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सरिय्या मुहम्मद बिन मसलमा (क़रता)

सरिय्या मुहम्मद बिन मसलमा (क़रता)
तिथि जुलाई, 627 ई. मुहर्रम में , 6 हिजरी
स्थान दिरियाह , नज्द
परिणाम निम्नलिखित नुसार:
  • 10 जनजाति के सदस्य मारे गए, 1 कैदी को पकड़ लिया गया
  • 150 ऊंट और 3000 बकरियों को लूट के रूप में पकड़ा गया[1]
सेनानायक
मुहम्मद बिन मसलमाen:Thumamah ibn Uthalसुमामा बिन असाल हनफ़ी
शक्ति/क्षमता
30 अनजान
मृत्यु एवं हानि
0 killed 10 मारे गए

सुमामा बिन असाल हनफ़ी को पकड़ लिया गया

सरिय्या मुहम्मद बिन मसलमा (क़रता) (अंग्रेज़ी: Expedition of Muhammad ibn Maslamah एक प्रारंभिक इस्लामी अभियान था जो जुलाई, 627 ईस्वी में मुहर्रम, 6 हिजरी में हुआ था। इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद द्वारा साथी (सहाबा) मुहम्मद बिन मसलमा रज़ि० के नेतृत्व में तीस मुसलमानों की एक पलटन को बनू बक्र की बस्ती की ओर एक सैन्य मिशन पर भेजा गया था। इस अभियान को सरिय्यए नज्द भी कहते हैं।[2]

अभियान

मुस्लिम विद्वान सफिउर्रहमान मुबारकपुरी के अनुसार, जब पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खंदक़ की लड़ाई और ग़ज़वा ए बनू क़ुरैज़ा की लड़ाइयों से फारिग हो गए और सामरिक अपराधियों से निपट चुके तो उन क़बीलों और अरबों के ख़िलाफ सबक़ सिखाने वाले हमले शुरु कि जो सुख-शान्ति की राह में भारी पत्थर बने हुए थे और ज़बरदस्त ताकत के बगैर शान्तिपूर्वक नहीं रह सकते थे।

इस सिलसिले में यह पहली झड़प है, जिस के लिए 30 आदमियों की छोटी से टुकड़ी को नज्द के अंदर बकरात के क्षेत्र में ज़रीया के आस-पास करता नामी जगह पर भेजा गया था। ज़रीया और मदीना मात रात की दूरी है। रवानगी 10 मुहर्रम सन् 06 हि० को अमल में आई।

मुहम्मद बिन मसलमा के नेतृत्व में तीस मुसलमानों की एक पलटन को बनू बक्र की बस्ती की ओर चल पड़े। मुसलमानों ने हमला किया और उन्हें सभी दिशाओं में तितर-बितर कर दिया। मुसलमानों ने युद्ध के माले "ग़नीमत पर कब्जा कर लिया और बनू हनीफा के कबीले के प्रमुख सुमामा बिन असाल हनफ़ी को बंदी बनाके के लौट आए।

बंदी प्रमुख

सुमामा बिन असाल हनफ़ीमुसलमा कज़्ज़ाब के हुक्म से भेस बदल कर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कल करने निकले थे। लेकिन मुसलमानों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और मदीना लाकर मस्जिदे नबवी के एक खम्बे से बांध दिया। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तशरीफ तो उससे पूछा“सुमामा तुम्हारे नज़दीक क्या है?" उन्होंने कहा, “ऐ मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मेरे नज़दीक ख़ैर है। अगर तुम कत्ल करो तो एक खून वाले को कुल्ल करोगे और अगर एहसान करो तो एक कद्र-दान पर एहसान करोगे और अगर माल चाहते हो तो जो चाहो मांग लो। उस के बाद आप ने उन्हें उसी हाल में छोड़ दिया। फिर आप दोबारा गुज़रे तो फिर वही सवाल किया और सुमामा ने फिर वही जवाब दिया। इस के बाद आप तीसरी बार गुज़रे, तो फिर वही सवाल व जवाब हुआ। इसके बाद आप ने सहाबा रज़ि० से फ़रमाया कि सुमामा को आज़ाद कर दो। उन्होंने आज़ाद कर दिया। सुमामा मस्जिदे नबवी के क़रीब खजूर के एक बाग़ में गए, गुस्ल किया और आप के पास वापस आ कर मुसलमान हो गए, फिर कहा, “अल्लाह की कसम! इस धरती पर कोई चेहरा मेरे नज़दीक आप के चेहरे से ज़्यादा नफरत वाला न था, लेकिन अब आप का चेहरा दूसरे तमाम चेहरों से भी ज्यादा प्रिय हो गया है और अल्लाह की कसम ! इस धरती पर कोई दीन मेरे नज़दीक आप के दीन ने ज्यादा बुरा न था, मगर अब आप का दीन सरे तमाम दीनों से ज्यादा प्रिय हो गया है।[3][4]

सराया और ग़ज़वात

अरबी शब्द ग़ज़वा [5] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[6][7]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Muhammad Yasin Mahzar Siddiqi, Role of Booty in the economy during the prophets time, Vol. 1, King Abdul Aziz University , p.11. (archive)
  2. "सरिय्यए नज्द, पुस्तक 'सीरते मुस्तफा', शैखुल हदीस मौलाना अब्दुल मुस्तफ़ा आज़मी, पृष्ट 374". Cite journal requires |journal= (मदद)
  3. Safiur Rahman Mubarakpuri, en:Ar-Raheeq Al-Makhtum -en:seerah book. "Mission of Muhammad bin Maslamah". पृ॰ 431.
  4. सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "सरिय्या मुहम्मद बिन मसलमा". पृ॰ 642. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
  5. Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
  6. siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
  7. ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up

बाहरी कड़ियाँ

  • अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ), पैगंबर की जीवनी (प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित पुस्तक), हिंदी (Pdf)