समकालीन
समकालीन इतिहास के उस अवधि के बारे में बताता है जो आज के लिए एकदम प्रासंगिक है तथा आधुनिक इतिहास के कुछ निश्चित परिप्रेक्ष्य से संबंधित है।
हाल के समकालीन इतिहास की कमजोर परिभाषा विश्व युद्ध-II जैसी घटनाओं को शामिल करती है, लेकिन उन घटनाओं को शामिल नहीं करती जिनके प्रभाव को समाप्त किया जा चुका है।
समकालीन युग
समकालीन ऐतिहासिक घटनाएं वे हैं जो आज के दिन के लिए एकदम प्रासंगिक हैं।
यूरोप में, शब्द "समकालीन" का प्रयोग 1989 की क्रांति के समय से शुरू हुआ। विश्व युद्ध के समय के (प्रथम विश्व युद्ध - एवं विश्व युद्ध - II के आस-पास) तथा शीत युद्ध के प्रभाव को आज के समकालीन इतिहास में भी महसूस किया जा रहा है।
एशिया में, समकालीन शब्द का इतिहास में अधिक प्रयोग संभवत: द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति से शुरू हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद स्वतंत्रता का संघर्ष शुरू हो गया, अधिकतर राज्यों ने संप्रभुता हासिल कर ली लेकिन, एशिया के ये देश शीत युद्ध के प्रभाव के तहत स्थापित किए गए। उत्तर पूर्व एशिया और वियतनाम युद्ध में फंस गए और कोरिया और वियतनाम जैसे विभाजित देश पैदा हुए। दक्षिण पूर्व एशिया ASEAN के रूप में संयुक्त नहीं हुआ (वियतनाम 1976 में पुनः एकीकृत हुआ), लेकिन एएसईएन (ASEAN) उत्तरपूर्व एशिया में शामिल नहीं हुआ।
अब इन देशों में रह रहे लोगों ने इनमे से प्रत्येक के विकास को देखा है। इसकी आपनी एक अलग पहचान है।[1] युग के दौरान जबकि यहां महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और मानवीय प्रगतियां होती रही हैं, वर्तमान युग ने भी महत्वपूर्ण राजनैतिक प्रगति की है और यह प्रगति पैदा नहीं की गई, वरन उनका विकास किया गया।
सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियां राष्ट्रीयता और राष्ट्र को नए तरीके से परिभाषित करना तथा चल रही तकनिकी प्रगतियां रही हैं, जो वीसवीं शताब्दी को चिन्हित करती हैं।
20वीं सदी
आधुनिक काल की उल्लेखनीय घटनाओं में दो विश्व युद्ध एवं शीत युद्ध शामिल हैं।
विश्व युद्धों का समय
20 वीं सदी के मोड़ पर, विश्व ने दो महान आपदाओं प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध को देखा. महान युद्ध के बीच में, "20वीं सदी" ने महान समृद्धि को भी देखा, जब नई तकनीक की प्रगति ने पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया, लेकिन जल्द ही इसका अन्त एक महान निराशा में हुआ। इसी दौरान, लीग ऑफ नेशंस का गठन वैश्विक मुद्दों को सुलझाने के लिए किया गया लेकिन यह प्रमुख शक्तियों का समर्थन जुटाने में असफल रहा और एक संकट के सिलसिले ने दुबारा पूरे विश्व को हिंसा के एक दूसरे समय में धकेल दिया.
1945 के बाद का विश्व
शीत युद्ध 1940 के मध्य में शुरू हुआ और 1990 के दशक के शुरूआत तक चला. अंतरिक्ष युग इसी का समवर्ती था जिसके आस-पास इन घटनाओं से प्रभावित अन्तरिक्ष दौड़, अन्तरिक्ष खोज, तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का भी जोर रहा.
1945 के बाद की अवधि के दौरान, शीत युद्ध की अभिव्यक्ति सैन्य गठबंधन, जासूसी, हथियारों के विकास, हमलों, अफवाहों एवं प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकीय विकास में दिखाई पड़ी. सोवियत संघ ने कब्जा किए हुए देशों के पूर्वी ब्लॉक का निर्माण किया, जिनमें से कुछ को सोवियत सोशलिस्ट गणराज्यों के रूप में शामिल किया एवं कुछ को सेटेलाईट राज्य के रूप में बनाए रखा जिससे बाद में वारसॉ की संधि पैदा हुई. संयुक्त राज्य अमेरिका और विभिन्न पश्चिमी यूरोपीय देशों ने साम्यवाद की रोकथाम की "नीति" शुरू की और अंत तक असंख्य फर्जी संधियां की जिनमें नाटो (NATO) शामिल है। इस संधर्ष ने महंगे रक्षा खर्च, एक बड़े पैमाने पर परंपरागत और परमाणु हथियारों की दौड़ और कई प्रॉक्सी युद्धों को जन्म दिया, दो महाशक्ति सीधे एक दूसरे से कभी नहीं लड़े.
