सदरुद्दीन मेवाती
सदरुद्दीन मेवाती:1857 की क्रांती का वीर सदरुद्दीन मेवाती, जिन्होंने मेवात मे 1857 मे अंग्रेजों के खिलाफ हुवे पहले सवतंत्रता संग्राम मे मेव क्रांतीवीरो का नेत्रत्व किया! इनका जन्म पिनगवां कस्बे के एक किसान परिवार मे हुआ!
इतिहास
- वीर_सदरुद्दीन मेवात का सुभाषचंद्र बोश....
13 मेई 1857 को मेवात के वीर सपूत सदरुद्दीन के नेत्रत्व मे अंग्रजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया. नुह, झिरका, हथीन, पुनहाना, ताऊडु, गुडगांव से अंग्रेजों को खदेडकर कब्जा कर लिया, अंग्रेज परस्त नुह और पिनगवां के खांजादो को लूट लिया! दूसरी और होडल के अंग्रेज परस्त सेरोत जाट और सियोली के पठान अंग्रेज सरकार के समर्थन मे मेदान मे उतर आऐ, लेकिन मेवाती क्रांतीकारियों के आगे इनको मुंह की खानी पडी.. अलवर के माहराजा ने क्रांतीकारियों के गढ गांव दोहा पर हमला किया लेकिन मेवाती वीरो के आगे माहराजा को उलटे पैर भागना पडा! मेवात के वीर मे 1857 की जंग बडी बहादुरी से लडे, नुंह मोर्चे पर क्रांतिकारियों का नेतृत्व अलीहसन मेव कर रहे थे,28 नवंबर 1857 को गुड़गांव अंग्रेजी कलेक्टरी को खबर मिली के सदरूद्दीन मेव ने पिंनगवा पर कब्जा कर लिया हे और अंग्रेज समर्थक खांजादो को मार भगाया हे। 28 नवंबर को पलवल और गुड़गांव से अंग्रेजी सेना पिंनगवा की और निकलती हे। और 30 नवंबर 1857 को मंहू गांव में मेवातियों और अंग्रेजो के बीच आखरी जंग होती हे, जिसमें 70 से अधिक मेवाती मारे जाते हे, मंहू के रहने वाले वीर सुलेखा और सदरूद्दीन के बेटा भी शहीद हो जाता हे, ऐसा कहा जाता हे इस आखरी लड़ाई के बात सदरूद्दीन को कभी नहीं देखा गया। इसलिए 29 नवंबर को ही ही सदरूद्दीन मेव का शहादत दिवस माना जाता हे। मेवात में अंतिम विद्रोह को कुचलने के बाद, अंग्रेजी टुकड़ियों ने शाहपुर, बाली खेड़ा, खेरला, चितोरा, नाहिरिका, गूजर नगला, बाहरपुर, खीरी आदि गांवों को आग लगा दी गई और अस्तित्व ही मिटा दिया गया। कुछ समय बाद कई और गांवों का को लूटा और जलाया गया, पिंनगवा के आसपास के गांव भी अंग्रेज सैना ने जला दिये थे। हजारो मेवाती वीर 1857 की क्रांती मे शहीद हुवै![1][2]
नेत्रत्व क्षमता
सन्दर्भ
- ↑ मेवात में 1857 से पहले ही फिरंगियों के खिलाफ उपजा था असंतोष https://www.jagran.com/haryana/mewat-14507996.html
- ↑ 1857 uprising sparked at Ambala, engulfed entire state https://m.tribuneindia.com/news/archive/haryanatribune/1857-uprising-sparked-at-ambala-engulfed-entire-state-587901