सफ़िया हयात
सफ़िया हयात | |
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जन्म | सफ़िया 25 दिसम्बर 1969 फ़ैसलाबाद, पंजाब, पाकिस्तान |
दूसरे नाम | सफ़िया |
पेशा | कवित्री , कहानीकार / अफसाना निगार ,कालमनवीस |
राष्ट्रीयता | पाकिस्तानी |
नागरिकता | पाकिस्तानी |
शिक्षा | एम ए फ़ारसी; एम् फिल ,फ़ारसी . |
उच्च शिक्षा | पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर |
विधा | छंद मुक्त कविता ,अफसाना , अखबार कालम नवीसी |
विषय | नारी मुक्ति |
आंदोलन | नारी मुक्ति आन्दोलन |
उल्लेखनीय कामs | माटी के दुःख |
बच्चे | अलीना ,आयमा (बेटियां ) और अहमद (बीटा) |
वेबसाइट | |
Facebook :https://www.facebook.com/profile.php?id=100012030631639 |
सफ़िया हयात पाकिस्तान पंजाब की उर्दू और पंजाबी की एक लेखिका हैं जो कविता और कहानी लिखती हैं। [1]वह एक नारीवादी आन्दोलन से जुडी हुई लेखिका हैं जो अपनी रचनाओं के ज़रिए औरतों के हक्कों के लिए आवाज़ बुलंद करती हैं।उनकी रचनाओं में एशियन मुल्कों ,ख़ास कर पाकिसतान और भारत जैसे मुलकों में औरतों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों का मार्मिक रूप से चित्रण किया होता है।
जीवन ब्यौरा
सफ़िया हयात का जन्म 25 दसंबर 1969 को फ़ैसलाबाद, पंजाब, पाकिस्तान में हुआ। उनके वालिद का नाम (महरूम )जनाब हयात अली और वालिदा मोहतरिमा सिदिकी बीबी है।सफ़िया हयात ने पंजाब विश्विध्याल्या लाहौर से फ़ारसी की तालीम हासिल की है और अब वहां से एम्.फिल. की उच्चतर विद्या प्राप्त क्र रही हैं।सफ़िया हयात पाकिस्तान के फ़ैसलाबाद के अदबी लोगों में एक जानी पहिचानी शख्शीअत हैं।वह पाकिस्तान के कई समाजक संगठनों से जुड़ क्र स्त्रीओं और बच्चों की भलाई के लिए भी काम करती हैं।वह उर्दू और फ़ारसी अध्यापन का काम भी करती है।
अदबी सफ़र
सफ़िया हयात ने 1982 से लिखना शुरू किया और अब तक लिखती आ रही हैं।उसने अपनी पहली नज़म ७ कक्षा में लिखी थी। सफ़िया हयात ने अखबारों में औरतों और समाजी मसलों पर कई लेख भी लिखे हैं।इनमें से अहम अखबार हैं :
कहानियाँ
सफ़िया हयात की कहानियों की एक पुस्तक "माटी के दुःख ]] प्रकाशत हो चुकी है और उसकी काफी कहानियाँ अलग अलग अख़बारों में भी प्रकाशत हो चुकी हैं। [2]उनकी इस पुस्तक को काफी सराहना मिली है। उनकी कविताओं की एक पुस्तक जल्दी प्रकाशत होने वाली है।
नज़म
सफ़िया हयात का नज़म और ग़ज़ल में अहम योगदान है। आलोचक उनकी नजमों को विशेष ध्यान देतें है और मानते हैं कि मौजूदा लिखी जा रही उर्दू शायरी में सफ़िया हयात का खास मुकाम है उनकी चुनिन्दा नज़में पाकिस्तान और इंगलैंड के मशहूर अदबी रिसालों में प्रकाशत होई है। [3]सफ़िया हयात आजकल सोसल मीडिया की Facebook साईट पर सरगरम रहती हैं और वहां अपनी कवितायेँ सांझा करती रहती है जो उनकी उपर सूचना बाक्स में दी गई आई उनकी Facebook आई डी में देखी जा सकती हैं। । [4]
कविता की मिसाल
कील की नोक पर नाच
वह समझता ही नहीं
कि हँसाना अब मेरी मजबूरी है
और खिलखिलाना दिखावा
वह हंसती हुई सिर्फ दिखाई देती है
जिसके पाँवों में इल्जामों के
कील ठोक दिए जाते है
जखमों के छाले रिसते हैं
और वह चलती जाती है
ठक्क ठक्क
ठक्क ठक्क
चलते चलते
पांवों में कील और गहरे ठुक जातें हैं
कील की नोक पर होता यह नाच
तमाशबीनों को खुश करता है
वह ज़खमी पैरों से नाचती रहती है
वह पूरा दिन कील की नोक पर नाचती है
और रात होते ही
उसे ताबूत में जिंदा सोना होता है
ग़ज़ल
दार गले का गहना होगा
फिर भी सच तो कहिन होगा
मेरी जिद्द के आगे दरिया
तुझको उल्टा बहना होगा
मेरे वकत में सूरज को भी
अपनी हद में रहना होगा
देखो तुमने इश्क किया है
हिज़र तुम्हें अब सहना होगा
रेडिओ
सफ़िया हयात फ़ैसलाबादके ऍफ़ एम् रेडिओ धमाल ऍफ़ एम् 94 (Dhamaal FM94) के ख़ास प्रोग्राम की संचालिका रही है जोउस दौरान बेहद्द मकबूल रहा था। [5]
संधर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 दिसंबर 2017.
- ↑ https://archive.org/details/MattiKeDukhBySafiaHayat
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 दिसंबर 2017.
- ↑ https://www.facebook.com/profile.php?id=100012030631639&lst=100001532557878%3A100012030631639%3A1497877640
- ↑ https://www.facebook.com/dhamaal94/?hc_ref=PAGES_TIMELINE&fref=nf