20वीं शताब्दी के मोड़ पर शुरू हुई पैक्स अमेरिकाना पश्चिमी दुनिया में उदार रिश्तेदार शांति की ऐतिहासिक अवधारणा को लागू करने के लिए एक पदवी है जिसके परिणाम स्वरूप संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा शक्ति का बहुतायत में उपभोग किया गया। हालांकि इसे 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में अपनी प्राथमिक उपयोगिता मिली, यह विभिन्न स्थानों और युगों में प्रयोग होता रहा है। इसका वर्तमान लक्ष्य तब साबित हुआ जब 1945 में विश्व युद्ध-II के अंत होने पर शान्ति की स्थापना हुई.
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21 वीं शताब्दी और देर से आधुनिक हुई दुनिया
2000 के दशक में 2000 से 2009 तक के साल शामिल हैं। 2000 का दशक 1990 के दशक में शुरू हुए सामाजिक मुद्दों के विस्तार की ओर इशारा करता है, जिनमें आतंकवाद का विकास, तनाव, आर्थिक भूमंडलीकरण का विस्तार, मोबाईल फोन एवं इंटरनेट के साथ संचार एवं दूरसंचार का विस्तार एवं अंतर्राष्ट्रीय पॉप संसकृति शामिल हैं।
वर्तमान 2010 या दसवां दशक 1 जनवरी 2010 को शुरू हुआ और 31 दिसम्बर 2019 को खत्म हो जाएगा.
सूचना का युग और कंप्यूटर
सूचना का युग या सूचना के काल को सामान्यतः कंप्यूटर युग के रूप मे भी जाना जाता है। यह एक विचार है जिसे इस रूप में चिन्हित किया जाएगा कि इस युग में एक व्यक्ति का मुक्त होकर सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने की योग्यता तथा अधिक से अधिक जानकारियों को तुरन्त प्राप्त कर लेना शामिल होगा, जो पहले बहुत कठिन या असंभव था। यह विचार गंभीर रूप से डिजिटल युग या डिजिटल क्रान्ति की अवधारणा से जुड़ा है तथा औद्योगिक क्रान्ति द्वारा लाए गए पारंपरिक उद्योगों को लगभग सूचना के परिचालन पर आधारित अर्थव्यवस्था में बदल देने का भी जिम्मेवार है। यह अवधि आमतौर पर 20वीं सदी के उत्तरार्ध में शुरू हुई बतायी जाती है, यद्दपि निश्चित दिनांक में भिन्नता हो सकती है। डिजिटल चीजों के उपयोग की शुरूआत 1980 के दशक के अंत एवं 1980 के दशक के शुरू में प्रारंभ हुई तथा इसका उपयोग आज भी इंटरनेट की उपलब्धता के साथ किया जा रहा है।
1990 के दशक के अंत के दौरान इंटरनेट निर्देशिका और सर्च इंजन दोनों लोकप्रिय थे --Yahoo! और अल्टाविस्टा (दोनों की स्थापना 1995 में हुई) इस उद्योग के क्रमश: नेता थे। 2001 के अंत तक गुगल के उदित होने (1998 में स्थापित) पर उसके रास्ते पर चलते हुए डिरेक्टरी मॉडल ने सर्च इंजिन को रास्ता दिखाना शुरू कर दिया था और जिसने रैंकिंग प्रासंगिकता के लिए नई दिशाओं का विकास किया। निर्देशिका सुविधा जबकि अभी भी सामान्य रूप से उपलब्ध है, खोज इंजन के लिए उत्तर - चिंतन बन गया। डाटाबेस आकार, जो 2000 के दशक के शुरू में एक महत्वपूर्ण मार्केंटिंग फिचर था, उसी तरह रिलवेंसी रैंकिंग, जिस विधि के द्वारा सर्च इंजिन सबसे अच्छे परिणामों को पहले छांटती है, पर जोर देने से बदल गया।
"वेब 2.0" को संचार, सूचना आदान-प्रदान, अंतरसंक्रियता, उपयोगकर्ता केंद्रित डिजाइन[2] तथा विश्व में फैले वेब के साथ सहयोग करने वाले के रूप में पहचाना जाता है। इसने वेब आधारित समुदायों के विकास का रास्ता दिखाया, सेवाओं की मेजबानी की तथा वेब उपयोगिताओं को दिशा दी. सोशल नेटवर्किंग साईट्स, विडियो शेअरिंग साईट्स, विकिज, ब्लॉग, मशुप्स तथा फोकसोनोमिज के उदाहरण दिए जा सकते हैं।
पूर्वी शक्तियों का विकास
देश% | वृद्धि |
---|---|
China | 11.90%[3] |
India | 9,00%[3] |
