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सहन-सीमा (प्रौद्योगिकी)

सहन-सीमा (Tolerance) अभियांत्रिकी का महत्वपूर्ण अवधारणा (कांसेप्ट) है। यह बताता है कि किसी तन्त्र या उत्पाद के किसी भौतिक राशि (पैरामीटर) के निर्धारित मान से कितना घट-बढ या विचलन अपेक्षित/स्वीकार्य है। ज्ञातव्य है कि किसी भी उत्पादन प्रक्रिया में कोई किसी पैरामीटर का निरपेक्ष मान प्राप्त नही किया जा सकता बल्कि इसमें कुछ विचलन सम्भव है। जैसे यह कहना कि अमुक छेद का व्यास २ सेमी होना चाहिये - अपने आप में अपूर्ण विशिष्टि है क्योंकि किसी भी तरीके से ठीक-ठीक २ सेमी व्यास का छेद नहीं बन सकता या कई छेद बनाने पर उनमें आपस में पूर्णतः समानता नहीं हो सकती। उसमें कुछ न कुछ त्रुटि या परस्पर विचलन अवश्य रहेगी चाहे वह कितना ही कम क्यों न हो। विचलन की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि कितने सही औजार प्रयोग किये गये; कौन सी विधि प्रयुक्त हुई; बाहरी व्यवधानों (डिस्टर्बन्सेस्) पर कितना नियन्त्रण रखा गया; कितनी कार्यकुशलता वाले श्रमिक ने इसे बनाया आदि।


अत: टॉलरेंस का निम्नलिखित में से कोई भी अर्थ हो सकता है:

  • भौतिक बिमा (dimension) में निर्धारित मान से विचलन
  • किसी पदार्थ के किसी भौतिक गुण, निर्मित वस्तु, तन्त्र, या सेवा का निर्धारित मान से सम्भावित अधिकतम विचलन

किसी प्रक्रम या उत्पाद के बिमाएँ, गुण आदि निर्धारित मान से कुछ सीमित मात्रा में घट-बढ होने से उसकी कार्यशीलता पर कोई विशेष प्रभाव (खराबी) नहीं डालते। टॉलरेंस इस व्यावहारिक बात को ध्यान में रखते हुए निर्दिष्ट किये जाते हैं कि कोई भी प्रक्रिया/पदार्थ/उत्पाद पूर्णतः दोषरहित नहीं होता और दूसरी तरफ यह कि थोडी-बहुत घट-बढ से कार्य पर बहुत बड़ा प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।