सरिय्या कुर्ज बिन जाबिर फ़हरी
सरिय्या कुर्ज बिन जाबिर फ़हरी रज़ि० | |||||||
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मुहम्मद की सैन्य उपलब्धियाँ का भाग | |||||||
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सेनानायक | |||||||
en:Kurz ibn Jabir Al-Fihri | अनजान | ||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||
30 | 8 | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
1 मारा गया | 8 मारे गए[2] |
सरिय्या कुर्ज बिन जाबिर फ़हरी रज़ि० या सरिय्या उरनिय्यनि (अंग्रेज़ी: Expedition of Kurz bin Jabir Al-Fihri यह सैन्य अभियान फरवरी 628AD, इस्लामी कैलेंडर के 6AH के 10वें महीने में हुआ। हमला आठ लुटेरों पर निर्देशित था जिन्होंने एक मुसलमान को मार डाला था। मुसलमानों ने लुटेरों को पकड़ लिया और उन्हें सूली पर चढ़ा दिया (इस्लामिक स्रोतों के अनुसार)। इस घटना में कुरआन की आयत (क़ुरआन) 5:33 धरती पर फसाद और शरारत फैलाने वालों की सजा के बारे में पता चला था।
पृष्ठभूमि
इस्लाम के विद्वान सफिउर्रहमान मुबारकपुरी लिखते हैं कि यह सरिय्या शव्वाल सन् 06 हि० में सहाबा हज़रत कुर्ज बिन जाबिर फ़हरी रजि० की कियादत में भेजा गया। इस की वजह यह है कि उकल और उरैना के कछ लोगों ने मदीना आ कर इस्लाम जाहिर किया और मदीना ही में ठहर गये, लेकिन इनको मदीना की जलवायु रास न आयी और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इन्हें कुछ ऊंटों के साथ चरगाह भेज दिया और हुक्म दिया कि ऊंटों का दूध और पेशाब पिएं। जब ये लोग तन्दुरुस्त हो गए तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाह अलैहि व सललम के चरवाहे को कत्ल कर दिया और ऊंटों को हांक ले गए और इस्लाम अपनाने के बाद अब फिर कुफ्र अपना लिया, इसलिए अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलेहि व सल्लम ने उनकी खोज के लिए कुर्ज बिन जाबिर फहरी रजि० को बीस सहाबा रजि० के साथ रवाना फुरमाया और यह दुआ फरमाई कि ऐ अल्लाह उरनियों पर रास्ता अंधा कर दे और कंगन से भी ज़्यादा तंग बना दे। अल्लाह ने यह दुआ कुबूल फरमाई, उन पर रास्ता अंधा कर दिया, चुनांचे वे पकड़ लिए गए और उन्होंने मुसलमान चरवाहों के साथ जो कुछ किया था, उस के किस और बदले के तौर पर उन के हाथ पांव काट दिए गए, आंखों में सलाइयां फेरी गयीं और उन्हें हर्रा के एक कोने में छोड़ दिया गया, जहां वह जमीन कुरेदते-कुरेदते अपने नतीजे को पहुंच गए (अर्थात मर)। उन की यह घटना सहीह बुखारी वगैरह में हजरत अनस रजि० ई से रिवायत की गयी है।[बुखारी 2/602 वगैरह][3]
संबंधित आयते कुरआन
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते है और धरती के लिए बिगाड़ पैदा करने के लिए दौड़-धूप करते है, उनका बदला तो बस यही है कि बुरी तरह से क़त्ल किए जाए या सूली पर चढ़ाए जाएँ या उनके हाथ-पाँव विपरीत दिशाओं में काट डाले जाएँ या उन्हें देश से निष्कासित कर दिया जाए। यह अपमान और तिरस्कार उनके लिए दुनिया में है और आख़िरत में उनके लिए बड़ी यातना है[4]
सराया और ग़ज़वात
अरबी शब्द ग़ज़वा [5] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[6][7]
इन्हें भी देखें
- वादियुल क़ुरा का तीसरा अभियान
- ख़ालिद बिन वलीद
- मुहम्मद की सैन्य उपलब्धियाँ
- मुहम्मद के अभियानों की सूची
- ग़ज़वा ए दूमतुल जन्दल
सन्दर्भ
- ↑ "Encyclopaedia of Islam". अभिगमन तिथि 17 December 2014.
- ↑ अ आ Mubarakpuri, Saifur Rahman Al (2005), The sealed nectar: biography of the Noble Prophet, Darussalam Publications, पृ॰ 396 (online)
- ↑ सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "सरिय्या उरनिय्यनि". पृ॰ 675. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
- ↑ (आयत (क़ुरआन)5:33) https://tanzil.net/#trans/hi.farooq/5:33
- ↑ Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
- ↑ siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
- ↑ ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up
बाहरी कड़ियाँ
- Ar Raheeq Al Makhtum – The Sealed Nectar ( Biography Of The Noble Prophet)
- अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ), पैगंबर की जीवनी (प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित पुस्तक), हिंदी (Pdf)