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, जीडीपी (शुद्ध) विकास दर के द्वारा देशों की सूची को देखें. ]] जबकि एशिया का आर्थिक विकास थोड़ा धीमा रहा है, एक चीन है, जिसने एक क्षेत्रिय ताकत के रूप में खुद को ढालने और अरबों उपभोक्ता बाजारों की ओर जाकर बहुत विकास किया। भारत, अन्य गैर पश्चिमी विकासशील देशों के साथ तेजी से बढ़ रहा है और खुद को विश्व अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने की शुरूआत कर दी है।
चीन के विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने के बाद देश के रहन-सहन में काफी सुधार हुआ है क्योंकि चीन में मध्यम वर्ग फिर से प्रकट हो गए हैं। पश्चिम के भीतरी देशों और पूर्व में धन असमानता दिन पर दिन और बढ़ी है, "पश्चिम को विकसित करो" जैसे सरकारी कार्यक्रम को उत्साह देते हुए, "संघाई-तिबिब्बत रेलवे" जैसी परियोजना को हाथ में लेते हुए. शिक्षा का बोझ पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा है। ज्हू के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान, जिसने बहुत सारे आधिकारियों को सजा दी, के बावजूद सामाजिक बिमारी के रूप में भ्रष्ट्राचार जारी है।
2009 के शुरूआत तक भारत के लगभग 300 मिलियन लोग, जो पूरे संयुक्त राज्य की संपूर्ण जनसंख्या के बराबर है, गरीबी के चरम से निजात पा गए।[4] आर्थिक उदारीकरण की नीतियों का फल भारत में 2007 में अपने शिखर तक पहुंच गया, जब भारत का दर सकल घरेलू उत्पाद विकास दर का 9% की ऊंचाई प्राप्त कर गया।[5] इस के साथ भारत विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में चीन के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच गया।[6] रिपोर्ट में कहा गया) एक आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कि 7.5 का औसत विकास दर दशक में औसत आय को दोगुना कर देगा और सुधार को और आधिक गति मिलेगी.[7]
आने वाली ग्यारह अर्थव्यवस्थाओं में एशिया के देशों की बहुतायता है। चीन, भारत, मलेशिया, थाईलैंड और फिलीपींस के साथ ही नए उभरे औद्योगीकृत देशों में भारी संख्या एशिआई देशों की है।
यूरेशियाई युनियन और फेडरेशन
यूरोप में, यूरोपीय संघ एक जियो-पोलेटिकल है जिसकी स्थापना विभिन्न संधियों के आधार पर हुई है, तथा अपने विस्तार में इसने यूरोप के बहुसंख्यक देसो को शामिल किया। इसके जन्म की तारीख द्वितीय विश्वयुद्द काल से भी पहले की है। सही में पेरिस में 1951 में युरोपियन कोल एलं स्टील समुदाय की स्थापना हुई, इसके बाद "स्चूमैन घोषणा", या रोम की संधि करते हुए युरोपियन आर्थिक समुदाय तथा युरोपियन परमाणु ऊर्जा समुदाय की स्थापना हुई. ये दोनों निकाय अब युरोपिय संघ के अंग हैं जिसकी स्थापना इसी नाम से 1993 में हुई.
पोस्ट कम्युनिस्ट अवधि में, रूसी संघ एक स्वतंत्र देश बन गया। पन्द्रह गणराज्यों में, जिनसे मिलकर सोवियत संध की स्थापना हुई थी, रूस 60% जीडीपी के लिए जिम्मेदार तथा सोवियत संघ की पूरी जनसंख्या का आधा होने के साथ सबसे बड़ा था। कम्युनिस्ट पार्टी तथा सोवियत सेना पर भी रूसियों का प्रभुत्व था। रूस को सोवियत संघ के कूटनीतिक मामलों में उततराधिकारी राज्य के रूप में व्यापक रूप में स्वीकृति हासिल थी तथा इसने यूएसएसआर की स्थायी सदस्यता तथा यूएन सुरक्षा परिषद में वीटो प्राप्त किया था; देखिए रूस एवं संयुक्त राष्ट्र . रूस में राजनौतिक संस्कृति एवं सामाजिक संरचना की बहुत सारी चीजें अपनी जारसाही और सोवियत अतीत के साथ आज भी जारी है।
लेट आधुनिक आतंकवाद और युद्ध
पश्चिमी दुनिया तथा मध्य पूर्व के लिए 2000 के दशक में महत्वपूर्ण राजनौतिक विकास हालिया आधुनिक आतंकवाद, आतंकवाद पर युद्ध, अफगानिस्तान युद्ध तथा इराक युद्ध के आस-पास ही धूमता रहा.
