यहाँ धान अनाज में। दलहन में राहड़,मूंग,तुवर एवं अन्य नगदी फसले तथा मौसमी सब्जिया जैसे बरबट्टि सेम मूली प्याज आलू गोभी करेला कुंदरू मिर्च धन्या आदि फसलों से आय का उपार्जन हो पता है। कृषि के साथ साथ छोटे धंदो से भी जुड़े लोग है।
संस्कृति एवं मनोरंजन
गांव में प्रायः उड़िया (संबलपुरी कोसली) बोली जाती है हिन्दू सम्प्रदाय के विभिन्न जनजाति समूह की एकता मानो देखते ही बनती है। जिसमे कोलता अघरिया माली सौरा पोबिया केंवट गांडा आदि शामिल है।
पुरे ग्राम के निवासी बहुत ही मृदुभाष सरल तथा संस्कारी है गांव एक आर्यसमाजी ग्राम है जो छ.ग.आर्य प्रतिनिधि सभा से संबद्ध है। गांव के मध्य चौपाल पर प्रतिसंध्या संध्यापाठ किआ जाता है विगत दशको से। हम कह सकते है यह एक अभूतपूर्व संस्कृति का हिस्सा है।
70 के दसक में यहाँ आर्यसमाज का आगमन हुआ सब इसी विचार धरा से जुड़े , इसी विचारधारा पर गांव के युवाओं द्वारा 1991 में आर्य युवा समिति नामक संगठन का निर्माण किया था जो पूर्व से अब तक इसी ग्रामीण सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी में जिवंत रखे हुए है। विभिन्न कार्यक्रमो के साथ साथ कबड्डी के खेल में यह संगठन वृहद् स्तर के आयोजन में बहुत ख्याति प्राप्त कर चुका है एवं अन्य सामाजिक कार्यो में भी बड़ चढ़ कर योगदान रहा है।
गांव में सभी त्यौहार अपने रीत से बड़े हर्षो उल्लास से मिलकर मनाया जाता है।
गांव के जागरूक ग्रामवासी एवं कुशल जनप्रतिनिधियो के माध्यम से यह ग्राम नई ऊंचाइयों को छू सकता है।।