साम्भर झील
सांभर खारी झील | |
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Sambhar Salt Lake | |
सांभर खारी झील | |
स्थान | राजस्थान, भारत |
निर्देशांक | 26°58′N 75°05′E / 26.967°N 75.083°Eनिर्देशांक: 26°58′N 75°05′E / 26.967°N 75.083°E |
प्रकार | खारी झील |
जलसम्भर | 5700 किमी² |
द्रोणी देश | भारत |
अधिकतम लम्बाई | 35.5 किमी |
अधिकतम चौड़ाई | 3 से 11 किमी |
सतही क्षेत्रफल | 190 से 230 किमी² |
औसत गहराई | 0.6 मी से 3 मी |
अधिकतम गहराई | 3 मी |
सतही ऊँचाई | 360 मी |
बस्तियाँ | सांभर, जबदीनगर, गोविन्दी, गुधा, झाक, नावा शहर , झोपक, उलाना। |
भारत के राजस्थान राज्य में जयपुर नगर के समीप स्थित यह लवण जल (खारे पानी) की झील है। यह झील समुद्र तल से 1,200 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। जब यह भरी रहती है तब इसका क्षेत्रफल 90 वर्ग मील रहता है। इसमें चार नदियाँ (रुपनगढ,मेंथा,खारी,खंड़ेला) आकर गिरती हैं। इस झील से बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन किया जाता है।
मध्यकाल में यह क्षेत्र भील राज्य का प्रमुख व्यावसायिक केंद्र रहा [1] अनुमान है कि अरावली के शिष्ट और नाइस के गर्तों में भरा हुआ गाद (silt) ही नमक का स्रोत है। गाद में स्थित विलयशील सोडियम यौगिक वर्षा के जल में घुसकर नदियों द्वारा झील में पहुँचाता है और जल के वाष्पन के पश्चात झील में नमक के रूप में रह जाता है।
पौराणिक उल्लेख
महाकाव्य महाभारत के अनुसार यह क्षेत्र असुर राज वृषपर्व के साम्राज्य का एक भाग था और यहाँ पर असुरों के कुलगुरु शुक्राचार्य निवास करते थे। इसी स्थान पर शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी का विवाह नरेश ययाति के साथ सम्पन्न हुआ था। देवयानी को समर्पित एक मंदिर झील के पास स्थित है। अवेध बोरवेल के चलते तथा परवासी परिंदों को सुरक्षित रखने के लिए नरेश कादयान द्वारा जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर केर दी है। एक अन्य हिंदू मान्यता के अनुसार, शाकम्भरी देवी जो कि चौहान राजपूतों की रक्षक देवी हैं, ने यहां स्थित एक वन को बहुमूल्य धातुओं के एक मैदान में परिवर्तित कर दिया था। लोग इस संपदा को लेकर होने वाले संभावित झगड़ों के लेकर चिंतित हो गये और इसे एक वरदान के स्थान पर श्राप समझने लगे। लोगों ने देवी से अपना वरदान वापस लेने की प्रार्थना की तो देवी ने सारी चांदी को नमक में परिवर्तित कर दिया। यहाँ शाकम्भरी देवी को समर्पित एक मंदिर भी उपस्थित है। वैसे माता शाकम्भरी देवी का मुख्य मंदिर सहारनपुर मे है चौहानों ने यहां पर भी माँ शाकम्भरी देवी की स्थापना की थी
भूगोल
इस झील में मुख्य चार नदियां मेड़ता, मेंथा , रूपनगढ़, खंडेला से पानी आता है। झील का कुल जलग्रह क्षेत्र 5700 वर्ग किलोमीटर है।[2]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Rájasthána Vikása - Volume 3.
- ↑ "Opening up the windows of a unique landscape" (PDF). राजस्थान पर्यटन विभाग. पृ॰ 4. मूल (PDF) से 5 जून 2020 को पुरालेखित.