सितंबर 11 का हमला अल-कायदा के द्वारा संघबद्ध आत्मघाती हमलों की ही एक कड़ी थी जो संयुक्त राज्य पर 11 सितंबर 2001 को किया गया। उस दिन सबेरे, 19 अल कायदा आतंकवादियों ने चार वाणिज्यिक यात्री जेट एअरलाइनर्स का अपहरण कर लिया।[8][9] अपहर्ताओं ने जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्वीन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिसमें बोर्ड के सभी लोग तथा मकान के अंदर आन्य काम करने वालों में भी कई मारे गए। दोनों भवन दो घंटे के भीतर ढह गए, पास की इमारतों को नुकसान पहुंच और दूसरे भवन भी नष्ट हो गए। अपहर्ताओं ने तीसरे विमान को वांशिगटन, डी.सी. के ठीक बाहर एर्लिंगटन, वर्जिनिया के पैंटागन से टकरा दिया. चौथा विमान कुछ यात्रियों एवं पलाईट क्र्यु के द्वारा उसपर अधिकार करने की कोशिश के बाद समरेस्ट काउटि, पैंसिलवेनिया में शांक्सविले के पास मैदान में गिर गया। उस विमान को अपहर्ताओं ने वीसिंगटन डी.सी. की ओर दुबारा मोड़ दिया था। 11 सितंबर के हमले के बाद प्रमुख आतंकवादी घटनाओं मास्को रंगमंच घेराबंदी, 2003 इस्तांबुल बम विस्फोट, मैड्रिड ट्रेन बम विस्फोट, बेसलान स्कूल में बंधक संकट, 2005 का लंदन बम विस्फोट, 2005 का नई दिल्ली बम विस्फोट और 2008 का मुंबई होटल घेरेबंदी शामिल है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने 11 सितंबर के हमले का उत्तर "आतंकवाद पर ग्लोबल युद्ध" को जारी करते हुए तथा पौट्रियाटिक कानून बनाते हुए अफगानिस्तान से तालिबान, जिसने अलकायदा को शरण दिया था, को हटाने के लिए हमला किया दिया. कई अन्य देशों ने भी अपने आतंकवाद विरोधी कानून को मजबूत बनाया और कानून प्रवर्तन की शक्तियों का विस्तार किया। 2001 के हमलों के बाद से "आतंकवाद पर ग्लोबल युद्ध" इस्लामी सैन्य एवं इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ सैन्य, राजनीतिक, कानूनी और वैचारिक संघर्ष रहा है।
अफगानिस्तान में युद्ध 2001 के बाद के वर्षों में यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो के नेतृत्व वाली तथा संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधीकृत आईएसएएफ (ISAF) के द्वारा 11 सितंबर के हमलों की प्रतिक्रिया स्वरूप शुरू हुआ। आक्रमण के उद्देश्यों में ओसामा बिन लादेन और अपहरण करने वाले ऊंचे स्तर के और अल-कायदा सदस्यों को खोजना और उनसे पूछताछ करना, अलकायदा के पूरे संगठन को नष्ट करना, तालिबान, जिसने अलकायदा को समर्थन दिया था और उन्हे सुरक्षित आश्रय दिया था, उसके हुकूमत का खात्मा करना शामिल था। बुश प्रशासन की नीति और बुश के सिद्धांत में यह कहा गया था कि सेना आतंकवादी संगठनों और उन्हें शरण देने वाले देश या सरकार में कोई अंतर नही करेगी. अफगानिस्तान में दो सैन्य अभियान उस देश पर नियंत्रण के लिए लड़ रहे हैं। ऑपरेशन स्थायी स्वतंत्रता (OEF) संयुक्त राज्य का एक युद्ध अभियान है जिसमें उसके सहयोगी भी शामिल हैं तथा अभी इसके तहत प्रारंभिक रूप में उक्त देश के पूर्वी एवं दक्षिणी भाग के साथ ही पाकिस्तान की सीमा पर अभियान जारी है। दूसरा ऑपरेशन अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (ISAF) है जिसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के द्वारा 2001 के अंत में काबुल एवं आस-पास के क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए किया गया। नाटो ने ISAF पर 2003 में नियंत्रण ग्रहण कर लिया।
अफगान नॉर्दन एलायंस के द्वारा अतिरिक्त सेना की आपूर्ति के साथ ही बहुराष्ट्रीय बलों की जमीनी कार्रवाई तथा लागातार हवाई बमबारी ने तालिबान को सत्ता से हटा दिया, लेकिन तालिबान के सेनाओं ने कुछ शक्तियाँ फिर से प्राप्त कर लीं.[10] युद्ध आशा की तुलना में अल-कायदा को प्रतिबंधित करने के अपने लक्ष्य को हासिल करने में अधिक सफल नहीं हुआ।[11] 2006 के बाद से, अफगानिस्तान को तालिबान के नेतृत्व वाली विद्रोही गतिविधियों से हमेशा चुनौती मिली, अवैध नशीली दवाओं का उत्पादन रिकार्ड स्तर पर हुआ[12][13] और काबुल के बाहर एक कमजोर सरकार का सीमित नियंत्रण रहा.[14] 2008 के अंत में, युद्ध ओसामा बिन लादेन पर अधिकार करने में असफल हो गया तथा संयुक्त राज्य एवं पाकिस्तान के बीच उस एक घटना से तनाव पैदा हो गया जब तालिबान के सदस्य गुट की सैन्य टुकड़ियों द्वारा पीछा किए जाने पर पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए।
दूसरा खाड़ी युद्ध एक बहुराष्ट्रीय शक्ति के द्वारा इराक पर आक्रमण के साथ 2003 में शुरू हुआ।[15] इराक पर आक्रमण ने एक व्यवसाय का नेतृत्व किया तथा सद्दाम हुसैन पर इराकी सरकार द्वारा अंतिम रूप से कब्जा करने के बाद उसे मार डाला गया। गुट सेनाओं के खिलाफ और विभिन्न सम्प्रदायिक दलों के बीच की हिंसा ने इराकी विद्रोहियों के साथ एक विषम युद्द, इराक के विभिन्न शिया एवं सून्नी समूहों के बीच विवाद तथा इराक में अलकायदा के अभियानों का मार्ग प्रशस्त कर दिया.[16][17] गठबंधन या गुट के सदस्य देशों ने आम जनता की इराक से सेना की वापसी की बढ़ती मांग को देखते हुए अपनी सेना को वापस बुला लिया और यह इसलिए भी हुआ कि इराकी सेना ने सुरक्षा की जिम्मेदारियां सम्हालना शुरू कर दिया था।[18][19] 2008 के बाद के दिनों में यू.एस. तथा इराकी सरकार ने स्टेटस ऑफ फोर्स एग्रिमेंट का अनुमोदन कर दिया जो 2011 के अंत तक प्रभावी है।[20] इराकी संसद ने भी यू.एस. के साथ एक कौशलपूर्ण समझौते की रूपरेखा को मंजूरी दी,[21][22] जिसका उद्देश्य संवैधानिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, धमकी का निवारण, शिक्षा,[23] ऊर्जा का विकास एवं अन्य क्षेत्रों को सुनिश्चित करना है।[24] 2009 में, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने "कौम्बैट फोर्सेस" के लिए 18 महीने की विथड्रउल विंडो की घोषणा की.
ओबामा प्रशासन ने आतंक युद्ध का नाम बदल कर "ओवरसीज कंटिजेंसी ऑपरोशन" कर दिया है।[25] इसके उद्देश्यों में अमेरिकी नागरिकों तथा दुनिया भर में फैले उनके व्यवसायिक हितों की रक्षा, यू.एस. में आतंकवादी गतिविधियों को कमजोर करना तथा अलकायदा एवं उससे संबंधित समूहों को नष्ट करना शामिल है।[26][27] अमेरिकी प्रशासन ने इराक से अपने सैनिकों को वापसी के विवाद पर, गुअंटानामो बै डिटेंशन कैंप को बंद करने तथा अफगानिस्तान में उठ रही लहर की ओर फिर से ध्यान केंद्रित किया है।
इजरायल -फिलीस्तीन विवाद
इजरायल फिलीस्तीन विवाद फिलीस्तीनियों एवं इजरायलियों के बीच एक चला आ रहा विवाद है।[28] यह संघर्ष व्यापक रूप में अरब-इजरायल विवाद का निर्माण करता है। फिलीस्तीनी इजरायल संघर्ष के लिए द्वि-राज्य समाधान ही अनुकूल समाधान है जो वर्तमान में विवादित दोनों पक्षों के बीच विचारणीय है।
एक द्वि-राज्य समाधान फिलिस्तीन के ऐतिहासिक क्षेत्र के पश्चिमी भाग को दो अलग राज्य, एक जेविश और दुसरा अरब, बनाकर समस्या को सुलझाने की परिकल्पना करता है। इस विचार के अनुसार, अरब निवासियों को नए फिलिस्तीनी राज्य द्वारा नागरिकता प्रदान किया जाएगा, फिलीस्तीनी शरणार्थियों को भी ऐसी ही नागरिकता देने की पेशकश की संभावना होगी. आज के इजरायल के अरब नागरिकों के पास इस बात का विकल्प है कि वे या तो इजरायल के साथ रहें, या नए फिलिस्तीन के नागरिक बन जाएं.
वर्तमान में, इजरायल और फिलिस्तीन की बहुसंख्यक जनता एक चुनावी पोल के मुताबिक किसी भी अन्य समाधान की तुलना में द्वि-राज्य समाधान को वरीयता दे रही है।[29][30][31] अधिकतर फिलीस्तीनी इजरायल वेस्ट बैंक एवं गाजा पट्टी को अपने भविष्य राज्य के रूप में देखते हैं और यह बात अधिकतर इजरायलियों ने स्वीकार किया है।[32] एक मुट्ठी भर शिक्षित एकल-राज्य के समाधान की वकालत करते हैं, जिसके द्वारा संपूर्ण इजरायल, गाजा पट्टी, तथा वेस्ट बैंक सभी लोगों के लिए समान अधिकार के साथ एक बाई-नेशनल राज्य बन जाएगा.[33][34]
किसी अंतिम समझौते के आकार पर महत्वपूर्ण असहमति के क्षेत्र तो हैं ही साथ ही प्रत्येक पक्ष की बुनियादी प्रतिबद्धताओं पर विश्वसनीयता के स्तर के संबंध में भी चीजें साफ नहीं हैं। इस्राइली और फिलिस्तीनी समाज के भीतर यह संघर्ष राय और विचारों की एक व्यापक विविधता को जन्म देता है। यह इस्राइलियों और फिलिस्तीनियों के बीच मौजूद गहरे अलगाव को ही उजागर नहीं करता है, वरन् उनके आपसी आलगाव को भी दर्शाता है। 2003 के बाद से फिलिस्तीनी पक्ष जिन दो प्रमुख गुटों बीच संघर्ष के द्वारा खंडित कर दिया गया है, वे हैं - फतह, पारंपरिक रूप से प्रमुख दल, तथा हमास, जिसने हाल ही में उसे चुनावी चुनौती दिया.
समकालीन दुनिया
वर्तमान और भविष्य
साँचा:Decadebox दुनिया इस समय तीसरी सहस्राब्दी में है। 21 वीं सदी ईसाई युग की वर्तमान सदी है या ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार एक आम सदी है। यह 1 जनवरी 2001 को शुरू हुई और 31 दिसम्बर 2100 को समाप्त होगी. 2010 का दशक 1 जनवरी 2010 से शुरू होकर 31 दिसम्बर 2019 तक चलता रहेगा.
वर्तमान समय एक ऐसा समय है जो सीधे समझ जान लेने वाली वाली घटनाओं के साथ जुड़ा हुआ है,[35] न कि स्मरण या कल्पना के साथ. इसे प्राय: अंतरिक्ष-समय के हाइपरप्लेन के रूप में दर्शाया जाता है,[36] प्राय: अभी कहा जाता है, हलांकि आधुनिक गणित भौतिकी बताता है कि इस तरह का हीइपरप्लेन अनोखे ढंग से रिलेटिव मोशन के पर्यवेक्षक के लिए व्याख्यायित नहीं किया जा सकता (जो परम समय और अंतरिक्ष की विचारधारा को नकारता है). वर्तमान को एक अवधि के रूप में भी देखा जा सकता है (देखिए स्पेशस प्रजेंट[37][38]).
तीसरी सहस्राब्दी एक हजार वर्ष की तीसरी अवधि है। चुंकि यह सहस्राब्दी इस समय चल रही है, केवल इसका प्रथम दशक, 2000, पारंपरिक इतिहासकारों के ध्यान का विषय हो सकता है। 21वीं सदी का शेष भाग एवं लौंगर-टर्म ट्रेंड अब भविष्य के अध्ययनों में खोजे जाएंगे, अध्ययन की यह पद्धति विभिन्न माडलों एवं तरह-तरह की विधियों का इस्तेमाल करती है (जैसे कि "भविष्यवाणी" एवं "अतीतवाणी"). इतिहास के आविष्कार के बाद से ही लोगों ने उस पाठ की खोज की, जिसे इसके अध्ययनों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है, इस सिद्धांत के आधार पर कि अपने अतीत को समझना सक्षमता के साथ अपने भविष्य पर नियंत्रण करना है।[39] जार्ज संतायना की एक प्रसिद्ध उक्ति यह बताती है कि "जो लोग अपने अतीत को याद नहीं रखते वे इसे दुहराने के लिए अभिशप्त होते हैं।"[40] ऑर्नोल्ड जे. टॉयनबी ने अपने स्मारकीय इतिहास के अध्ययन में सभ्यताओं के उत्थान और पतन के क्रम की तलाश की है।[41] इस सिलसिले में एक और अधिक लोकप्रिय विल और एरियल डुरांट ने 1968 की अपनी पुस्तक द लेसन ऑफ हिस्ट्री को उन "घटनाएं एवं टिप्पणियां जो वर्तमान मामलों, भविष्य की संभावनाओं... और राज्य के चरित्र को को नष्ट कर सकती है", पर विचार करने के लिए समर्पित किया है।[42] इतिहास के पाठों पर विचार अक्सर ऐतिहासिक व्योरों की ओर चले जाते हैं या, इसके विपरीत अतिरंजित हिस्टिरियोग्रैफिक साधारणीकरण की ओर.[43]
वैकल्पिक भविष्य का विश्लेषण करने के लिए भविष्य अध्ययन चल रहे प्रयास को एक महत्वपूर्ण भाव (इपिस्टेमोलॉजिकल शुरूआती विंदु) के रूप में ग्रहण करता है। इस प्रयास में परिवर्तन की संभावना, संभाव्यता और वांछनीयता के बारे में मात्रात्मक और गुणात्मक डेटा संग्रह शामिल होते हैं। फ्यूचरलॉजी में भविष्य शब्द की अधिकता बहुत तरह के वैकल्पिक भविष्यों की ओर इशारा करता है जिनमें बेहतर भविष्य का सबसेट (नियामक भविष्य) भी शामिल है, जिसका अध्ययन किया जा सकता है।
इस विषय के जानकारों ने पहले तकनीकी, आर्थिक या सामाजिक प्रवृति पर बातों का विस्तार किया, या भविष्य की प्रवृतियों पर भविष्यवाणी करने का प्रयास किया, लेकिन एकदम हाल में उन्होंने सामाजिक संरचना एवं अनिश्चितता और परिदृश्य का निर्माण करने के परीक्षण की शुरूआत की. इस परिदृश्य पर दुनियाभर के विचारों के कैजुअल लेयर्ड विश्लेषण (एवं अन्य) के द्वारा प्रश्न खड़ा किया और एक बेहतर भविष्य दृष्टि का निर्माण किया, तथा वैकल्पिक कार्यान्वयन कौशल के लिए अतीतकथन का उपयोग किया। एक्सट्रपलेशन और परिदृश्यों के अलावा, भविष्य के अनुसंधान में बहुत सारे तकनीक एवं विधियों का प्रयोग किया जाता है।
सामाजिक-तकनीकी प्रवृति
बीसवीं सदी के अंत में दुनिया एक बड़े असमंजस में थी। पूरी सदी के दौरान पिछले इतिहास की तुलना में कहीं अधिक तकनीकी विकास हुआ। कंप्यूटर, इंटरनेट और अन्य आधुनिक तकनीक ने हमारे दैनिक जीवन को पूरी तरह बदल दिया. वृहद भूमंडलीकरण विशेष रूप से अमेरिकीकरण प्रकट हुआ। एक जरूरी खतरे के रूप में नहीं, लेकिन इससे विश्व के अधिकांश भागों में विशेषकर मध्य पूर्व में अमेरिका विरोधी और पश्चिमी विरोधी माहौल पैदा हुआ। अंग्रेजी भाषा वैश्विक भाषा बन गई है, जो इसे नहीं बोल पाता वह बहुत घाटे में हैं।
उत्तरी अमेरिका, एशिया तथा मध्य पूर्व में हो रही आर्थिक एवं राजनैतिक घटनाओं ने जिवाश्म ईंधन की उनकी मांग को बढ़ाया है, जो कि कुछ नए पेट्रोलियम खोज, उन्हें निकालने में भयंकर खर्च (देखिए पीक ऑयल), तथा राजनौतिक बखेडे की वजह से गैस और ऑयल का मूल्य 2000 से 2005 के बीच ~500% बढ़ गया है। कुछ स्थानों में, विशेष रूप से यूरोप में गैस की कीमत करेंसी के आधार पर $ 5 प्रति गैलन हो सकती है। कम प्रभावशाली, लेकिन सर्वव्यापी बहस तुर्की के युरोपीय संध में भागीदारी को लेकर है।
चुनौतियां और समस्याएं
समकालीन युग में दुनिया कई मुद्दों का सामना कर रही है। पहली बात तो यह है कि धन G8 और पश्चिमी औद्योगीकृत राष्ट्रों के साथ ही एशिया के कई देशों और ओपेक (OPEC) देशों के बीच केन्द्रित है। वर्ष 2000 में अमीर नौजवानों में अकेले 1% के पास वैश्विक संपति के 40% पर अधिकार था और कुल विश्व के कुल 85% में से 10% अमीर नौजवान शामिल थे।[44] नीचे की आधी वयस्क जनसंख्या के पास वैश्विक धन का मुश्किल से 1% हिस्सा है।[44] एक और अध्ययन में पाया गया कि सबसे अमीर 2% लोगों का आधे से अधिक वैश्विक घरेलू धन पर अधिकार है।[45] इसके बावजूद, वितरण की दिशा अधिक से अधिक धन के जमाव की ओर काफी तेजी से बदल रही है।[46] हालांकि, बड़ी आर्थव्यवस्था वाले शक्तिशाली राष्ट्र एवं धनी व्यक्ति तीसरी दुनिया की तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकते हैं। बहरहाल, विकासशील देश कई तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं, जिनमें कार्य के स्तर का विस्तार, तेजी बढ़ती हुई जनसंख्या, तथा पर्यावरण की रक्षा की जरूरत शामिल हैं। साथ ही इन चुनौतियों के मुकाबले में हुआ खर्च भी एक चुनौती है।
दूसरे, रोग के संकट ने दुनिया के बहुत सारे भागों को अस्थिर कर दिया है। सार्स (SARS), वेस्ट नील तथा बर्ड फ्लू जैसे नये वायरसों का तेजी से और आसानी से फैलना जारी है। गरीब देशों में, मलेरिया और अन्य बीमारियों ने अधिकांश आबादी को प्रभावित किया है। लाखों लोग एचआइवी वायरस से संक्रमित हैं, जो एड्स का कारण है। दक्षिणी अफ्रीका में यह वायरस एक महामारी का रूप लेता जा रहा है।
आतंकवाद, तानाशाही और परमाणु हथियारों के प्रसार के मुद्दों पर भी तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। उत्तर कोरिया में किम जौंग-इल जैसे तानाशाह लागातार अपने देशों में परमाणु हथियारों के विकास को दिशा दिखा रहे हैं। डर यह भी है कि आतंकवादी परमाणु हथियार प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं, या कि पहले ही उसे प्राप्त कर चुके हैं।
जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन की झलक हमें आधुनिक परिवेश की जलवायु में मिल रही है। पिछली सदी में हुआ जलवायु परिवर्तन उन बहुत सारे तत्वों के लिए जिम्मेवार है जिनके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग पैदा हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग 20वीं शताब्दी के मध्य के बाद से पृथ्वी के आस-पास की सतह की हवा और समुद्र के औसत तापमान में बढ़ोतरी और इसके प्रायोजित तरीके से जारी रहने को कहा जाता है। मानव जीवन और प्राकृतिक वातावरण, दोनों पर ग्लोबल वार्मिंग के कुछ प्रभावों को कम से कम कुछ भाग में महसूस किया जा सकता है। आईपीसीसी (IPCC) का 2001 का एक रिपोर्ट यह सुझाव देता है ग्लेशियर का पीछे हटना, बर्फ शेल्फ का विघटन जैसे कि वर्फ के शेल्फ में वृद्दि, समुद्र के स्तर में वृद्धि, बरसात के पैटर्न में परिवर्तन, तथा मौसम की चरम घटनाओं की तीव्रता एवं उनके दुहराव का कारण ग्वोबल वार्मिंग ही है।[48] इसके अन्य संभावित प्रभावों में, कुछ क्षेत्रों में पानी की किल्लत तथा दूसरे क्षेत्रों में इसके अवक्षेपण में बढ़ोतरी, पहाड़ स्नोपैक में बदलाव, तथा अधिक गरम तापमान से स्वास्थ्य पर होने वाले प्रतिकूल असर शामिल हैं।[49] हलांकि, इस बात पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि ग्लोबल वार्मिंग पर विवाद भी है जो ग्लोबल वार्मिंग की प्रकृति, कारण और इसके नतीजे के मतभेदों की ओर अपना ध्यान ले जाता है।
आमतौर पर विशिष्ट मौसम की घटनाओं का विश्व पर मानवीय प्रभाव के साथ जोड़ना असंभव है। इसके बजाय, इस तरह के प्रभाव से यह आशा की जा सकती है कि ये समग्र वितरण तथा मौसम की घटनाओं की तीव्रता में परिवर्तन लाएंगे, जैसे कि भारी वर्षा की तीव्रता और उसकी आवृति में परिवर्तन. व्यापक प्रभावों में, हिमनदों का पीछे हटना, आर्कटिक का सिकुड़ना और दुनिया भर में समुद्र के जल स्तर में वृद्धि को शामिल किया जा सकता है। फसलों की पैदावार में बदलाव, व्यापार के नए मार्गों का बनना,[50] प्रजातियों का विलुप्त होना तथा[51] रोग वेक्टरों के रेंज में परिवर्तन इसके अन्य प्रभावों में शामिल किए जा सकते हैं।
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उभरती हुई तकनीकें
उभरती हुई विभिन्न तकनीकें, तकनीक के क्षेत्र में हाल के विकास और उनका विभिन्न क्षेत्रों की ओर झुकाव से भविष्य के प्रभावित होने की संभावना है। उभरती हुई तकनीकों ने परिवहन, सूचना तकनीक, जैवतकनीक, रोबोटिक्स तथा व्यवहारिक यांत्रिकी, तथा पदार्थ विज्ञानों सहित तकनीकों के जन्म और विस्तार के क्षेत्र में आधुनिक विकास को भी अपने घेरे में ले लिया है। उनकी स्थिति और संभावित प्रभावों में सामाजिक प्रभाव के स्तर या तकनीकों की व्यावहारिकता पर विवाद भी शामिल हैं। हालांकि, ये सब एक क्षेत्र के भीतर नये और महत्वपूर्ण विकास का प्रतिनिधित्व करते हैं; एक दिशा की ओर बढ़ रही प्रौद्योगिकियां पहले से ही अलग क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व करती है, जो एक तरह से मजबूत अंतर - संबंध और समान लक्ष्यों की ओर बढ़ रही हैं।
इसे भी देखें
- सामान्य
- वर्तमान, वर्तमान खबर, समकालीन दर्शन
- अंतर्राष्ट्रीय और वैश्विक
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वैश्विक पर्यावरण सुविधा, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी
- नीति और नौकरशाही
- सार्वजनिक नीति, ऊर्जा टास्क फोर्स, पर्यावरण नीति
- पीपुल्स पीढ़ी
- पीढ़ी, पीढ़ी की सूची, बेबी बूम पीढ़ी, पीढ़ी एक्स, एमटीवी पीढ़ी, पीढ़ी वाई, पीढ़ी जेड
- संगीत और कला
- लोकप्रिय संस्कृति, समकालीन कला, समकालीन नृत्य, समकालीन साहित्य, समकालीन गीत, समकालीन संगीत, समकालीन समकालीन शहरी मारा रेडियो, वयस्क समकालीन संगीत, समकालीन क्रिश्चियन संगीत, समकालीन आर एंड बी, नगरीय समकालीन
- कृषि और खाद्य
- हरित क्रांति, खाद्य सुरक्षा, सलाहकार समूह अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान पर, सतत कृषि, जैविक खेती
- ऊर्जा और शक्ति
- पवन ऊर्जा और फोटोवोल्टिक सौर ऊर्जा, पवन टरबाइन, जीवाश्म ईंधन, पनबिजली, बायोमास
- युद्ध और युद्ध
- युद्ध के कानून, युद्ध के सिद्धांतों, कमान पेपर, सामरिक अध्ययन संस्थान, अमेरिकी सैन्य अकादमी, आर्मी वार कॉलेज, सूचना युद्ध, आदेश की एकता, राष्ट्रीय सैन्य रणनीति, गुरिल्ला युद्ध, असममित युद्ध
- अन्य
- सिंक्रोनीसिटी, हाइपरटेक्स्ट, सीडी-रोम (CD-ROM), ऊर्जा विश्व, जैव प्रौद्योगिकी, जैव विविधता, वैकल्पिक इतिहास, भविष्य इतिहास
आगे पढ़ें
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